राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने वेदांता लिमिटेड के विभाजन (डीमर्जर) प्रस्ताव पर सुनवाई एक बार फिर स्थगित कर दी है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी। इससे पहले, 8 अक्टूबर को होनी वाली सुनवाई को बुधवार को टाल दिया गया। एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने पिछली सुनवाई में वेदांता और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) को इस संबंध में लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश दिया था।
पीटीआई की खबर के मुताबिक, वेदांता के इस पुनर्गठन योजना पर सुनवाई लगातार स्थगित हो रही है। 20 अगस्त को सुनवाई टलने का कारण बाजार नियामक सेबी द्वारा प्रस्ताव की जांच पूरी न होना और पेट्रोलियम मंत्रालय की आपत्तियाँ थीं। मंत्रालय ने अपनी पूरी राय देने के लिए अधिक समय भी मांगा था।
पेट्रोलियम मंत्रालय की आपत्तियां
मंत्रालय के वकील ने विभाजन प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई थी और विशेष रूप से आरजे ब्लॉक से संबंधित विस्तृत जानकारी मांगी थी। खुलासों पर स्पष्टीकरण भी मांगा गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संपत्तियों और ऋणों से जुड़े कोई भी तथ्य छुपाए न जा रहे हों, जो विभाजन के दौरान सामने आ सकते हैं। इस बीच, वेदांता के लिए एक राहत की खबर भी आई है। कंपनी के वकील ने बताया कि उन्हें राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) से अनुमति मिल गई है, जिसके बाद उन्होंने ईपीसी ठेकेदार सेपको के साथ अपना विवाद सुलझा लिया है। इस समाधान के परिणामस्वरूप, वेदांता के बिजली और धातु व्यवसायों, जिसमें तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) भी शामिल है, के पुनर्गठन की योजना को मंजूरी मिल गई।
सेपको का हस्तक्षेप आवेदन वापस
सेपको इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन ने शुरू में आरोप लगाया था कि वेदांता और टीएसपीएल ने ईपीसी विवादों से जुड़ा लगभग 1,251 करोड़ रुपये का ऋण छुपाया था, जिससे कंपनी के मूल्यांकन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता था। हालांकि, 11 सितंबर को दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाने के बाद, सेपको ने बुधवार को अपना हस्तक्षेप आवेदन वापस ले लिया। वेदांता की सहायक कंपनी टीएसपीएल ने ही इस व्यापक विभाजन के तहत एनसीएलटी के समक्ष एक व्यवस्था योजना दायर की थी।
वेदांता ने एनसीएलटी के समक्ष अपनी विस्तृत योजना दायर की थी, जिसमें वेदांता एल्युमिनियम, तलवंडी साबो पावर, माल्को एनर्जी और वेदांता आयरन एंड स्टील सहित चार समूह कंपनियां शामिल थीं, साथ ही शेयरधारकों और लेनदारों को भी इसमें शामिल किया गया था।
सेबी के कमेंट और बदलाव
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने योजना पर कोई विशेष आपत्ति नहीं जताई, लेकिन आधार धातु व्यवसाय के विभाजन के बारे में और अधिक जानकारी मांगी थी। इन टिप्पणियों के बाद, वेदांता ने अपने प्रारंभिक प्रस्ताव में संशोधन किए। अब यह योजना छह स्वतंत्र संस्थाओं के बजाय कुछ अलग रूप में प्रस्तुत की जा रही है। संशोधित योजना के तहत, आधार धातु व्यवसाय को अब कंपनी के भीतर ही रखा गया है।
विभाजन का उद्देश्य और बढ़ी हुई समय सीमा
वेदांता का यह पुनर्गठन प्रस्ताव प्रबंधकीय फोकस में सुधार करने और शेयरधारक मूल्य को अनलॉक करने के बड़े उद्देश्य से लाया गया है। कंपनी को उम्मीद है कि इस योजना से परिचालन सुव्यवस्थित होगा और समग्र वृद्धि को गति मिलेगी। देरी को देखते हुए, इस वर्ष मार्च में, एनसीएलटी और अन्य सरकारी निकायों से अनुमोदन की प्रक्रिया में देरी के कारण, विभाजन को पूरा करने की समयसीमा को 30 सितंबर 2025 तक बढ़ा दिया गया था। अब, कंपनी की व्यापारिक संरचना को नया आकार देने और भविष्य की रणनीतियों को तय करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम अंतिम अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रहा है।



































