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Budget 2022: कौन सा बजट था Black Budget, किस वित्तमंत्री ने थोपा था सर्विस टैक्स? बजट से जुड़ी ये जानकारी नहीं जानते होंगे आप

बजट के इतिहास पर नजर डालें तो ऐसे काफी सारे तथ्य हमारे सामने आएंगे जो देश के बदलते आर्थिक हालात बतलाते हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: January 29, 2022 15:08 IST
Budget 2022 - India TV Paisa

Budget 2022 

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कोरोना संकट के बाद देश का बजट पेश करने जा रही हैं। महान संकट से गुजर रही देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए इस बजट में कई निर्णायक घोषणाएं होने की उम्मीद है। यह पहली बार नहीं है कि जब किसी बड़े बदलाव के लिए लोग बजट का इतना बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बजट के इतिहास पर नजर डालें तो ऐसे काफी सारे तथ्य हमारे सामने आएंगे जो देश के बदलते आर्थिक हालात बतलाते हैं। 26 नवंबर 1947 को पेश किए गए आजाद भारत के पहले बजट से लेकर अब तक ऐसे तमाम मौके आए हैं, जब बजट के प्रावधानों ने देश को एक नई दिशा देने की कोशिश की। जानिए बजट से जुड़े ऐसी ही कुछ रोचक तथ्य।

  • आजाद भारत का पहला बजट तात्कालीन वित्त मंत्री आर के षणमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था।
  • जॉन मथाई देश के दूसरे वित्त मंत्री थे, जिन्होंने 1949-50 का बजट पेश किया। यह ऐतिहासिक बजट था और महंगाई पर केंद्रित था। इसी बजट के जरिये देश ने योजना आयोग और पंचवर्षीय योजनाओं जैसे शब्दों को चुना।
  • साल 1955 के बाद यानी 1955-56 के बजट से ही बजट से जुड़े दस्तावेज हिंदी में भी तैयार किए जाने लगे।
  • 1955-56 के केंद्रीय बजट में कालाधन उजागर करने की योजना शुरू की गई।
  • साल 1994 के केंद्रीय बजट में सर्विस टैक्‍स का प्रावधान किया गया। इस बजट को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पेश किया था।
  • साल 1973-74 के बजट को भारत के ब्लैक बजट के रूप में जाना जाता है। इस साल देश का बजट घाटा 550 करोड़ रुपए था।
  • साल 1982 में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश किया था। उन्होंने 1 घंटा 35 मिनट तक बजट स्पीच दी। इस बजट के बाद लंबी बजट स्पीच का ट्रेंड बन गया। इस पर इंदिरा गांधी ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि सबसे छोटे कद के वित्त मंत्री ने सबसे लंबा भाषण दिया।
  • राजीव गांधी ने साल 1987 के बजट में भारत का पहली बार कॉरपोरेट टैक्स से परिचय करवाया।
  • बजट के इतिहास में ऐसा मौका भी आया जब साल 1991-92 का अंतरिम और वित्‍तीय बजट दो अलग-अलग पार्टियों के अलग अलग मंत्रियों ने पेश किया। यशवंत सिन्हा ने अंतरिम बजट पेश किया, जबकि मनमोहन सिंह ने फाइनल बजट पेश किया।
  • मनमोहन सिंह ने साल 1994 के अपने बजट में सर्विट टैक्स के टर्म को भारत के सामने रखा।
  • यशवंत सिन्हा को साल 2002 के केंद्रीय बजट में सबसे ज्यादा रोलबैक शामिल करने के लिए जाना जाता है।
  • यशवंत सिन्हा ने साल 1991 में विदेशी मुद्रा संकट के दौर में बजट पेश किया। साल 1999 में उन्होंने जब बजट पेश किया तब देश में पोखरण विस्फोट पर चर्चा आम थी। साल 2000 में जब उन्होंने बजट पेश किया तब देश कारगिल की लड़ाई के बाद के माहौल से जूझ रहा था, जबकि साल 2001 में जब उन्होंने बजट पेश किया तब देश गुजरात में आए भूकंप की चिंता में डूबा हुआ था।
  • साल 2000 तक भारत में बजट शाम को पांच बजे पेश होता था, इसके पीछे तर्क यह था कि जब भारत में शाम के पांच बजते हैं तो लंदन में सुबह के साढ़े ग्यारह बज रहे होते हैं। लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्डस में बैठे सांसदों को भारत का भाषण सुनना होता था, इसलिए हिंदुस्तान का बजट शाम को पांच बजे पेश होता था।
  • संसद में लंबी बहस के बाद बजट पेश करने के समय में बदलाव किया गया। 2001 में तात्‍कालीन वित्‍त मंत्री यशवंत सिन्‍हा ने सबसे पहले दिन में बजट पेश करने की परंपरा शुरू की।
  • 2017 में पहली बार रेल बजट की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया। परंपरा के अनुसार रेल बजट आम बजट से एक दिन पहले आता था। लेकिन 2017 से रेल बजट को आम बजट में समाहित कर लिया गया।

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