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सऊदी अरामको ने भारत की विशाल रिफाइनरी में हिस्सेदारी के लिए विशेष बातचीत की मांग की

तेल क्षेत्र की बड़ी कंपनी सऊदी अरामको दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनरी सह पेट्रोकेमिकल परिसर में हिस्सेदारी खरीदने के लिए विशेष बातचीत करने को इच्छुक है।

Ankit Tyagi
Published : Jun 15, 2017 02:58 pm IST, Updated : Jun 15, 2017 04:12 pm IST
सऊदी अरामको ने भारत की विशाल रिफाइनरी में हिस्सेदारी के लिए विशेष बातचीत की मांग की- India TV Paisa
सऊदी अरामको ने भारत की विशाल रिफाइनरी में हिस्सेदारी के लिए विशेष बातचीत की मांग की

नई दिल्ली। तेल क्षेत्र की बड़ी कंपनी अरामको दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनरी सह पेटोकेमिकल परिसर में हिस्सेदारी खरीदने के लिए विशेष बातचीत करने को इच्छुक है। भारत की 40 अरब डालर की लागत से महाराष्ट में यह परिसर बनाने की योजना है। पेटोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि पिछले महीने वियना में सऊदी अरब के ऊर्जा, उद्योग एवं खनिज संसाधन मंत्री एवं सऊदी अरामको के चेयरमैन खालिद ए अल फलीह ने उनके साथ भेंट के दौरान छह करोड़ टन क्षमता की रिफाइनरी और 1-1.2 करोड़ टन के पेटोरसायन परिसर में हिस्सेदारी खरीदने में रुचि प्रकट की थी।

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रिफाइनरी में हिस्सेदारी के लिए विशेष बातचीत की मांग

उन्होंने यहां आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल द्वारा इस विशाल परिसर की स्थापना के लिए संयुक्त उपक्रम संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद कहा, उन्होंने कहा कि सऊदी अरामको शुरू से ही इस मेगा रिफाइनरी में साझोदारी करने को इच्छुक है । वैसे सउदी अरामको पहले ग्रीनफील्ड रिफानरियों में इच्छुक थी लेकिन उसकी यह इच्छा निवेश में तब्दील नहीं हो सकी।

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 सउदी अरामको पहले भी कर चुकी है हिस्सा खरीद की इच्छा जाहिर

दुनिया की यह सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी 90 लाख टन क्षमता की बठिंडा रिफाइनरी में इच्छुक थी लेकिन वह 1998 में उससे अलग हो गयी। उसके बाद स्टील उद्योगपति एन मित्‍तल के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रम के तौर पर एचपीसीएल ने यह रिफाइनरी स्थापित की।

इसी तरह आईओसी की ओडिशा की पारादीप रिफाइनरी में शुरु में रुचि दिखाई थी लेकिन 2006 में वह उससे अलग हो गयी। वैसे इस बार प्रधान को पूरा विश्वास है कि अरामको अबकी बार गंभीर है। उन्होंने कहा, वे कह रहे हैं कि (हिस्सेदारी के लिए) कृपया हमसे विशेष बातचीत कीजिए। वे कहते हैं कि की आपको किसी और से बात करने की जरुरत नहीं है। सउदी अरामको के अलावा अबू धाबी नेशनल ऑयल ने भी इस परियोजना में हिस्सेदारी लेने में रुचि दिखाई थी।

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