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EPFO ने पैसे निकालने से जुड़े नियम बदले, क्या ये वाकई आपके लिए हैं फायदेमंद? ये 5 बातें जरूर जाननी चाहिए

ईपीएफओ की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इससे करीब 30 करोड़ ईपीएफओ मेंबर्स को बड़ी राहत और सुविधा मिलेगी।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : Oct 14, 2025 02:51 pm IST, Updated : Oct 14, 2025 02:51 pm IST
सरकार ने अब आंशिक निकासी के मामलों में कारण या उद्देश्य बताने की आवश्यकता को भी हटा दिया है।- India TV Paisa
Photo:FREEPIK सरकार ने अब आंशिक निकासी के मामलों में कारण या उद्देश्य बताने की आवश्यकता को भी हटा दिया है।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ ने अपने 30 करोड़ से अधिक ग्राहकों के लिए आंशिक निकासी के नियमों को उदार बनाने की घोषणा की है। श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में हुई ईपीएफओ के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय, केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। firstpost की खबर के मुताबिक, श्रम मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि ये नए नियम ईपीएफ सदस्यों के जीवन को और अधिक सुगम बनाने पर केंद्रित हैं।

आप जान लीजिए ये 5 बातें

100% निकासी का दायरा बढ़ा

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सदस्य अब अपनी पूरी पात्र शेष राशि का 100 प्रतिशत तक निकाल सकेंगे, जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान शामिल होगा। पहले के नियमों के तहत, सदस्य केवल बेरोजगारी या सेवानिवृत्ति की स्थिति में ही पूरी पीएफ राशि निकाल सकते थे। उस समय, सदस्य नौकरी शुरू करने के एक महीने बाद पीएफ का 75 प्रतिशत और नौकरी छोड़ने के दो महीने बाद शेष 15 प्रतिशत तक निकाल सकते थे। अब, नए नियमों के अनुसार, बेरोजगारी की स्थिति में पूरी राशि निकालने की अवधि को 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दिया गया है। इसके अलावा, सेवानिवृत्ति की स्थिति में यह अवधि 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने कर दी गई है। इस बदलाव से EPF सदस्य अपने भविष्य निधि का पूरा फायदा उठा सकेंगे।

निकासी के जटिल प्रावधानों को आसान बनाया

सदस्यों के जीवन को आसान बनाने के लिए, CBT ने आंशिक निकासी के 13 जटिल प्रावधानों को हटाकर उन्हें एक सुव्यवस्थित नियम में समाहित कर दिया है। इन नियमों को अब मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। आवश्यक ज़रूरतें जैसे बीमारी, शिक्षा, विवाह। आवास ज़रूरतें और विशेष परिस्थितियां।

शिक्षा और विवाह के लिए निकासी की सीमा में छूट

पहले विवाह और शिक्षा के लिए कुल 3 आंशिक निकासी की सीमा थी। अब, विवाह के लिए निकासी की सीमा को बढ़ाकर 5 बार तक कर दिया गया है। इसी तरह, शिक्षा जैसे उद्देश्यों के लिए निकासी की सीमा को भी उदार बनाकर 10 बार तक कर दिया गया है।

कारण बताने की जरूरत खत्म

सरकार ने अब आंशिक निकासी के मामलों में कारण या उद्देश्य बताने की आवश्यकता को भी हटा दिया है। यह एक बड़ी राहत है, क्योंकि पहले 'विशेष परिस्थितियों' के तहत (जैसे प्राकृतिक आपदा, प्रतिष्ठानों की तालाबंदी/बंद होना, महामारी आदि) कारण स्पष्ट करना अनिवार्य होता था, जिसके कारण अक्सर अनुरोध अस्वीकार हो जाते थे। इस अनिवार्यता को हटा दिया गया है।

न्यूनतम शेष राशि का प्रावधान

एक नया प्रावधान जोड़ा गया है जिसके तहत सदस्यों के खाते में योगदान के 25 प्रतिशत को न्यूनतम शेष राशि के रूप में हर समय बनाए रखना अनिवार्य होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि सदस्य ईपीएफओ द्वारा दी जाने वाली उच्च ब्याज दर (वर्तमान में 8.25 प्रतिशत प्रति वर्ष) के साथ-साथ चक्रवृद्धि लाभ का फायदा उठाकर एक उच्च-मूल्य सेवानिवृत्ति निधि जमा कर सकें। ये परिवर्तन ईपीएफ सदस्यों को वित्तीय आपात स्थितियों के दौरान अपने फंड तक पहुंचने में अधिक लचीलापन और सुविधा प्रदान करेंगे।

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