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IPO का भाव सुझाना SEBI का काम नहीं, कंपनियां प्राइस बैंड तय करने की प्रक्रिया का खुलासा करें

IPO: आप किस मूल्य पर आईपीओ लाना चाहते हैं यह देखना आपका काम है। हमारा इसके बारे में सुझाव देने का काम नहीं है।’’

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: September 13, 2022 15:35 IST
IPO- India TV Paisa
Photo:FILE IPO

Highlights

  • कंपनियों को इस बारे में अधिक खुलासा करना चाहिए
  • आईपीओ के मूल्य को लेकर काफी कुछ कहा जाता है
  • कंपनी ऊंचा दाम मांगने के लिए स्वतंत्र है

IPO: भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच का कहना है कि पूंजी बाजार नियामक काम नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकी कंपनियों के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के लिए मूल्य सुझाने का नहीं है। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कंपनियों को इस बारे में अधिक खुलासा करना चाहिए कि कैसे मूल्यांकन आईपीओ पूर्व नियोजन और निर्गम के लिए मांगे गए मूल्य के दौरान बदल गया।

फिक्की द्वारा आयोजित सम्मेलन में कही ये बातें

उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित सालाना पूंजी बाजार सम्मेलन को संबोधित करते हुए बुच ने मंगलवार कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी कंपनियों के आईपीओ के मूल्य को लेकर काफी कुछ कहा जाता है। आप किस मूल्य पर आईपीओ लाना चाहते हैं यह देखना आपका काम है। हमारा इसके बारे में सुझाव देने का काम नहीं है।’’ सेबी की पहली महिला प्रमुख बुच ने उदाहरण देते हुए कहा कि कोई कंपनी निवेशकों को 100 रुपये प्रति शेयर के भाव पर शेयर बेच रही है। लेकिन कुछ माह बाद जब वह आईपीओ लाती है, तो 450 रुपये का भाव मांगती है। उन्होंने कहा कि कंपनी ऊंचा दाम मांगने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन उसे यह खुलासा करना चाहिए कि इस बीच की अवधि में ऐसा क्या हुआ है जिससे शेयर का भाव इतना बढ़ गया है। यहां देखने में आया है कि नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकी कंपनियों ऊंचे मूल्यांकन से खुदरा निवेशक सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। भुगतान मंच पेटीएम का शेयर सूचीबद्धता के कुछ सप्ताह में ही आईपीओ के निर्गम मूल्य का एक-तिहाई रह गया। हालिया घटनाक्रमों पर सवाल पूछे जाने पर बुच ने कहा कि निवेश बैंकरों को इसका जवाब देना चाहिए।

हम सिर्फ आंकड़ों के आधार पर फैसला करते

उन्होंने कहा कि नियामक नियमन बनाते समय अपने रुख को लोकतांत्रिक रखेगा और यह सिर्फ आंकड़ों के आधार पर काम करेगा।’’ उन्होंने कहा कि पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत सेबी ने प्रत्येक ऐसे विभाग में एक से तीन अधिकारियों की नियुक्ति की है जिनका मुख्य स्रोत क्षेत्र नियमन पर ऐसे विचार लाना है जिससे उद्योग ‘प्रसन्न’ हो सके।’’ उन्होंने कहा कि नियामक सेबी कानून में बदलाव करना चाहता है जिससे यह नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ में संभावित विचारों का परीक्षण कर सकता है।

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