अडाणी ग्रुप की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को उत्तराखंड में सोनप्रयाग और केदारनाथ के बीच 13 किलोमीटर लंबे रोपवे प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन का ठेका मिला है। ये प्रोजेक्ट तीर्थयात्रियों के लिए तेज, सुविधाजनक और पर्यावरण के अनुकूल यात्रा का विकल्प प्रदान करेगी। सोनप्रयाग, केदारनाथ मंदिर की तरफ जाने वाले यात्रियों के लिए सड़क मार्ग का आखिरी पॉइंट है। इस रोपवे प्रोजेक्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसी साल मार्च में मंजूरी दी थी। इसकी अनुमानित लागत लगभग 4,081 करोड़ रुपये है। अभी सोनप्रयाग से केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए 16 किमी की कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है। इसके अलावा खच्चर, पालकी और हेलिकॉप्टर से भी केदारनाथ तक पहुंचने की सुविधा उपलब्ध है। करीब 13 किलोमीटर लंबे इस रोपवे से केदारधाम पहुंचने में सिर्फ 36 मिनट का समय लगेगा, जबकि अभी 8 से 9 घंटे लगते हैं।
कब तक पूरा होगा सोनप्रयाग-केदारनाथ धाम रोपवे प्रोजेक्ट का काम
इस रोपवे के जरिए एक तरफ से हर घंटे 1,800 यात्रियों को पहुंचाया जा सकेगा। इसके निर्माण से हर साल लाखों तीर्थयात्रियों को सुविधा मिलेगी। अडाणी एंटरप्राइजेज ने सोमवार को एक बयान में कहा कि उसे सोनप्रयाग से केदारनाथ को जोड़ने वाले प्रतिष्ठित रोपवे प्रोजेक्ट के निर्माण के लिए नेशनल हाइवेज लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) से कॉन्ट्रैक्ट अलॉटमेंट लेटर मिल गया है। अडाणी ग्रुप की प्रमुख कंपनी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन उसके रोड, मेट्रो, रेल एंड वॉटर डिवीजन द्वारा किया जाएगा। ये नेशनल रोपवे डेवलपमेंट प्रोग्राम- पर्वतमाला परियोजना के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर डेवलप किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट का निर्माण करीब 6 साल में पूरा होगा।
प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद 29 सालों तक सर्विस ऑपरेट करेगा अडाणी ग्रुप
सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक रोपवे का निर्माण पूरा होने के बाद अडाणी एंटरप्राइजेज इसे 29 सालों तक ऑपरेट करेगा। अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने कहा, ‘‘केदारनाथ रोपवे सिर्फ एक इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट से ज्यादा है। ये भक्ति और आधुनिक अवसंरचना के बीच एक पुल है। तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुरक्षित और तेज बनाने के साथ ये उत्तराखंड के लोगों के लिए रोजगार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।’’ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में करीब 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां हर साल करीब 20 लाख श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और ये साल में लगभग छह महीनों के लिए खुला रहता है।



































