Thursday, December 25, 2025
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भारतीय रुपया चला 85 की ओर, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अबतक के सर्वाधिक निचले लेवल पर

विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि कमजोर घरेलू बाजारों और बढ़ते अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के चलते भारतीय रुपये में गिरावट आई। फेडरल ओपन मार्केट कमेटी द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती संभावनाओं और घरेलू बाजारों में कमजोरी के कारण रुपया नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Dec 16, 2024 10:09 pm IST, Updated : Dec 16, 2024 10:09 pm IST
रुपया का पिछला सर्वकालिक निचला स्तर 12 दिसंबर को रिकॉर्ड किया गया था, जब यह डॉलर के मुकाबले 84.88 पर- India TV Paisa
Photo:PIXABAY रुपया का पिछला सर्वकालिक निचला स्तर 12 दिसंबर को रिकॉर्ड किया गया था, जब यह डॉलर के मुकाबले 84.88 पर बंद हुआ था।

भारतीय मुद्रा पर दबाव बढ़ता नजर आ रहा है। सोमवार को रुपया 11 पैसे गिरकर 84.91 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 84.83 पर खुला और इंट्राडे के दौरान डॉलर के मुकाबले 84.93 के अब तक के सबसे निचले स्तर को छू गया। पीटीआई की खबर के मुताबिक, आखिर में यह 11 पैसे गिरकर 84.91 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। शुक्रवार को रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर से उछला और 8 पैसे की बढ़त के साथ 84.80 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रुपया का पिछला सर्वकालिक निचला स्तर 12 दिसंबर को रिकॉर्ड किया गया था, जब यह डॉलर के मुकाबले 84.88 पर बंद हुआ था।

इस वजह से लुढ़का रुपया

खबर के मुताबिक, विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि कमजोर घरेलू बाजारों और बढ़ते अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के चलते भारतीय रुपये में गिरावट आई। वैसे, नरम अमेरिकी मुद्रा ने गिरावट को कम किया। मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि फेडरल ओपन मार्केट कमेटी द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती संभावनाओं और घरेलू बाजारों में कमजोरी के कारण रुपया नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा।

रुपया पर इसका भी हो सकता है असर

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से भी रुपये पर दबाव पड़ सकता है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) फ्लो और मुद्रास्फीति में कमी से रुपये को निचले स्तरों पर सपोर्ट मिल सकता है। घरेलू वृहद आर्थिक मोर्चे पर, थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में सस्ते खाद्य पदार्थों के चलते 3 महीने के निचले स्तर 1. 89 प्रतिशत पर आ गई। नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5. 48 प्रतिशत पर आ गई और यह मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में कमी के कारण रिजर्व बैंक के आरामदायक स्तर के भीतर आ गई, जिससे फरवरी में नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​के नेतृत्व में केंद्रीय बैंक की दर-निर्धारण पैनल की बैठक में दरों में कटौती की गुंजाइश बनी।

सोमवार को जारी नवीनतम सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि नवंबर में भारत का निर्यात साल-दर-साल 4.85 प्रतिशत घटकर 32.11 अरब डॉलर रह गया, जबकि सोने के आयात में रिकॉर्ड उछाल के कारण व्यापार घाटा बढ़कर 37.84 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। अक्टूबर में निर्यात में दोहरे अंकों की वृद्धि देखी गई थी।

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