वित्त वर्ष 2023-24 में बैंकों की प्रॉफिटेबिलिटी में लगातार छठे साल सुधार हुआ और उनका फंसा कर्ज घटकर 13 साल के निचले स्तर 2.7 प्रतिशत पर आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। बैंकिंग के रुझान और प्रगति पर जारी आरबीआई की यह रिपोर्ट कहती है कि देश की सशक्त वृहद-आर्थिक बुनियाद ने घरेलू बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्रों के प्रदर्शन और सुदृढ़ता को बढ़ावा दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों की लाभप्रदता 2023-24 में लगातार छठे वर्ष बढ़ी और यह 2024-25 की पहली छमाही में भी बढ़ती रही।
बैंकों की एसेट क्वालिटी बेहतर हुई
आरबीआई रिपोर्ट कहती है कि बैंकों की एसेट क्वालिटी बेहतर हुई है और इनका सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) अनुपात मार्च, 2024 के अंत में 2.7 प्रतिशत और सितंबर, 2024 के अंत में 2.5 प्रतिशत पर आ गया, जो 13 साल का सबसे निचला स्तर है। इस अवधि में बैंकों की पूंजी की स्थिति संतोषजनक रही, जो कर्ज अनुपात और पूंजी से जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात (CRAR) जैसे प्रमुख मानदंडों में परिलक्षित भी होता है। इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) का मजबूत ऋण विस्तार होने के साथ उनके बही-खाते में मजबूती आई।
कितने हैं बैंक
आरबीआई रिपोर्ट के मुताबिक बैंको की लोन क्वालिटी और प्रॉफिटेबिलिटी में सुधार हुआ है। पिछले वित्त वर्ष में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का शुद्ध लाभ 32.8 प्रतिशत बढ़कर 3,49,603 करोड़ रुपये हो गया। मार्च, 2024 के अंत में कमर्शियल बैंकिंग सेक्टर में सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक, निजी क्षेत्र के 21 बैंक, 45 विदेशी बैंक, 12 लघु वित्त बैंक, छह भुगतान बैंक, 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और दो स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी) शामिल थे।
(पीटीआई/भाषा के इनपुट के साथ)



































