Saturday, May 11, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. बचत पर मिलने वाले ऊंचे ब्‍याज पर जेटली ने उठाए सवाल

बचत पर मिलने वाले ऊंचे ब्‍याज पर जेटली ने उठाए सवाल

निजी क्षेत्र में निवेश के अभी भी गति न पकड़ने के बीच वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बचत पर ऊंची ब्याज दरों को लेकर सवाल उठाए।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: July 09, 2016 16:42 IST
बचत पर मिलने वाले ऊंचे ब्‍याज पर जेटली ने उठाए सवाल, कहा इससे इकोनॉमी की रफ्तार होती है धीमी- India TV Paisa
बचत पर मिलने वाले ऊंचे ब्‍याज पर जेटली ने उठाए सवाल, कहा इससे इकोनॉमी की रफ्तार होती है धीमी

नई दिल्‍ली। निजी क्षेत्र में निवेश के अभी भी गति न पकड़ने के बीच वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बचत पर ऊंची ब्याज दरों को लेकर सवाल उठाए। उन्‍होंने कहा कि यह सोचने वाली बात है कि क्या हमें बचत पर ऊंची ब्याज दर जारी रखनी चाहिए क्योंकि इससे कर्ज महंगा होता है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होती है।

उन्होंने कहा कि भारत की स्थिति इस मामले में काफी विचित्र है, क्योंकि यहां घरेलू बचत दर भी काफी ऊंची है। जेटली ने सवाल उठाते हुए कहा, क्या हमें घरेलू बचत का प्रयोग केवल ऊंची ब्याज आय वाले साधनों में ही करना चाहिए और ऐसी ब्याज व्यवस्था बनानी चाहिए जो कि बहुत महंगी हो और अर्थव्यवस्था को धीमी बनाती हो या फिर हमें ऊंची ब्याज दरें ऐसे कोषों, बांड और शेयरों के माध्यम से मिलनी चाहिए (जो कि आर्थिक गतिविधियों और परियोजनाओं का वित्तपोषण करते हैं)।

टैक्स चोरों को मिल सकती है और मोहलत, किस्तों में भी कर सकेंगे ब्लैकमनी को व्हाइट

उन्होंने यह बात यहां बीएसई के 140 वर्ष पूरे होने की स्मृति में डाक टिकट जारी करने के दौरान कही। जेटली ने कहा कि सारी आर्थिक गतिविधियों का सार निवेश में है और यह वहां से आता है जहां संसाधन उपलब्ध होते हैं। उन्होंने कहा, इनमें से कई सारे माध्यम सुरक्षित निवेश भी हैं, जो लोगों को एक बहुत अच्छा मुनाफा देते हैं। यही वह आधार है जिस पर दुनियाभर के पेंशन कोष काम कर रहे हैं। मेरा मानना है कि इन माध्यमों से हम अगले कुछ सालों और दशकों में वृद्धि कर सकते हैं। अधिक से अधिक अवसर हमारे पास आएंगे। वित्त मंत्री अरुण जेटली के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा और लंबे समय के निवेश की जरूरत है ताकि दशकों से व्याप्त बुनियादी ढांचे और औद्योगिकीकरण  के घाटे की खाई को पाटा जा सके।

उन्‍होंने कहा, और सभी तरह की गतिविधियों का शुरुआती बिंदु निवेश होना चाहिए। यह संसाधनों को जुटाकर होना चाहिए, यह निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों से और कभी-कभी सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये होना चाहिए,  जो यह सुनिश्चत करे कि घाटे की भरपाई हो सके। जेटली ने कहा कि इस संबंध में बीएसई एक महत्वपूर्ण संस्थान है। पिछले कुछ सालों के दौरान भारत में गतिविधियां बढ़ी हैं। यह वृद्धि आवश्यक रूप से सार्वजनिक निवेश और एफडीआई बढ़ने से आई है। विकास की इस प्रक्रिया में निजी क्षेत्र का उल्लेखनीय निवेश अभी दिखना बाकी है।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement