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Maruti Suzuki ने दी चेतावनी सरकार ने नहीं मानी बात तो जल्‍द महंगे होंगे वाहन, उत्‍सर्जन नियमों के नए चरण को टालने की मांग

सीएएफई लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में ऑटो निर्माता कंपनियों को एक प्रभावी पावरट्रेन विकल्प की तलाश करनी होगी, जिसके लिए अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता होगी।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: August 13, 2021 16:56 IST
Maruti Suzuki said automakers to increase vehicle prices if  implement next stage of emission norms- India TV Paisa
Photo:INDIA TV

Maruti Suzuki said automakers to increase vehicle prices if  implement next stage of emission norms

नई दिल्‍ली।  देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता मारुति सुजुकी इंडिया (Maruti Suzuki India) ने कहा है कि अगले साल से देश में उत्सर्जन नियमों का नया चरण लागू होने से वाहन कंपनियां कीमतें बढ़ाने के लिए बाध्य होंगी, जिससे पहले से ही गंभीर मंदी का सामना कर रहे उद्योग की बिक्री में और गिरावट आएगी। कंपनी ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कारों की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है, जिससे लोगों के लिए नए वाहन खरीदना मुश्किल हो रहा है। एमएसआई के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि सीएएफई (कॉरपोरेट औसत ईंधन दक्षता) नियमों के नए चरण को लागू करने का यह सही समय है।

भार्गन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से कारों की कीमतें बढ़ रही हैं। अब कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि लोग कार नहीं खरीद पा रहे हैं, इसलिए उद्योग की वृद्धि शून्य हो गई है। लागत को और बढ़ाने से, खासकर जब कोविड की अवधि के दौरान लोगों की आय नहीं बढ़ी है, उद्योग को और नुकसान होगा। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम ने भी सीएएफई चरण-2 नियमों को टालने और इसे एक अप्रैल, 2024 से लागू किए जाने की मांग की है। हालांकि सरकार ने इन मांगों को लेकर अब तक कुछ नहीं कहा है। 

कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल इकोनॉमी (सीएएफई) नियमों को बीएस-6 उत्‍सर्जन नियमों के साथ एकीकृत किया गया है और यह वाहन कार्बन उत्‍सर्जन को कम करने के सरकारी प्रयासों का एक हिस्‍सा है। सीएएफई लक्ष्‍यों को पूरा करने की दिशा में ऑटो निर्माता कंपनियों को एक प्रभावी पावरट्रेन विकल्‍प की तलाश करनी होगी, जिसके लिए अतिरिक्‍त निवेश की आवश्‍यकता होगी।  

पहले चरण (2017-2022) में सीएएफई नियमों के तहत एवरेज कॉरपोरेट कार्बन डाईऑक्‍साइज उत्‍सर्जन 130ग्राम/किमी से कम करने की आवश्‍यकता है। चरण दो (2022 से) उत्‍सर्जन को और घटाकर 113ग्राम/किमी करने की आवश्‍यकता होगी। भार्गव ने कहा कि किसी उद्योग के विकास में बिक्री एक महतवपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्‍होंने कहा कि जितना अधिक ग्राहक खरीदारी करेंगे, उतना ही अधिक उद्योग वृद्धि करेंगे।

सियाम के एक अध्‍ययन के मुताबिक 2010 तक भारतीय कार उद्योग की वृद्धि दर 12.9 प्रतिशत वार्षिक थी, 2010-15 में यह घटकर 5.7 प्रतिशत और 2015-20, और कोविड से पहले यह और घटकर 1.3 प्रश्तिात रह गई। कोविड अवधि के दौरान यह नकारात्‍मक हो गई। सीएएफई स्‍टैंडर्ड पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और एलपीजी से चलने वाले वाहनों पर लागू हैं।

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