इंडसइंड बैंक के बोर्ड ने डेरिवेटिव, माइक्रो फाइनेंस और बही-खाते की ‘धोखाधड़ी’ में कुछ कर्मचारियों की संलिप्तता का संदेह जताया है। बैंक ने मैनेजमेंट को जांच एजेंसियों और नियामक प्राधिकरणों को इस मामले की जानकारी देने का निर्देश को दिया है। प्राइवेट सेक्टर के बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने बुधवार को हुई मीटिंग में ये फैसला किया। इस मीटिंग में जनवरी-मार्च तिमाही और वित्त वर्ष 2024-25 के वित्तीय परिणामों को मंजूरी दी गई। इंडसइंड बैंक ने शेयर बाजारों को दी सूचना में कहा कि आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट के साथ बाहरी पेशेवर फर्म की समीक्षा के आधार पर बोर्ड को संदेह है कि 'बैंक के खिलाफ धोखाधड़ी की घटना' में बैंक के अकाउंट्स एंड फाइनेंशियल रिपोर्टिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुछ कर्मचारी संलिप्त रहे हैं।
बैंक ने अपने बयान में क्या कहा
इंडसइंड बैंक ने कहा, ‘‘इसे ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने कानून के तहत आवश्यक कदम उठाने (नियामक प्राधिकरणों और जांच एजेंसियों को सूचना देने सहित) और इन खामियों के लिए जिम्मेदार सभी व्यक्तियों की जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया है।’’ इंडसइंड बैंक ने कहा कि बैंक ने मार्च तिमाही और समूचे वित्त वर्ष के वित्त परिणामों को अंतिम रूप देते समय ऑडिट रिपोर्ट में चिह्नित सभी विसंगतियों के प्रभाव को उचित रूप से दर्ज करने के साथ दर्शाया है।
बैंक के सीईओ और डिप्टी सीईओ ने 29 अप्रैल को दे दिया था इस्तीफा
मार्च में बैंक ने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में अकाउंट्स से जुड़ी खामियों की सूचना दी थी, जिसका दिसंबर, 2024 तक बैंक की शुद्ध संपत्ति पर लगभग 2.35 प्रतिशत का प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का अनुमान है। इसके बाद, बैंक ने बही-खाते पर प्रभाव, अलग-अलग स्तरों पर खामियों का आकलन करने और सुधारात्मक कार्रवाई का सुझाव देने के लिए बाहरी एजेंसी पीडब्ल्यूसी को नियुक्त किया था। एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में 30 जून, 2024 तक नकारात्मक प्रभाव 1979 करोड़ रुपये आंका है। मामला गहराने के बाद बैंक के सीईओ सुमंत कठपालिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना ने 29 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया था।
पीटीआई इनपुट्स के साथ



































