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परिवार की सुरक्षा के लिए ले रहे हैं टर्म इंश्योरेंस, जानिए कब नहीं मिलता बीमे का फायदा

पॉलिसी लेते वक्त जानकारी छुपाना घाटे का सौदा बन सकता है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated : February 29, 2020 13:39 IST
Insurance- India TV Paisa

Insurance

नई दिल्ली। टर्म इंश्योरेंस परिवार और आश्रितों के भविष्य को सुरक्षित करने का सबसे आसान और सस्ता तरीका होता है। इसमे कम प्रीमियम देकर परिवार और आश्रितों के लिए बड़ी रकम सुरक्षित की जा सकती है, जो कि पॉलिसी खरीदने वाले शख्स की असमय मृत्यु के बाद उसके आश्रितों को मिल जाती है। अधिकांश टर्म पॉलिसी में डेथ बेनेफिट के अलावा कोई रिटर्न नहीं होता। वहीं कुछ नई पॉलिसी आई हैं जिसमें समय अवधि पूरी होने के बाद जमा किया गया मूल प्रीमियम वापस हो जाता है। मूल रूप से टर्म इंश्योरेंस निवेश का जरिया न होकर पॉलिसी धारक की मृत्यु के बाद उसके आश्रितों की आर्थिक सुरक्षा का जरिया है।  हालांकि कुछ मामले ऐसे भी हैं जिसमें पॉलिसी धारक की मृत्यु के बाद भी आश्रितों को कोई लाभ नहीं मिलता। इसमें से कुछ इंसान के नियंत्रण में हैं, तो पॉलिसी लेने के पहले जान लें जिससे आप बेहतर निवेश कर सकें

अपराध से जुड़ने पर हत्या या मौत

किसी अपराध से जुड़े होने पर हुई हत्या या मौत के मामले में बीमा कंपनियां क्लेम सेटल नहीं करती। हालांकि ये मामला पूरी तरह से पुलिस की जांच और कोर्ट पर निर्भर होता है। जबतक मामले का फैसला नहीं होता क्लेम पर विचार नहीं किया जाता। वहीं अंतिम फैसले में मौत अपराध से जुड़ने की वजह से साबित होती है तो पॉलिसी का लाभ नहीं मिलता। 

शराब, नशे की वजह से हुई मौत

अगर मौत किसी दुर्घटना की वजह से हो और ये साबित हो जाए कि दुर्घटना पॉलिसी धारक के नशे में होने की वजह से हुई है, तो बीमा कंपनियां पॉलिसी का फायदा आगे नहीं देती। ऐसे मामले में क्लेम रिजेक्ट हो जाते हैं। इसमें भी पुलिस जांच के आधार पर फैसला लिया जाता है। 

धूम्रपान की आदत 

अगर पॉलिसी खरीदते वक्त पॉलिसी धारक ने धूम्रपान की आदत की जानकारी न दी हो और मृत्यु स्मोकिंग से जुड़ी बीमारी की वजह से हुई हो तो भी बीमा कंपनियां क्लेम रिजेक्ट कर सकती है।  

खतरनाक काम , साहसिक खेल 

मोटर रेसिंग, स्काईडाइविंग जैसे साहसिक खेल या कोई भी काम जो जिंदगी के लिए खतरा हो सकता है, उसके बारे में पॉलिसी लेते वक्त जानकारी देनी जरूरी है। अगर मृत्यु ऐसे किसी काम की वजह से हुई है जो खतरनाक भी है और पॉलिसी धारक के प्रोफेशन का हिस्सा भी तो जानकारी न देने पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। ऐसे मामलों में जानकारी देकर नई शर्तों के साथ पॉलिसी ली जा सकती है। 

पॉलिसी लेने से पहले की बीमारियां

अगर मौत ऐसी बीमारी से हुई है जो पॉलिसी लेने से पहले से थी, तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। बीमा कंपनियां पॉलिसी लेते वक्त सेहत से जुड़ी सभी जानकारी मांगती हैं जिसमें पुरानी बीमारियां शामिल हैं। इसके आधार पर पॉलिसी देने या न देने के साथ बीमा प्रीमियम का आंकलन भी होता है। टर्म इंश्योरेंस में कई बीमारियां कवर नहीं होती इसलिए बीमारी छुपाने पर भी इनका कोई फायदा नहीं मिलता। 

आत्महत्या और आपदा से मौत

आत्महत्या से जुड़े मामलों पर बीमा कंपनियों के कई नियम मौजूद हैं। पॉलिसी के पहले साल में आत्महत्या पर क्लेम खारिज हो जाते हैं। वहीं आगे बीमा का फायदा मिल सकता है। वहीं भूकंप, चक्रवात और अन्य आपदा से हुई मौत पर भी टर्म बीमा का फायदा नहीं मिलता 

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