Sunday, April 28, 2024
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लोन की किस्त न चुकाने पर अब बैंक नहीं लगा सकेंगे मनमाना फाइन, RBI के इस आदेश से कर्जदारों को मिलेगी राहत

अगर आपने लोन लिया है और आप किसी भी कारण से ड्यू डेट पर किस्त चुकाने से चूक गए हैं तो यह आपके लिए बहुत भारी पड़ता है, लेकिन अब रिजर्व बैंक ने आपका राहत दी है।

Published on: August 18, 2023 13:12 IST
लोन लेने वालों को बड़ी राहत- India TV Paisa
Photo:FILE लोन लेने वालों को बड़ी राहत

होम, कार या किसी भी अन्य प्रकार के लोन की किस्तें चुकानें में देरी करने पर अब बैंक या एनबीएफसी मनमाना फाइन नहीं वसूल सकेंगे। कर्ज लेने वाले देश के करोड़ों लोगों के लिए रिजर्व बैंक ने बड़ी राहत का ऐलान करते हुए नियमों में बदलाव किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा ‘दंडात्मक ब्याज’ को अपना राजस्व बढ़ाने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई है। केंद्रीय बैंक ने इस बारे में संशोधित नियम जारी किए हैं। 

जानिए कैसे मिलेगी आपको राहत 

रिजर्व बैंक के नए नियमों के अनुसार कर्ज भुगतान में चूक के मामले में अब बैंक संबंधित ग्राहक पर सिर्फ ‘उचित’ दंडात्मक शुल्क ही लगा सकेंगे। रिजर्व बैंक ने ‘उचित ऋण व्यवहार-कर्ज खातों पर दंडात्मक शुल्क’ के बारे में शुक्रवार को अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें रिजर्व बैंक ने कहा है कि बैंक और अन्य ऋण संस्थानों को एक जनवरी, 2024 से दंडात्मक ब्याज लगाने की अनुमति नहीं होगी। केंद्रीय बैंक की अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘कर्ज लेने वाले व्यक्ति द्वारा ऋण अनुबंध की शर्तों का अनुपालन नहीं करने पर उससे ‘दंडात्मक शुल्क’ लिया जा सकता है। इसे दंडात्मक ब्याज के रूप में नहीं लगाया जाएगा। 

अब ब्याज पर नहीं जुड़ेगा फाइन 

मौजूदा व्यवस्था की बात करें तो इस समय बैंक और एनबीएफसी किस्त में चूक होने पर दंडात्मक ब्याज को अग्रिम पर वसूली जाने वाली ब्याज दरों में जोड़ देते हैं। इस पर रिजर्व बैंक ने चिंता जताई है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि दंडात्मक शुल्क उचित होना चाहिए। यह किसी कर्ज या उत्पाद श्रेणी में पक्षपातपूर्ण नहीं होना चाहिए।  अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसे शुल्कों पर अतिरिक्त ब्याज की गणना नहीं की जाएगी। हालांकि, केंद्रीय बैंक के ये निर्देश क्रेडिट कार्ड, एक्सटर्नल कमर्शियल लोन, बिजनेस क्रेडिट आदि पर लागू नहीं होगी। केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘दंडात्मक ब्याज/शुल्क लगाने की मंशा कर्ज लेने वाले में ऋण को लेकर अनुशासन की भावना लाना होता है। इसे बैंकों द्वारा अपना राजस्व बढ़ाने के माध्यम के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।’’

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