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Iran-Israel war : क्या सोमवार को धड़ाम हो जाएगा शेयर बाजार! निवेशकों के लिए कितना खतरनाक हो सकता है यह युद्ध?

Iran-Israel war impact on share market : ईरान स्वेज नहर को बंद करने की अपनी धमकी पर कायम है। ऐसे में सप्लाई चेन का मुद्दा अभी भी सबसे बड़ा जोखिम है। ईरान-इजराइल विवाद से शेयर बाजार पर काफी विपरीत असर पड़ सकता है।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Apr 14, 2024 17:18 IST, Updated : Apr 14, 2024 17:18 IST
इरान इजराइल विवाद का...- India TV Paisa
Photo:REUTERS इरान इजराइल विवाद का शेयर बाजार पर असर

Iran-Israel war impact on share market : ऑल टाइम हाई लेवल्स पर मौजूद भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को बड़ी बिकवाली देखने को मिल सकती है। क्योंकि शेयर बाजार के निवेशक ईरान द्वारा 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों के साथ इजराइल पर किये गए सैन्य हमले के नतीजों को लेकर चिंतित हैं। शुक्रवार को सेंसेक्स करीब 800 अंक गिर गया था, क्योंकि एफपीआई भारत-मॉरीशस टैक्स संधि में बदलाव और अमेरिका में उम्मीद से अधिक महंगाई दर के चलते करीब 1 अरब डॉलर के शुद्ध बिकवाल थे। विश्लेषकों का कहना है कि यह बिकवाली सोमवार को भी जारी रहेगी। 

100 डॉलर के पार जा सकता है कच्चा तेल

एक तो मार्केट जोखिमभरे तरीके से ऑल टाइम हाई लेवल्स पर हैं। बाजार को स्ट्रांग होने के लिए किसी वजह का इंतजार है। दूसरी तरफ ईरान-इजराइल युद्ध से उपजा भू-राजनीतिक तनाव बाजार को घुटनों पर ला सकता है। मिडिल-ईस्ट में तनाव का सबसे बड़ा प्रभाव कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ सकता है। पिछले हफ्ते ईरान द्वारा संदिग्ध इजरायली लड़ाकू विमान के हमले का जवाब देने की चिंता पर तेल की कीमतें छह महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गईं। अब वीकेंड पर आशंकाएं सच में बदल जाने के बाद विश्लेषकों को डर है कि कच्चे तेल की कीमतें जो शुक्रवार को 90 डॉलर प्रति बैरल के करीब बंद हुई थीं, अगले कुछ दिनों में 100 डॉलर के लेवल को पार कर सकती हैं।

सप्लाई चेन पर सबसे बड़ा जोखिम

सप्लाई चेन का मुद्दा अभी भी सबसे बड़ा जोखिम है, क्योंकि ईरान स्वेज नहर को बंद करने की अपनी धमकी पर कायम है। उच्च कमोडिटी कीमतें महंगाई के लिए काफी खतरनाक हैं। यहां तक कि बहुप्रतीक्षित रेट कट साइकल में भी देरी हो सकती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, रेट कट का समय और मात्रा बाजार के लिए प्रमुख ट्रिगर्स में से एक होने वाला है।

बढ़ेगी महंगाई

सिर्फ कच्चा तेल ही नहीं, बल्कि हाल के दिनों में सोना, चांदी, तांबा आदि जैसी कई दूसरी वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ रही हैं। इससे दुनियाभर में महंगाई बढ़ने की आशंका है। ऐसा हुआ तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को कम नहीं कर पाएंगे। वे ब्याज दर बढ़ा भी सकते हैं। इससे कंपनियों और ग्राहकों के लिए उधार लेना महंगा हो जाएगा। इससे कंपनियों का मुनाफा घटेगा और शेयर बाजार पर असर पड़ेगा। 

क्या करें निवेशक

विभिन्न एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेशक जोखिम भरे स्मॉलकैप्स और मिडकैप्स में अपने निवेश को कम करें और क्वालिटी लार्जकैप्स की ओर रुख करें। विश्लेषकों को बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ते बॉन्ड यील्ड के कारण भारत से और अधिक एफपीआई आउटफ्लो की आशंका है।

(यह सिर्फ जानकारी मात्र है। यह निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार जोखिमभरा होता है। कोई भी फैसला लेने से पहले अपने निवेश सलाहकार से परामर्श लें।)

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