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Vodafone Idea, Airtel और Tata Tele ने कहा AGR कैलकुलेशन में हुई गलती, SC ने फैसला रखा सुरक्षित

टेलीकॉम ऑपरेटर्स को दूरसंचार विभाग द्वारा मांगे गए कुल बकाया का 10 प्रतिशत 31 मार्च, 2021 तक भुगतान करना होगा और शेष राशि का भुगतान वार्षिक किस्तों में 31 मार्च, 2031 तक करना होगा।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: July 19, 2021 18:54 IST
AGR dues SC to pass orders on Vodafone Idea, Bharti Airtel and Tata Tele pleas raising issue of erro- India TV Paisa
Photo:PTI

AGR dues SC to pass orders on Vodafone Idea, Bharti Airtel and Tata Tele pleas raising issue of error in calculation

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टेलीकॉम कंपनियों वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea), भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और टाटा टेली सर्विसेस लि. (Tata Tele Services) की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इन तीनों कंपनियों ने एडजस्‍टेड ग्रॉस रेवेन्‍यू (AGR) की गणना में कथित गलतियों का मुद्दा उठाया है। तीनों कंपनियों को एजीआर बकाये का भुगतान करना है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में टेलीकॉम कंपनियों को सरकार को चुकाए जाने वाले बकाया 93,520 करोड़ रुपये के एजीआर के भुगतान के लिए 10 साल का वक्‍त दिया था।

जस्टिस एलएन राव की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित इस संबंध में पूर्व आदेश का संदर्भ लिया और यह देखा कि उसमें कहा गया है कि एजीआर संबंधी बकाये की दोबारा गणना नहीं की जा सकती। हालांकि, कंपनियों ने दलील दी है कि गणितीय गलतियों को सुधारा जाना चाहिए और यहां दोहरी प्रविष्टियों के कई मामले भी हैं।  

वोडाफोन आइडिया की ओर से पेश वरिष्‍ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह इसके लिए दूरसंचार विभाग पर आरोप नहीं लगा रहे हैं लेकिन एजीआर की गणना में कई अर्थमेटिकल गलतियां हैं। उन्‍होंने कहा कि वह विभाग के समक्ष इन गलतियों को रखना चाहते हैं ताकि वह इन पर पुन:विचार कर सकें। रोहतगी ने कहा कि संख्‍या को पत्‍थर पर नहीं लिखा गया है और विभिन्‍न ट्रिब्‍यूनल्‍स के पास रिव्‍यू करने का अधिकार नहीं है लेकिन उनके पास अर्थमेटिकल गलतियों को सुधारने की शक्ति है। उन्‍होंने कहा कि मुझे इन प्रविष्टियों को दूरसंचार विभाग को बताने की अनुमति दी जाए ताकि वह इस पर कोई निर्णय ले सकें।

  

एयरटेल की ओर से पेश वरिष्‍ठ वकील एएम सिंघवी ने कहा कि यहां प्रविष्टियों के दोहरीकरण के कई मामले हैं और भुगतान किया जा चुका है लेकिन उसका कोई लेखाजोखा नहीं है। उन्‍होंने कहा कि इन मुद्दों पर दूरसंचार विभाग को विचार करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि मैं इन गलतियों के लिए हजारों करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करना चाहता। टाटा टेलीसर्विसेस के वरिष्‍ठ वकील अरविंद दातार ने कहा कि गणना में गलतियों को सुधारा जा सकता है।  

पीठ ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से टेलीकॉम कंपनियों द्वारा उठाए गए मुद्दे पर उनकी राय मांगी। मेहता ने कहा कि मुझे इस पर अभी तक कोई स्‍पष्‍ट रूप से कुछ नहीं पता है। उन्‍होंने कहा कि वह इस पर अगले एक-दो दिन में अपना जवाब देंगे। उन्‍होंने कहा कि इस पर बिना पढ़े कुछ भी कहना मेरे लिए अभी मुश्किल होगा। अगले एक या दो दिन में मैं इस पर उचित जवाब दूंगा।

दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों द्वारा अपनी संपत्ति के रूप में स्‍पेक्‍ट्रम को ट्रांसफर या बेचने के सवाल सहित अन्‍य याचिकाओं पर दो हफ्ते बाद सुनवाई की जाएगी। पिछले साल सितंबर के आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा था कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स को दूरसंचार विभाग द्वारा मांगे गए कुल बकाया का 10 प्रतिशत 31 मार्च, 2021 तक भुगतान करना होगा और शेष राशि का भुगतान वार्षिक किस्‍तों में 31 मार्च, 2031 तक करना होगा।  

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