ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित घरेलू कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स 10,000 रुपये से बढ़ाकर 12,100 रुपये प्रति टन कर दिया है।
पहले जेपी मॉर्गन ने इसी साल फरवरी में कहा था कि इस साल तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की संभावना नहीं है।
ब्रेंट क्रूड की कीमतें (Crude Oil Price) इस साल 100 डॉलर के लेवल को पार कर सकती हैं। आगे रुपये की चाल पूरी तरह तेल की कीमतों पर निर्भर करेगा।
विंडफॉल टैक्स (windfall tax) किसी स्पेसिफिक इंडस्ट्री पर लगाया जाने वाला एक हाई टैक्स है। जब कोई इंडस्ट्री उम्मीद से ज्यादा औसत प्रॉफिट कमाती है तो विंडफॉल टैक्स लागू किया जाता है।
तेल उत्पादक देशों के समूह वाला ओपेक+ ब्लॉक द्वारा उत्पादन में कटौती को तीन और महीनों के लिए बढ़ाए जाने के बाद, ब्रेंट क्रूड 5 सितंबर को 90 डॉलर प्रति बैरल से पार हो गया।
जानकारों का कहना है कि भारत अपनी जरूरत का करीब 85 फीसदी तेल विदेशों से आयात करता है। कच्चा तेल महंगा होने से भारत का आयात बिल बढ़ेगा जो चालू खाते का घाटा बढ़ेगा।
NSE ने एक सर्कुलर में कहा कि 15 मई से जिंस फ्यूचर एंड ऑप्शन खंड में कारोबार के लिए कच्चा तेल एवं प्राकृतिक गैस पर वायदा अनुबंध किए जा सकेंगे।
भारत के आयात में रूस की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत हो गई है। मार्च में भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद इराक से दोगुना रही है। इस दौरान इराक से कच्चे तेल का आयात 8.1 लाख बैरल प्रतिदिन से अधिक रहा है।
Inflation Rate Increase: पूरी दुनिया में मंदी की आशंका के बीच महंगाई के मोर्चे पर सरकार फिर से कमजोर पड़ती नजर आ रही है। सऊदी अरब ने ऐलान किया है कि वह मई महीने से तेल उत्पादन में बड़ी गिरावट करने जा रहा है। क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन कम करने से तेल की कीमतें बढ़ेंगी और वह महंगाई को बढ़ाने का काम करेगा।
Crude oil from Russia: भारत आए दिन तेल खरीदने के मामले में एक नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। हालांकि इसके पीछे का एक इतिहास भी है। आइए जानते हैं कि दिसंबर और जनवरी महीने में ही हमेंशा तेल का आयात इतना अधिक क्यों बढ़ जाता है?
Buying Crude Oil from Russia: यूरोपीय देशों ने रूस से डीजल एवं अन्य तेल उत्पादों खरीद पर रविवार को प्रतिबंध लगाने के साथ ही यूक्रेन पर हमला करने के लिए उसकी आर्थिक रूप से घेराबंदी तेज कर दी है। रूसी डीजल पर यह पाबंदी पेट्रोलियम उत्पादों की अधिकतम सीमा के साथ लगाई गई है।
दिसंबर में उसने भारत को प्रतिदिन 11.9 लाख बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति की। इससे पहले नवंबर में रूस से भारत का आयात 9,09,403 बैरल प्रतिदिन था। अक्टूबर, 2022 में यह 9,35,556 बैरल प्रतिदिन था।
भारत में लगातार बढ़ रही तेल की कीमतों पर जल्द ही लगाम लगने वाली है। हमारा मित्र देश रूस इसके लिए मदद करने की पेशकश कर रहा है। आइए जानते हैं कि इससे आम जनता को कितना फायदा होगा।
अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन प्रतिबंधों से रूसी तेल की पहुंच वैश्विक बाजार से कितनी दूर हो सकती है।
ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि यूरोपीय संघ की ओर से रूस से आने वाले कच्चे तेल के दाम तय करने का भारत पर कोई खास असर नहीं होगा।
सरकार ने कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच इस साल जुलाई से पेट्रोल डीजल और एटीएफ के निर्यात पर विंडफॉल टैक्स लगाया था। भारत अमेरिका, यूरोप सहित कई देशों को पेट्रोल और डीजल का निर्यात भी करता है।
सरकार ने अमेरिका के नेतृत्व वाले जी7 समूह की उस योजना में शामिल होने की कोई इच्छा प्रकट नहीं की है जिसमें रूस के राजस्व को सीमित करने के मकसद से उससे खरीदे गये तेल के दाम की सीमा तय करने का प्रस्ताव रखा गया है।
Crude Oil Price: रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते मार्च में कच्चे तेल की कीमत 139 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थी जो 2008 के बाद अब तक का उच्चतम स्तर था।
Crude Oil: भारत द्वारा आयातित कच्चे तेल का भाव आठ सितंबर को 88 डॉलर प्रति बैरल बैठ रहा था। अप्रैल में यह औसत 102.97 अरब डॉलर प्रति बैरल था।
Good News: देश में 5 रुपये सस्ता हो सकता है Petrol-Diesel, कच्चा तेल लुढ़कर 88 डॉलर प्रति बैरल पर आया Good News Petrol Diesel may be cheaper by Rs 5 in the country crude oil fell to 88 dollar per barrel
लेटेस्ट न्यूज़