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मुफ्त उपहार कभी भी ‘'free' नहीं होते, राजनीतिक दलों को इससे पड़ने वाले बोझ को बताना चाहिए: RBI

जब राजनीतिक दल ऐसी योजनाओं की पेशकश करते हैं तो उन्हें मतदाताओं को इनके लिए वित्तपोषण और अन्य पहलुओं के बारे में बताना चाहिए।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Aug 21, 2022 01:57 pm IST, Updated : Aug 21, 2022 02:01 pm IST
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Photo:FILE Freebies are never 'free'

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि मुफ्त उपहार कभी भी 'free' नहीं होते हैं और जब राजनीतिक दल ऐसी योजनाओं की पेशकश करते हैं, तो उन्हें मतदाताओं को उनके वित्त पोषण और अन्य पहलुओं के बारे में बताना चाहिए। उन्होंने रविवार को बताया कि मुफ्त उपहारों की घोषणा के साथ इन सूचनाओं को जोड़ने से लोकलुभावनवाद के प्रति प्रलोभन कम हो जाएगा। गोयल ने आगे कहा कि जब सरकारें मुफ्त सुविधाएं देती हैं तो कहीं न कहीं लागत की भरपाई की जाती है। इनके जरिए ऐसी सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं में निवेश किया जा सकता है, जो क्षमता निर्माण करती हैं।

गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान

उन्होंने कहा कि विशेष रूप से ऐसी हानिकारक सब्सिडी, जो कीमतों को विकृत करती हैं।’’ उन्होंने कहा कि इससे उत्पादन और संसाधन आवंटन को नुकसान पहुंचता है, जैसे मुफ्त बिजली के कारण पंजाब में पानी का स्तर गिरना। गोयल ने कहा कि इस तरह की मुफ्त सुविधाएं स्वास्थ्य, शिक्षा, हवा और पानी की खराब गुणवत्ता की कीमत पर मिलती हैं, जिनसे गरीबों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है।

राजनीतिक दल को सही जानकारी देनी चाहिए

प्रख्यात अर्थशास्त्री ने तर्क दिया, ‘‘जब राजनीतिक दल ऐसी योजनाओं की पेशकश करते हैं तो उन्हें मतदाताओं को इनके लिए वित्तपोषण और अन्य पहलुओं के बारे में बताना चाहिए। इससे प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद के प्रति प्रलोभन कम होगा।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल के दिनों में ‘रेवड़ी’ (मुफ्त उपहार) बांटने के प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद पर प्रहार किया था, जिससे न केवल करदाताओं के धन की बर्बादी होती है, बल्कि आर्थिक नुकसान भी होता है, जो भारत के आत्मनिर्भर बनने के अभियान को बाधित कर सकता है। उनकी टिप्पणी को आम आदमी पार्टी (आप) जैसे राजनीतिक दलों पर निशाने के तौर पर देखा गया, जिन्होंने हाल में पंजाब में मुफ्त बिजली देने की शुरुआत की है और गुजरात में भी मुफ्त बिजली और पानी देने का वादा किया है।

कोर्ट ने निकाय गठन का दिया सुझाव

इस महीने की शुरुआत में उच्चतम न्यायालय ने चुनाव के दौरान मतदाताओं को दिए जाने वाले तर्कहीन मुफ्त उपहारों की जांच के लिए एक विशेष निकाय के गठन का सुझाव दिया था। गोयल ने कहा कि वैश्विक झटके और ब्याज दर में वृद्धि के बावजूद भारतीय वृद्धि कायम है और भारत का प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर रहा है। उन्होंने कहा कि घरेलू मांग वैश्विक मंदी को कम कर सकती है। उन्होंने भारत का निर्यात बढ़ने की उम्मीद भी जताई।

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