Monday, July 07, 2025
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100 रुपये के प्याज पर किसान को कितने रुपये मिलते हैं? RBI की ये रिपोर्ट हैरान कर देगी

आरबीआई के रिसर्च पेपर में इस स्थिति में सुधार के लिए एग्रीकल्चरल मार्केटिंग सेक्टर में सुधार का सुझाव दिया गया है। इसमें किसानों को उनकी उपज की बेहतर कीमत प्राप्त करने में मदद के लिए प्राइवेट मंडियों की संख्या बढ़ाने की बात शामिल है।

Edited By: Sunil Chaurasia
Published : Oct 03, 2024 23:55 IST, Updated : Oct 03, 2024 23:59 IST
एग्रीकल्चरल मार्केटिंग सेक्टर में सुधार का सुझाव
Photo:FREEPIK एग्रीकल्चरल मार्केटिंग सेक्टर में सुधार का सुझाव

आप सब्जी मंडी में जिस भाव पर सब्जी खरीदते हैं, उसमें से कितने रुपये उस सब्जी को उगाने वाले किसान को मिलते हैं- इस सवाल का जवाब जानने के बाद आप निश्चित रूप से हैरान रह जाएंगे। जी हां, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि प्याज किसानों को ग्राहकों के खर्च का सिर्फ 36 प्रतिशत मिलता है। वहीं टमाटर के लिए ये 33 प्रतिशत और आलू के मामले में ये 37 प्रतिशत है। यानी अगर आप 100 रुपये का प्याज खरीद रहे हैं तो किसानों को सिर्फ 36 रुपये, 100 रुपये के टमाटर के लिए सिर्फ 33 रुपये और 100 रुपये के आलू के लिए सिर्फ 37 रुपये मिलते हैं।

एग्रीकल्चरल मार्केटिंग सेक्टर में सुधार का सुझाव

आरबीआई के रिसर्च पेपर में इस स्थिति में सुधार के लिए एग्रीकल्चरल मार्केटिंग सेक्टर में सुधार का सुझाव दिया गया है। इसमें किसानों को उनकी उपज की बेहतर कीमत प्राप्त करने में मदद के लिए प्राइवेट मंडियों की संख्या बढ़ाने की बात शामिल है। टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों को लेकर सब्जियों की महंगाई पर स्टडी पेपर में कहा गया है, ‘‘चूंकि सब्जियां जल्दी खराब होने वाली चीजें हैं, ऐसे में टमाटर, प्याज और आलू की मार्केटिंग में पारदर्शिता में सुधार के लिए प्राइवेट मंडियों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है। कॉम्पिटीशन से स्थानीय स्तर की कृषि उपज बाजार समिति के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में भी मदद मिल सकती है।’’ 

सकल महंगाई के पीछे खाद्य महंगाई सबसे बड़ी वजह

खाद्य महंगाई को सकल महंगाई यानी ग्रॉस इंफ्लेशन के मामले में हाल के दबाव की मुख्य वजह बताया गया है। इसमें टमाटर, प्याज और आलू के दाम में भारी उतार-चढ़ाव सबसे चुनौतीपूर्ण रही हैं। रिसर्च पेपर को आर्थिक अनुसंधान विभाग (DEPR) के कर्मचारियों और बाहर के लेखकों ने मिलकर तैयार किया है। रिसर्चर्स ने पाया कि बाजारों में मौजूदा कमियों को कम करने में मदद के लिए ई-राष्ट्रीय कृषि बाजारों (e-NAM) का फायदा उठाया जाना चाहिए। इससे किसानों को उपज के लिए मिलने वाली कीमतों में बढ़ोतरी होगी जबकि दूसरी तरफ उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमतें कम होंगी। 

फसलों के लिए वायदा कारोबार शुरू करने की वकालत

रिसर्च पेपर में टमाटर, प्याज और आलू के मामले में किसान उपज संगठनों को बढ़ावा देने की बात कही गई है। इसके साथ ही प्याज में खासकर सर्दियों की फसल के लिए वायदा कारोबार शुरू करने की वकालत की गई है। इससे अनुकूलतम मूल्य खोज (Optimal Price Discovery) और रिस्क मैनेजमेंट में मदद मिलेगी। इसमें इन सब्जियों के स्टोरेज, प्रोसेसिंग और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के तरीकों के बारे में सुझाव दिये गए हैं।

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