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महंगा क्रूड ऑयल चिंता का विषय लेकिन GDP की रफ्तार नहीं पड़ेगी धीमी, नीति आयोग ने दी ये अहम जानकारी

अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें 10 महीनों में पहली बार 90 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गई। वर्तमान में 92 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं। कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने पहली तिमाही के आंकड़ों को देखने के बाद अपने अनुमानों में बदलाव किया है।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: September 21, 2023 14:03 IST
GDP- India TV Paisa
Photo:FILE जीडीपी

नीति आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने गुरुवार को कहा कि कच्चे तेल (क्रूड ऑयल ) की ऊंची कीमतों और ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़ी अनिश्चितता के बावजूद चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था करीब 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। विरमानी ने यह भी कहा कि भारत में सकल घरेलू बचत अनुपात लगातार बढ़ा है। नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि मेरा वृद्धि अनुमान (भारत की जीडीपी वृद्धि का) 6.5 प्रतिशत है क्योंकि मुझ लगता है कि वैश्विक जीडीपी में उतार-चढ़ाव से कमोबेश सामंजस्य बैठा लिया गया है। अमेरिका स्थित कुछ अर्थशास्त्रियों के भारत के आर्थिक वृद्धि को बढ़ा-चढ़ाकर बताने का दावा करने पर विरमानी ने कहा कि उन्होंने देखा है कि कुछ पूर्व अधिकारियों को यह पता नहीं था कि जीडीपी का निर्माण कैसे किया जाता है क्योंकि वे अकादमिक पृष्ठभूमि से आए हैं। 

कच्चे तेल की कीमतें 92 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंची 

अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें 10 महीनों में पहली बार 90 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गई। वर्तमान में 92 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ हाल ही में, हमने देखा है कि जब तेल की कीमतें उचित स्तर पर आने लगीं तो उसने (सऊदी अरब ने) तेल उत्पादन में कटौती कर दी और रूस ने भी ऐसा ही किया। ’’ विरमानी के अनुसार अल नीनो की स्थिति का मुद्दा फिर सामने आया है और जलवायु परिवर्तन के कारण अनिश्चितता बढ़ गई है। घरेलू बचत के पांच दशक के निचले स्तर पर गिरने के बारे में किए सवाल पर विरमानी ने कहा कि सकल घरेलू बचत नहीं, बल्कि शुद्ध घरेलू बचत गिर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ सकल घरेलू बचत अनुपात लगातार बढ़ा है। शुद्ध घरेलू बचत अनुपात कम हो रहा है क्योंकि उपभोक्ता ऋण तेजी से बढ़ रहा है।’’ 

बढ़ी हुई जीडीपी की आलोचना को खारिज किया

वित्त मंत्रालय ने भी पिछले हफ्ते बढ़ी हुई जीडीपी की आलोचना को खारिज किया था और कहा था कि उसने आर्थिक वृद्धि की गणना के लिए आय पक्ष के अनुमानों का इस्तेमाल करने की निरंतर प्रथा का पालन किया है। मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने पहली तिमाही के आंकड़ों को देखने के बाद अपने अनुमानों में बदलाव किया है। भारत की 2022-23 की आर्थिक वृद्धि दर (जीडीपी) 7.2 प्रतिशत रही थी, जो 2021-22 से 9.1 प्रतिशत कम है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा कि भारत के लिए ‘‘कच्चे तेल की कीमतें’’ चिंता का विषय बनी है। विरमानी ने कहा, ‘‘ अगर हम 10 साल पहले की बात करें। सऊदी अरब और अमेरिका कमोबेश एक ही भू-राजनीतिक मंच पर थे और वे चीजों का समन्वय करते थे। लेकिन पिछले पांच वर्षों में यह स्थिति बदल गई है।’’ 

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