मुंबई। पतंजलि आयुर्वेद को रुचि सोया को खरीदने की दौड़ में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। एसबीआई के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं के समूह ने मंगलवार को पतंजलि की दूसरी संशोधित बोली को 96 प्रतिशत वोटों के साथ स्वीकार कर लिया है। पतंजलि आयुर्वेद ने बुधवार को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से विस्तरित समाधान योजना जमा करने के लिए समय की मांग की है। पतंजलि आयुर्वेद ने खाद्य तेल कंपनी रुचि सोया को खरीदने के लिए 4,325 करोड़ रुपए की संशोधित बोली लगाई थी।
रुचि सोया पर बैंकों का 9,345 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। इससे पहले पतंजलि ने 1700 करोड़ रुपए की कार्यशील पूंजी के साथ 4,160 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। तब बैंकों ने इस बोली को बहुत कम बताते हुए अस्वीकार कर दिया था।
पतंजलि के प्रवक्ता एसके तिजारावाला ने इस बात की पुष्टि की है कि कंपनी की बोली स्वीकार कर ली गई है। इसके बारे में कंपनी को सूचना प्राप्त हो गई है। वोटिंग हमारे पक्ष में हुई है। गुरुवार को हमें वोटिंग परिणाम बताए जाएंगे और इसके बाद हम आगे की कार्रवाई करेंगे।
वीपी सिंह और रविकुमार दुरईसामी की बेंच ने पतंजलि को विस्तृत समाधान योजना पेश करने के लिए समय देते हुए अगली सुनवाई 7 मई को तय की है। अडानी विल्मर के पिछले साल इस दौड़ से बाहर निकलने के साथ ही पतंजलि को वॉकओवर मिल गया था। रुचि सोया का अधिग्रहण करने के साथ पतंजलि सोयाबीन तेल और अन्य उत्पादों में एक प्रमुख खिलाड़ी बन जाएगी।
दिसंबर 2017 में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और डीबीएस बैंक के आवेदन पर एनसीएलटी ने रुचि सोया के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था और समाधान पेशेवर के रूप में शैलेंद्र अजमेरा को नियुक्त किया था। रुचि सोया को खरीदने के लिए पतंजलि अकेली कंपनी बची थी, जिसने पिछले महीने अपनी बोली को 140 करोड़ रुपए बढ़ाकर 4325 करोड़ रुपए कर दिया था।
रुचि सोया पर बैंकों का 9,345 करोड़ रुपए का ऋण बकाया है। इसमें एसबीआई का 1800 करोड़ रुपए, सेंट्रल बैंक का 816 करोड़ रुपए, पंजाब नेशनल बैंक का 743 करोड़ रुपए और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक का 608 करोड़ रुपए बकाया है।