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भारतीय बैंकों में रखा पैसा अमेरिका से ज्यादा सेफ, हमारे देश में कायदे से बनाए गए नियम बड़े फायदे के हैं

Bank Money in India: अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के डूबने के बाद क्रेडिट सुईस के भी दिवालिया होने की खबर आ चुकी है। अब इन बैंकों को बचाने के लिए दूसरे प्राइवेट बैंक इसे खरीद रहे हैं या खरीदने की तैयारी में है। अगर भारत में ऐसी समस्या आ जाए तो आपका पैसा कितना सेफ है? आइए जानते हैं।

Vikash Tiwary Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: March 21, 2023 19:35 IST
Money kept in Indian banks is safer than America rules and regulations are of great benefit here- India TV Paisa
Photo:CANVA भारतीय बैंकों में रखा पैसा अमेरिका से ज्यादा सेफ

Bank Money is Safe: अमेरिका में एक के बाद एक बड़े बैंक दिवालिया हो गए। सरकार उन बैंकों में पैसा जमा करने वाले डिपॉजिटर्स को ये भरोसा दे रही है कि उनके पैसे सुरक्षित हैं। वापस कर दिए जाएंगे, लेकिन कितना सुरक्षित है नियमानुसार जमा किए गए कुल अमाउंट के कितने फीसदी वापस मिलेंगे? आज हम आपको बताएंगे। अमेरिका की तुलना में बैंकों में रखे पैसे भारत में अधिक सुरक्षित है। भारत में अगर आपका 100 रुपया जमा है तो बैंक डूबने की स्थिति में आपको 98 रुपये मिलेंगे, लेकिन अमेरिका में यह अमाउंट सिर्फ 66 रुपये है। यानि भारत में जमा पैसे 98% जबकि अमेरिका में रखे अमाउंट 66% ही सुरक्षित है। दरअसल, भारतीय बैंकों में जमा रुपये पर बीमा सुरक्षा मिली होती है। इसीलिए बैंक डूबने की स्थिति में जमा किए गए रकम वापस मिल जाते हैं। रेमंड जेम्स एंड एसोसिएट्स की एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी सामने आई है।

भारतीय बैंकों में कितनी सुरक्षा?

  1. टॉप-10 बैंक - 98%
  2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक - 82.9%
  3. लोकल एरिया बैंक - 76.4%
  4. को-ऑपरेटिव बैंक - 66.5%

SBI की रिपोर्ट बता रही है कि अमेरिकी बैंक में रखे पैसे कितने सेफ?

  • टॉप-10 बैंक - 38.4-66%
  • छोटे बैंक - 30-45%

अमेरिकी बैंकों की हालत खराब

अमेरिका के बैंकों में वहां के स्टार्टअप ने पैसा जमा किया हुआ था। आर्थिक अस्थिरता के बीच स्टार्टअप्स ने पैसा निकालना शुरू कर दिया। बैंक के पास पैसे नहीं थे। इसके लिए उन बैंकों को अपने खरीदे हुए बॉन्ड्स बेचने पड़े। बॉन्ड को बेचने में करीब 15000 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया। दरअसल, बैंक जमा किए गए पैसों से सरकार द्वारा जारी किए गए बॉन्ड खरीदते हैं। ताकि समय के साथ उन्हें उन पैसे से कमाई हो सके। अमेरिका की सरकार ने बॉन्ड पर दिए जाने वाले ब्याज दर में महंगाई और मंदी के चलते ब्याज दर कम कर दिया था, जिसके चलते बैंकों को बॉन्ड बेचने पर घाटा उठाना पड़ा। इसके बाद बैंकों ने 20,000 करोड़ का कैश इश्यू जारी किया। इससे बाजार में ये खबर फैल गई कि बैंकों के पास पैसे नहीं हैं और उसका असर उन बैंकों के शेयर पर पड़ा। देखते ही देखते ये बैंक दिवालिया घोषित हो गए। दिवालिया हुए बैंकों की लिस्ट में सिर्फ एक बैंक नहीं, बल्कि अब तक अमेरिका के दो और यूरोप के सबसे बड़े बैंक क्रेडिट सुईस भी शामिल हो चुका है।

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