Highlights
- देश के करीब 10 राज्यों के बिजली घरों में कोयला सीमित मात्रा में बचा है
- देशभर में बिजली संकट और गहराने की आशंका जताई जा रही है
- यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब सहित दस राज्यों में कोयले की भारी किल्लत
नई दिल्ली। देश भर में इस समय भीषण गर्मी का दौर जारी है। गर्मी के बीच बिजली की मांग में जोरदार इजाफा हुआ है। इस बीच यदि आप घर में बैठकर कूलर एसी के साथ राहत की उम्मीद कर रहे हैं तो आपको देश में कोयले के संकट पर भी नजर रखनी होगी। देश के करीब 10 राज्यों के बिजली घरों में कोयला सीमित मात्रा में बचा है। ऐसे में देशभर में बिजली संकट और गहराने की आशंका जताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार यूपी, महाराष्ट्र, पंजाब सहित देश में बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दस राज्यों में कोयले की भारी किल्लत हो गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, गर्मी शुरू होने के साथ ही देश के बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार नौ साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। दूसरी ओर बिजली की मांग बढ़ रही है। ऐसे में डिमांड और सप्लाई के बढ़ते अंतर के चलते बिजली की कटौती बढ़ गई है। देश के आर्थिक केंद्र महाराष्ट्र में कई साल बाद अनिवार्य बिजली कटौती की स्थिति बन गई है।
इन राज्यों में सबसे ज्यादा कोयले की किल्लत
देश भर के पावर प्लांट में देश के पूर्वी भाग जैसे छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड सहित उत्तर पूर्वी राज्यों से कोयले की सप्लाई होती है। इसके अलावा विदेश से आयातित कोयला भी बिजली उत्पादन में प्रयोग किया जाता है। लेकिन इस समय उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तेलंगाना के प्लांट कोयले की किल्लत से जूझ रहे हैं।
डिमांड सप्लाई में अंतर बढ़ा
कोरोना के बाद देश भर में औद्योगिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। फैक्ट्रियों की ओर से बिजली की मांग दो साल के उच्च स्तर पर आ रही है। वहीं प्रचंड गर्मी से घरेलू बिजली की मांग में भी इजाफा हुआ है। ऐसे में डिमांड सप्लाई में अंतर गहराने लगा है। महाराष्ट्र में मांग के मुकाबले 2500 मेगावाट बिजली कम है। यहां बिजली की डिमांड 28000 मेगावाट है, जो बीते साल के मुकाबले 4000 मेगावाट अधिक है। यूपी में 21 से 22 हजार मेगावाट बिजली की मांग है। जबकि सिर्फ 19 से 20 हजार मेगावाट बिजली ही मुहैया हो पा रही है।
बिजली की मांग 1.4% बढ़ी
सरकारी आंकड़ों बताते हैं कि अप्रैल के पहले सप्ताह से ही बिजली की मांग बढ़ने लगी है। पिछले एक सप्ताह में 1.4% मांग बढ़ने से बिजली संकट गहराया है। यह आंकड़ा अक्तूबर में हुए बिजली संकट के समय की मांग से भी अधिक है। अक्तूबर में गंभीर कोयला संंकट के दौरान बिजली की मांग एक फीसदी बढ़ी थी। हालांकि मार्च में बिजली की मांग में 0.5 फीसदी की कमी आई थी।
5 दिन का बचा कोयला
उत्तर प्रदेश में डिमांड और सप्लाई की समस्या गहरा रही है। राज्य की इकाइयां 4587 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही हैं। 7703 मेगावाट आपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा हो रही है। अनपरा, ओबरा परियोजनाओं में चार-पांच दिन का कोयला बचा है। जबकि 15 दिन का स्टॉक होना चाहिए।