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NSE की 'योगी' गाथा: जानिए कैसे हुआ पद के दुरुपयोग और पैसों की हेराफेरी, ये है चित्रा के अंधविश्वास की पूरी कहानी

आज 59 वर्षीय रामकृष्ण एक अजीबोगरीब घोटाले के केंद्र में हैं, जब बाजार नियामक सेबी की जांच में यह पता चला कि एक्सचेंज के प्रमुख व्यावसायिक निर्णय लेने में उन्हें एक रहस्यमय हिमालयी योगी निर्देश दे रहे थे।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: February 21, 2022 13:20 IST
Chitra Ramkrishna- India TV Paisa
Photo:FILE

Chitra Ramkrishna

नयी दिल्ली। भारत के शीर्ष शेयर बाजार एनएसई की तत्कालीन सीईओ चित्रा रामकृष्ण ने आठ साल पहले कहा था कि प्रौद्योगिकी एक ऐसा शेर है, जिस पर हर कोई सवार है। उस समय, वह खुद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के शीर्ष पद पर तैनात थीं। एनएसई ने 1994 में अपनी शुरुआत के एक साल के भीतर ही भारत के सबसे बड़े शेयर बाजार के रूप में 100 साल पुराने बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) को पछाड़ दिया था। 

एनएसई के परिष्कृत एल्गोरिद्म आधारित सुपरफास्ट ट्रेडिंग में एक तकनीकी खराबी आने से शेयर कारोबार की पुरुष प्रधान दुनिया में रामकृष्ण को एनएसई के शीर्ष पद पर आने का मौका मिला था। एनएसई में पांच अक्टूबर 2012 की सुबह आई इस तकनीकी खराबी से निवेशकों के लगभग 10 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए थे। इसके बाद एनएसई के तत्कालीन सीईओ रवि नारायण को पद छोड़ना पड़ा और कुछ महीने बाद, 13 अप्रैल 2013 को एनएसई की कमान औपचारिक रूप से चित्रा रामकृष्ण को सौंप दी गई। 

आज 59 वर्षीय रामकृष्ण एक अजीबोगरीब घोटाले के केंद्र में हैं, जब बाजार नियामक सेबी की जांच में यह पता चला कि एक्सचेंज के प्रमुख व्यावसायिक निर्णय लेने में उन्हें एक रहस्यमय हिमालयी योगी निर्देश दे रहे थे। घटनाक्रम से अवगत कई लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अब वक्त आ गया है कि इस प्रतिष्ठित संस्थान की गहरी सफाई की जाए और सरकार की तरफ से सभी नियामक, प्रवर्तन एजेंसियों और जांच एजेंसियों को इस मामले की तह तक जाने के निर्देश दिए गए हैं। 

एक पूर्व शीर्ष नियामक अधिकारी ने कहा कि शीर्ष प्रबंधन और कुछ प्रमुख निदेशक स्पष्ट रूप से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश में लगभग हर नियामक, प्रशासनिक एजेंसी और जांच एजेंसी इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही हैं और जांच के दायरे में उन सभी निदेशकों को शामिल किया गया है, जो इन वर्षों के दौरान एनएसई बोर्ड में रहे। जांच सिर्फ योगी की पहचान सुनिश्चित करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि बोर्ड, नियामक और सरकार सहित विभिन्न स्तरों पर चूक के कारणों का भी पता लगाया जा रहा है। 

एक पूर्व नियामक ने कहा कि ऐसा लगता है कि पूर्व और सेवारत नौकरशाहों, कुछ अत्यधिक महत्वाकांक्षी दलालों, शीर्ष सरकारी अधिकारियों और एक्सचेंज में शामिल कुछ कॉरपोरेट अधिकारियों की एक मंडली ने अपने निजी फायदे के लिए विभिन्न खामियों को पैदा किया और उसका फायदा उठाया। अधिकारियों ने कहा कि अब ऊपर से निर्देश आए हैं कि किसी को भी बख्शा न जाए और हर एक गलत काम या चूक को उजागर किया जाए। 

बाजार नियामक सेबी ने एनएसई मामले में 190 पृष्ठों के अपने आदेश में कहा है कि एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी चित्रा रामकृष्ण पर हिमालय के पहाड़ों में रहने वाले किसी 'आध्यात्मिक गुरु' का प्रभाव था। यह मामला आनंद सुब्रमण्यम को मुख्य रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किए जाने और उनका पदनाम बदलकर समूह परिचालन अधिकारी तथा प्रबंध निदेशक का सलाहकार किये जाने के लिए कंपनी संचालन में खामियों से भी जुड़ा है। 

सेबी के आदेश के अनुसार अप्रैल, 2013 से दिसंबर, 2016 तक एनएसई की एमडी एवं सीईओ पद पर रहीं रामकृष्ण कथित तौर पर हिमालय में रहने वाले इस योगी को 'शिरोमणि' कहकर बुलाती थीं। एनएसई की पूर्व प्रमुख का दावा है कि वह हिमालय की पहाड़ियों में रहते हैं और उन्हें 20 वर्षों से व्यक्तिगत और पेशेवर मामलों में सलाह देते रहे हैं।  

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