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ई-कचरे से बड़े पैमाने पर हो सकता है रोजगार का सृजन, भारतीय मूल के वैज्ञानिक ने बताया तरीका

एक भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के बेकार होने से विशाल आर्थिक लाभ तथा रोजगार सृजन की संभावनाएं होती हैं और प्रतिवर्ष 20 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न करने वाले भारत को निश्चित रूप से बहुत लाभ होगा।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : July 15, 2018 17:43 IST
E-Waste- India TV Paisa

E-Waste

नई दिल्ली। आज के समय में स्मार्टफोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप, प्रिंटर और अन्य इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों के फेंके गए पुर्जो को नष्ट करना तथा प्रभावशाली प्रबंधन करना बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन एक भारतीय मूल के ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के बेकार होने से विशाल आर्थिक लाभ तथा रोजगार सृजन की संभावनाएं होती हैं और प्रतिवर्ष 20 लाख टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा उत्पन्न करने वाले भारत को निश्चित रूप से बहुत लाभ होगा।

सिडनी स्थित 'नॉर्थ-साउथ वेल्स विश्वविद्यालय' में पदार्थ वैज्ञानिक वीना सहजवल्ला ने कहा कि ई-कचरे से रोजगार उत्पन्न करने का समाधान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत और मेक इन इंडिया अभियान में भी है।

सहजवल्ला ने 'माइक्रोफैक्ट्रीज' नामक मशीन का आविष्कार किया है। इसकी सहायता से ई-कचरे को दोबारा उपयोग में लाने योग्य पदार्थ में बदला जाता है, जिससे बाद में 3डी प्रिंटिंग बनाने के लिए मिट्टी या प्लास्टिक के फिलामेंट बनाए जाते हैं। ई-कचरे में से सोना, चांदी, कॉपर, पैलेडियम जैसी उच्च ग्रेड की धातुओं को दोबारा बेचने के लिए अलग-अलग किया जा सकता है और यह पूरी तरह सुरक्षित है।

भारत के लिए फायदे का सौदा होने की बात को समझाते हुए वे बताती हैं कि भारत में गलियों में कचरा इकट्ठा करने वालों की संख्या बहुत है। उन्हें रोजगार दिया जा सकता है, प्रशिक्षित किया जा सकता है और माइक्रोफैक्ट्रीज के बारे में बताया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत के पास पहले से ही कबाड़ी बाले, जमीनी स्तर पर कूड़ा बटोरने वाले हैं, जो कूड़े को बटोरकर उसे उसकी श्रेणी के हिसाब से अलग करते हैं और भारत का ये सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू है।

मुंबई में जन्मीं और 'आईआईटी-कानपुर' में 'धातु कर्म' विभाग की पूर्व छात्रा वीना ने कहा कि हमें और सरकार को उन्हें सिर्फ प्रौद्योगिकी, कचरा रखने के लिए माइक्रोफैक्ट्रीज को स्थापित करने और इसका उपयोग करने का प्रशिक्षण देने की जरूरत है। इसके बाद ये लोग ई-कचरे को जलाने की अपेक्षा किसी जहरीले अपशिष्ट को उत्पन्न किए बगैर टिकाऊ और सुरक्षित वातावरण में काम करेंगे।"

उन्होंने कहा कि इस तरीके से हम कबाड़ी बालों और कचरा बीनने वालों को बेरोजगार नहीं करेंगे, बल्कि रोजगार के और अवसर उत्पन्न होंगे।

विज्ञान में अपने उल्लेखनीय योगदान के लिए 2011 में प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ सम्मान 'प्रवासी भारतीय सम्मान' के अलावा अन्य पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त कर चुकीं वीना ने दिल्ली के सीलमपुर में एक माइक्रोफैक्ट्री स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। सीलमपुर राजधानी में मोबाइल फोन और कम्प्यूटरों का डिजिटल कब्रगाह है।

उन्होंने कहा कि यह हमारे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करेगा। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया अभियान को सफल बनाने के लिए शुरुआती निवेश जरूरी है। एक छोटे निवेशक के पास कुछ करने के लिए पर्याप्त धन नहीं होता है। प्रधानमंत्री अगर 'मेक इन इंडिया' अभियान को लेकर आशान्वित हैं, तो शुरुआती निवेश और वित्त जरूरी है।

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