Friday, April 19, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बाजार
  4. अमेरिका-ईरान तनाव: तीसरी तिमाही के नतीजों पर दिखेगा असर, कच्चे तेल की कीमतों से तय होगी बाजार की चाल

अमेरिका-ईरान तनाव: तीसरी तिमाही के नतीजों पर दिखेगा असर, कच्चे तेल की कीमतों से तय होगी बाजार की चाल

भारतीय शेयर बाजार पर इस सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम और डॉलर के मुकाबले रुपए की चाल का असर देखने को मिलेगा।

India TV Paisa Desk Written by: India TV Paisa Desk
Updated on: January 05, 2020 16:12 IST
Sensex, Q3 earnings, quarterly results, share market- India TV Paisa

Sensex । File Photo

मुंबई। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है, जिसके चलते खाड़ी क्षेत्र में तनाव गहरा गया है। इसका असर पूरी दुनिया समेत भारत पर भी पड़ेगा। देश के शेयर बाजारों पर नए साल के दूसरे कारोबारी सप्ताह में पश्चिम एशिया के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों का असर रहेगा। विश्लेषकों का कहना है कि इसमें होने वाले घटनाक्रमों से ही बाजार की दिशा तय होगी। कच्चे तेल की कीमतें और रुपए का उतार-चढ़ाव बाजार पर असर डालेगा। 

भारतीय शेयर बाजार पर इस सप्ताह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम और डॉलर के मुकाबले रुपए की चाल का असर देखने को मिलेगा। साथ ही, देश की कुछ प्रमुख कंपनियां चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के अपने वित्तीय नतीजे घोषित करने वाली हैं, जिससे बाजार की चाल तय होगी। इसके अलावा इस सप्ताह देश-विदेश में जारी होने वाले प्रमुख आर्थिक आंकड़ों से भी बाजार को दिशा मिलेगी। बता दें कि, इराक में हुए अमेरिकी ड्रोन हमले में शुक्रवार को ईरान के शीर्ष जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद वैश्विक बाजारों में गिरावट का रुख है। इससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की आशंका है। विश्व नेता जहां इस घटनाक्रम से चिंतित हैं वहीं ईरान ने अमेरिकी हमले के जवाब में कार्रवाई की धमकी दी है। 

अमेरिका और ईरान के बीच टकराव से खाड़ी क्षेत्र में पैदा हुए फौजी तनाव के कारण कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे इसकी कीमतों में तेजी बनी रह सकती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में तेजी से भारत में डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल कुंद पड़ सकती है, जिसका प्रभाव घरेलू शेयर बाजार पर पड़ेगा। अमेरिकी एयरस्ट्राइक में ईरानी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान और अमेरिका के बीच तनाव और बढ़ गया है।

गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी है कि अगर वह सुलेमानी की मौत का बदना लेने की हिमाकत करेगा तो इसका अंजाम और बुरा होगा, क्योंकि अमेरिका उसके 52 ठिकानों को निशाना बना सकता है। घरेलू शेयर बाजार में इस सप्ताह के आखिर में शुक्रवार को देश की प्रमुख कंपनी इंफोसिस द्वारा जारी किए जाने वाले तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजों का निवेशकों को इंतजार रहेगा। इसके साथ ही, कुछ अन्य कंपनियों के भी तीसरी तिमाही के वित्तीय नतीजे जारी होने वाले हैं। फिर देश के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े भी सप्ताह के आखिरी सत्र के दौरान शुक्रवार को ही आने वाले हैं।

सोमवार को जारी होंगे पीएमआई के आंकड़े

सप्ताह के आरंभ में सोमवार को बीते महीने दिसंबर के लिए मार्किट सर्विसेस पीएमआई के आंकड़े जारी होंगे। इन घरेलू आंकड़ों के साथ-साथ एसोसिएशन ऑफ मुच्युअल फंड्स इन इंडिया द्वारा लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप की श्रेणियों में अर्धवार्षिकी बदलाव का भी कारोबारी रुझान पर असर देखने को मिलेगा। बाजार की नजर, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और घरेलू संस्थागत निवेशकों के निवेश के प्रति रुझान पर होगी।

अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक मसलों का भी पड़ेगा असर 

इसके अलावा अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक मसलों को लेकर होने वाले करार के साथ-साथ अन्य कारकों से विदेशी बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से भारतीय बाजार प्रभावित रहेगा। चीन में सोमवार को दिसंबर महीने के कैक्सिन सर्विसेस पीएमआई और कैक्सिन कंपोजिट पीएमआई के आंकड़े जारी होंगे। इसके बाद गुरुवार को चीन में महंगाई दर के आंकड़े जारी होंगे। उधर, अमेरिका में भी मार्किट सर्विसेस पीएमआई और मार्किट कंपोजिट पीएमआई के आंकड़े सोमवार को ही जारी होंगे। इसी दिन जापान में मन्युफैक्च रिंग पीएमआई के आंकड़े जारी होंगे। इन आंकड़ों का भी शेयर बाजार पर असर देखने को मिलेगा।

तनाव बढ़ा तो खतरे में होंगे 80 लाख भारतीय

बता दें कि, भारत के लिए ईरान कई मायनों में महत्वपूर्ण है। चीन के बाद भारत ही है, जो ईरान से सर्वाधिक तेल खरीदता है। इतना ही नहीं, पश्चिम एशिया में 80 लाख भारतीय काम कर रहे हैं। इनमें अधिकतर खाड़ी देशों में है। युद्ध जैसी आपात स्थिति आती है तो इन लोगों को इस क्षेत्र से वापस लाना बड़ी चुनौती होगी। हालांकि, सैन्य क्षमता में ईरान...अमेरिका के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता। इसके बावजूद अगर हथियारों से संघर्ष शुरू होता है तो खाड़ी देशों में फिर से अफरा-तफरी मच सकती है। अमेरिका पहले ही अपने नागरिकों से इराक छोड़ने के लिए कह चुका है। इतना ही नहीं, ब्रिटेन ने भी मिडिल ईस्ट में अपने सैन्य अड्‌डों की सुरक्षा बढ़ा दी है। गौरतलब है कि अमेरिकी हमले को विशेषज्ञ अमेरिकी चुनाव से जोड़कर भी देख रहे हैं, क्योंकि अमेरिका में इस साल के अंत में (नवंबर) चुनाव भी हैं।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Market News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement