Tuesday, December 30, 2025
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रुपये में स्थिरता लाना बना रहेगा चैलेंज, जानें 2026 में RBI के सामने कौन-सी होंगी चुनौतियां

गवर्नर ये स्पष्ट किया कि आगे चलकर वृद्धि की रफ्तार कुछ नरम पड़ेगी और महंगाई बढ़कर आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब पहुंचेगी।

Edited By: Sunil Chaurasia
Published : Dec 30, 2025 04:39 pm IST, Updated : Dec 30, 2025 04:39 pm IST
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Photo:PTI 2026 में भी रुपये में स्थिरता लाना बना रहेगा चैलेंज

भारतीय रिजर्व बैंक के लिए 2026 में भी कई चुनौतियां इंतजार करेंगी। अगले साल आरबीआई के लिए सबसे बड़ी चुनौती रुपये की वैल्यूएशन को कंट्रोल करना होगा, जो इस साल अमेरिकी डॉलर की तुलना में 90 रुपये के नीचे फिसल गया। आरबीआई ने 2025 में अपने 90 साल पूरे किए और इसी साल उसके लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से रुपये की तेजी से गिरती वैल्यूएशन को संभालना रहा। केंद्रीय बैंक का कहना है कि उसका बाजार में हस्तक्षेप किसी स्तर को बचाने के लिए नहीं, बल्कि उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए होता है। इसके बावजूद, भारतीय मुद्रा के कमजोर होने के बीच आरबीआई ने साल के शुरुआती नौ महीनों में 38 अरब डॉलर से ज्यादा का विदेशी मुद्रा भंडार बेचा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि रुपये का मैनेजमेंट आगे भी चुनौतीपूर्ण बना रहेगा।

रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंची महंगाई

रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंची महंगाई के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने 2025 में 6 में से 4 मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में रेपो रेट घटाने की घोषणा की। आरबीआई ने इस साल 4 बार में रेपो रेट में कुल 1.25 प्रतिशत की कटौती की। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इसे अर्थव्यवस्था के लिए एक ‘दुर्लभ रूप से संतुलित आर्थिक दौर’ करार दिया। आरबीआई गवर्नर ने फरवरी में अपनी पहली एमपीसी मीटिंग से ही इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए ब्याज दरों में कटौती की शुरुआत कर दी थी। इसके बाद जून में उन्होंने इस साल की सबसे बड़ी 0.50 प्रतिशत की कटौती की।

तमाम चुनौतियों के बावजूद 8% से ऊपर रही वृद्धि दर

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में 1 साल पूरा होने पर संजय मल्होत्रा ने मौजूदा स्थिति को भारत के लिए ‘दुर्लभ रूप से संतुलित आर्थिक दौर’ करार दिया, जिसमें अमेरिका के टैरिफ और भू-राजनीतिक बदलाव जैसी खराब परिस्थितियों के बावजूद देश की वृद्धि दर 8 प्रतिशत से ऊपर रही और महंगाई 1 प्रतिशत से नीचे रही। गवर्नर ये भी स्पष्ट किया कि आगे चलकर वृद्धि की रफ्तार कुछ नरम पड़ेगी और महंगाई बढ़कर आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब पहुंचेगी।

आरबीआई के फैसलों से बैंकों पर पड़ा बुरा असर

चालू कीमतों पर जीडीपी वृद्धि कम रहने को लेकर चिंताओं के बीच मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के कदम वास्तविक जीडीपी के आधार पर तय होते हैं, जो महंगाई घटाने के बाद सामने आती है। वास्तविक महंगाई के आंकड़े आरबीआई के अनुमानों से काफी कम रहे, जिससे केंद्रीय बैंक की पूर्वानुमान क्षमता को लेकर कुछ सवाल उठे। दर कटौती और उधारी लागत में गिरावट की स्पष्ट अपेक्षाओं की वजह से आरबीआई के कदम से बैंकों को झटका लगा। शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) में कमी और मुख्य आय में गिरावट से बैंकों पर बुरा असर पड़ा। संजय मल्होत्रा का जोर ग्राहकों के प्रति संवेदनशीलता और शिकायतों का तेजी से समाधान करने पर रहा है, जो उनके कई भाषणों और टिप्पणियों में झलकता है। 

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