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देश में स्टील के बढ़ते आयात पर रोक लगाए सरकार, जानिए इस्पात कारोबारियों को क्या हैं बजट से उम्मीदें

देश के स्टील मैन्यूफैक्चरर्स का कहना है कि भारत में स्टील की डंपिंग से कंपनियों की लाभप्रदता और स्टील इंडस्ट्री की निवेश योजनाओं को नुकसान पहुंच सकता है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार बढ़ते आयात को रोकने के लिए बजट में कुछ कदम उठाएगी।

Edited By: Pawan Jayaswal
Published : Jan 31, 2024 6:56 IST, Updated : Jan 31, 2024 6:56 IST
बजट 2024- India TV Paisa
Photo:FILE बजट 2024

स्टील मैन्यूफैक्चरर्स को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2024-25 के आम बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च, घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और बढ़ते आयात को रोकने के उपाय किए जाएंगे। वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 10 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की घोषणा की थी। टाटा स्टील के CEO और MD टी वी नरेंद्रन ने कहा, ''सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाने पर ध्यान जारी रखना चाहिए। उसे व्यापार करने की लागत और कारोबार सुगमता को और बेहतर बनाने पर भी काम करना चाहिए।'' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का बजट पेश करने जा रही हैं। चुनावों  वाला साल होने के चलते यह अंतरिम बजट होगा।

बढ़ते आयात को रोकने के लिए उठें कदम

उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री यह भी उम्मीद करती है कि सरकार बढ़ते आयात को रोकने के लिए कुछ कदम उठाएगी। क्योंकि भारत में स्टील की ‘डंपिंग’ से कंपनियों की लाभप्रदता और स्टील इंडस्ट्री की निवेश योजनाओं को नुकसान पहुंच सकता है। आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया के सीईओ दिलीप ओमन ने कहा कि इंडस्ट्री को उम्मीद है कि बजट आर्थिक विकास के लिए सरकार के निरंतर समर्पण को प्रतिबिंबित करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम डंपिंग रोधी उपायों, कच्चे माल की सुरक्षा, बुनियादी ढांचे के निवेश, प्रतिस्पर्धी वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र, अनुसंधान एवं विकास प्रोत्साहन, निर्यात प्रोत्साहन, कौशल विकास और पर्यावरणीय स्थिरता जैसी निष्पक्ष व्यापार नीतियों पर अधिक ध्यान देने का आग्रह करते हैं।’’

सही हो टैक्सेशन

प्राकृतिक गैस, कोकिंग कोयला, बिजली और लौह अयस्क जैसे प्रमुख आदान पर कराधान को युक्तिसंगत बनाने से भारतीय इस्पात उद्योग को अधिक टिकाऊ बनाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि घरेलू विनिर्माण को आगे बढ़ाने से न केवल निवेश आकर्षित करने और नौकरियां पैदा करने का स्पष्ट लाभ मिलेगा, बल्कि लंबे समय में भारत, चीन के एक व्यावहारिक विकल्प के रूप में उभरने के लिए विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बन जाएगा।

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