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रॉकेट की रफ्तार से भागेगी देश की अर्थव्यवस्था, आरबीआई ने जताया उम्मीद से बेहतर GDP ग्रोथ का अनुमान

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्र की अगुवाई वाली टीम द्वारा लिखे गए इस लेख में कहा गया है कि सरकार ने बढ़-चढ़कर कैपिटल एक्सपेंडिचर किया है, उसका असर दिखने लगा है। इससे निजी निवेश बढ़ना शुरू हुआ है। देश में संभावित उत्पादन में तेजी आ रही है।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: January 18, 2024 20:12 IST
GDP- India TV Paisa
Photo:FILE आर्थिक वृद्धि दर

देश की आर्थिक वृद्धि दर 2023-24 में उम्मीद से कहीं बेहतर रहने का अनुमान है। साथ ही सरकार के कैपिटल एक्सपेंडिचर पर जोर से निजी निवेश बढ़ना शुरू हुआ है, जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है। भारतीय रिजर्व बैंक के बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में यह कहा गया है। ‘अर्थव्यवस्था की स्थति’ पर प्रकाशित लेख में कहा गया है कि विश्व अर्थव्यवस्था को लेकर निकट भविष्य में वृद्धि के मामले में संभावनाएं अलग-अलग हैं और एशिया के नेतृत्व में उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं बाकी दुनिया से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। इसमें कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2023-24 में उम्मीद से अधिक मजबूत रहने का अनुमान है। यह वृद्धि उपभोग से निवेश की ओर बदलाव पर आधारित है। 

सरकार ने बढ़-चढ़कर कैपिटल एक्सपेंडिचर किया 

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्र की अगुवाई वाली टीम द्वारा लिखे गए इस लेख में कहा गया है कि सरकार ने बढ़-चढ़कर कैपिटल एक्सपेंडिचर किया है, उसका असर दिखने लगा है। इससे निजी निवेश बढ़ना शुरू हुआ है। देश में संभावित उत्पादन में तेजी आ रही है। वास्तविक उत्पादन इससे अधिक है। हालांकि, अंतर बना हुआ है लेकिन वह कम है। लेख में कहा गया है कि वृहद आर्थिक मोर्चे पर स्थिरता है। ऐसे में 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्ध दर कम-से-कम सात प्रतिशत बनाये रखकर इस गति को बनाए रखना चाहिए। इसको देखते हुए मुद्रास्फीति को इस साल की दूसरी तिमाही के लक्ष्य के अनुरूप रखने की जरूरत है। लेख के अनुसार, साथ ही वित्तीय संस्थानों के बही-खातों को मजबूत बनाने और संपत्ति गुणवत्ता में और सुधार की जरूरत है। 

वैश्विक परिदृश्य कमजोर बना हुआ 

इसके साथ राजकोषीय और अंतरराष्ट्रीय लेन-देन के स्तर पर खातों में मजबूत का जो दौर चल रहा है, उसे बनाये रखने की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है कि जो बदलावकारी प्रौद्योगिकी के लाभ हैं, उसका उपयोग एक मजबूत जोखिम-मुक्त परिवेश में समावेशी विकास के लिए किया जाना चाहिए। आरबीआई बुलेटिन में छपे लेख के अनुसार कि सबसे महत्वपूर्ण, सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर से निवेश के लिए जो सकारात्मक माहौल बना है, उसमें कंपनियों की भागीदारी और यहां तक की इस मामले में उनकी अगुवाई जरूरी है। साथ ही पूरक के रूप में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी होना चाहिए। लेख में कहा गया है कि अभी जो वैश्विक परिदृश्य कमजोर बना हुआ है, अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी तनाव खत्म होता है और उसके प्रभाव को जिंस और वित्तीय बाजार, व्यापार तथा परिवहन एवं आपूर्ति नेटवर्क के जरिये काबू किया जाता तो स्थिति बेहतर हो सकती है। आरबीआई ने यह साफ किया है कि बुलेटिन में प्रकाशित विचार लेखकों के हैं और यह केंद्रीय बैंक के विचारों को प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

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