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जल्द ही स्मार्टफोन बनेगा आपकी यूनीवर्सल पहचान, UIDAI यूनीवर्सल ऑथेंटिकेटर की तरह इस्तेमाल पर कर रहा है काम

प्रमाणीकरण के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करके पहचान की प्रक्रिया कैसे पूरी हो सकती है, इस पर कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दी।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : Nov 24, 2021 03:45 pm IST, Updated : Nov 24, 2021 03:49 pm IST
 UIDAI working to make smartphones as universal authenticator- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

 UIDAI working to make smartphones as universal authenticator

Highlights

  • वर्तमान में कुल 120 करोड़ मोबाइल कनेक्शनों में से 80 करोड़ स्मार्टफोन हैं, जिनका उपयोग प्रमाणीकरण के लिए किया जा सकता है
  • देश में 130 करोड़ आधार कार्ड जारी हो चुके हैं, जो देश की कुल जनसंख्या के 99.5 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हैं
  • डेटा वॉल्ट की अवधारणा भ्रामक है, जो आधार के उद्देश्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है

नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) किसी भी निवासी की पहचान के लिए स्मार्टफोन को सार्वभौमिक प्रमाणक के रूप में उपयोग करने पर विचार कर रहा है। यूआईडीएआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सौरभ गर्ग ने एक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि प्रमाणीकरण के लिए वर्तमान में उंगलियों के निशान, आंखों (आईरिस) और वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) का उपयोग किया जाता है और इसका दायरा बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। गर्ग ने कहा कि हम देख रहे हैं कि स्मार्टफोन एक सार्वभौमिक सत्यापक के रूप में कैसे विकसित हो सकता है। इस दिशा में काम चल रहा है और हमें आशा है कि हम इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने में सक्षम होंगे। इससे लोगों को जहां वे रह रहे हैं, वहीं से प्रमाणीकरण करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में कुल 120 करोड़ मोबाइल कनेक्शनों में से 80 करोड़ स्मार्टफोन हैं, जिनका उपयोग प्रमाणीकरण के लिए किया जा सकता है। गर्ग ने हालांकि प्रमाणीकरण के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करके पहचान की प्रक्रिया कैसे पूरी हो सकती है, इस पर कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दी। गर्ग ने कहा कि निजता और डाटा सुरक्षा प्राधिकरण के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आधार नंबर एकल पहचान बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है, जो सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध है और सार्वभौमिक सत्यापित है। आधार और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से सरकार को 2 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। 

वर्तमान में, देश में 130 करोड़ आधार कार्ड जारी हो चुके हैं, जो देश की कुल जनसंख्या के 99.5 प्रतिशत हिस्से को कवर करते हैं। गर्ग ने कहा कि शेष बचे 0.5 प्रतिशत लोगों को भी आधार के दायरे में लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

आधार के डेटा वॉल्ट की अवधारणा भ्रामक

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और आधार की संस्थापक टीम के वरिष्ठ सदस्य आर एस शर्मा ने बुधवार को निजता को लेकर आशंकाओं के चलते भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा लगाए गए कुछ अंकुशों की आलोचना की है। यूआईडीएआई के पहले महानिदेशक रहे शर्मा ने कहा कि ‘डेटा वॉल्ट’ की अवधारणा भ्रामक है, जो आधार के उद्देश्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। शर्मा ने यूआईडीएआई द्वारा आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि आधार अधिनियम कहता है कि आधार की जानकारी सुरक्षित रूप से रखी जानी चाहिए। आधार संख्या एक पहचान नहीं है। यह (डेटा वॉल्ट) नोटों पर सभी नंबरों को किसी सुरक्षित तिजोरी में रखने जैसा है। यानी इन नंबरों का खुलासा नहीं किया जा सकता। यह एक भ्रामक तरीका है। एक बार जब आप एक गलत नींव से शुरुआत करते हैं तो आगे सब कुछ गलत होता जाता है।

यूआईडीएआई ने हाल ही में आधार डेटा वॉल्ट की एक अवधारणा पेश की है जो अधिकृत एजेंसियों द्वारा एकत्र किए गए सभी आधार नंबरों के लिए एक केंद्रीकृत भंडारण के रूप में काम करेगा। शर्मा ने कहा कि यूआईडीएआई यह अवधारणा लेकर आया है कि आधार को प्रकाशित नहीं किया जाएगा, जो पूरी तरह से भ्रामक है। उन्होंने कहा कि मेरा मतलब है कि यह मेरा आधार है। व्यक्तिगत संख्या सरकार की नहीं होती। मैं इसे प्रकाशित कर सकता हूं। कोई मुझे कैसे बता सकता है कि अगर मैं अपनी आधार संख्या प्रकाशित की, तो आपको जेल हो जाएगी। यह एक और भ्रम है जो होने लगा है।

उन्होंने कहा कि निजता के नाम पर आपको उद्देश्य को समाप्त नहीं करना चाहिए। शर्मा ने कहा कि उच्चतम के फैसले ने निजता की उचित अपेक्षाओं को परिभाषित किया है। इस फैसले के बाद बाद एक संशोधन किया गया है, जो पहचान साबित करने के लिए आधार के स्वैच्छिक उपयोग की अनुमति देता है।

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