विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकालने का सिलसिला लगातार जारी है। एफपीआई दिसंबर के पहले हफ्ते में भारतीय शेयर बाजारों से 11,820 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर पैसे निकाल लिए, जिसका दबाव साफतौर पर मार्केट में देखने को मिला। एफपीआई की इस निकासी का मुख्य कारण रुपये की वैल्यू में तेज गिरावट है। नवंबर में 3765 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर पैसे निकालने के बाद ये तेज बिकवाली हुई है और इससे बाजार पर दबाव बढ़ा है। विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में 14,610 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिससे तीन महीने की भारी बिकवाली का सिलसिला टूट गया था। हालांकि, नवंबर में एक बार फिर उन्होंने बिकवाली शुरू कर दी।
रुपये में भारी गिरावट से चिंतित हैं विदेशी निवेशक
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सितंबर में 23,885 करोड़ रुपये, अगस्त में 34,990 करोड़ रुपये और जुलाई में 17,700 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर पैसे निकाले गए थे। एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, इस महीने (दिसंबर, 2025) के पहले हफ्ते में एफपीआई ने इक्विटी से 11,820 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की। इससे 2025 में कुल निकासी 1.55 लाख करोड़ रुपये हो गई। जानकारों के अनुसार ताजा बिकवाली का मुख्य कारण भारतीय मुद्रा रुपये से जुड़ी चिंताएं हैं। बताते चलें कि गुरुवार, 4 दिसंबर को रुपया 28 पैसे टूटकर अबतक के सबसे निचले स्तर 90.43 प्रति डॉलर पर पहुंच गया था।
पिछले हफ्ते बाजार में हुआ फ्लैट कारोबार
बताते चलें कि पिछले हफ्ते बाजार ने बिल्कुल फ्लैट कारोबार किया था। इस दौरान, बीएसई सेंसेक्स महज 5.7 अंक चढ़कर बंद हुआ। जबकि एनएसई निफ्टी 16.5 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ था। जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि इस साल रुपया करीब पांच प्रतिशत कमजोर हुआ है, जिस वजह से एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं। हालांकि, एफपीआई की निकासी के बावजूद घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की मजबूत खरीदारी से बाजार को सहारा मिला। इसी अवधि में डीआईआई ने 19,783 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।



































