EPFO ने नौकरी बदलने से जुड़े नियमों को आसान बनाते हुए साफ किया है कि अब दो नौकरियों के बीच 60 दिनों तक का अंतर होने पर भी कर्मचारी की सेवा को लगातार सेवा माना जाएगा। यानी अगर कोई कर्मचारी एक कंपनी छोड़ने के बाद 60 दिनों के भीतर दूसरी नौकरी जॉइन करता है, तो उसकी सर्विस ब्रेक नहीं मानी जाएगी।
कर्मचारियों के भविष्य निधि (EPF) और पेंशन योजना (EPS) के नियमों में बदलाव को लेकर हाल ही में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जैसे ही ये नई गाइडलाइंस सामने आईं, सोशल मीडिया पर विरोध के स्वर तेज हो गए।
ईपीएफओ की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इससे करीब 30 करोड़ ईपीएफओ मेंबर्स को बड़ी राहत और सुविधा मिलेगी।
ईपीएफ नियमों को ज्यादा लचीला और जीवन के अलग-अलग मोड़ पर मेंबर्स की फाइनेंशियल जरूरतों के हिसाब से बनाने की व्यापक कोशिशों लगातार जारी हैं।
यह पहल एक ही लॉगिन में सभी मुख्य सेवाओं को उपलब्ध कराकर यूजर एक्सपीरियंस में सुधार लाएगी। हालांकि सदस्य विस्तृत और ग्राफिकल जानकारी के लिए पुराने पासबुक पोर्टल का उपयोग भी जारी रख सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नियोक्ता और पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारी इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन या ‘उमंग’ ऐप पर अपना UAN डालकर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
ईपीएफओ ने अपने अंशधारकों को सहूलियत देने के लिए हाल के दिनों में कई कदम उठाए हैं। इससे करोड़ों पीएफ अकाउंट होल्डर को बड़ी राहत मिली है।
ईपीएफ स्कीम, 1952 के पैरा 68-बीडी के नियमों में बदलाव के बाद, ईपीएफओ अंशधारकों के पास अब अपने पैसे के इस्तेमाल करने के लिए कई विकल्प मिल गए हैं।
वित्त वर्ष 2025 के लिए, 33.56 करोड़ खातों वाले 13.88 लाख कंपनियों के लिए सालाना खाता अपडेट किया जाना था, जिसमें से 8 जुलाई तक 13.86 लाख कंपनियों के 32.39 करोड़ खातों में 8.25 प्रतिशत की दर से ब्याज का पैसा जमा किया जा चुका है।
पहले जिन देशों के साथ भारत को कोई एग्रीमेंट नहीं रहता था, वहां उन कर्मचारियों की सैलरी से हर महीने सामाजिक सुरक्षा के नाम पर एक तय रकम काटी जाती रही है। इन पैसों से कर्मचारियों को कोई विशेष फायदा नहीं मिलता था।
ईपीएफओ ने सदस्यों को त्वरित वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कोविड-19 महामारी के दौरान पहली बार अग्रिम दावों के ऑटो-सेटलमेंट की शुरुआत की थी।
बयान के अनुसार, ये पाया गया है कि कई साइबर कैफे ऑपरेटर या फिनटेक कंपनियां ईपीएफओ सदस्यों से उन सर्विस के लिए बड़ी रकम वसूल रही हैं जो आधिकारिक तौर पर बिल्कुल फ्री हैं।
केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने ईपीएफ योजना, 1952 के पैराग्राफ 60 (2) (बी) में एक महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दी। नए प्रावधान के बाद, ईपीएफ शेष राशि पर ब्याज ईपीएफ दावे के निपटान की तारीख तक मिलेगा।
ईपीएफओ 3.0 के तहत, कर्मचारियों को एक खास विड्रॉल कार्ड दिए जाएंगे। ये कार्ड एटीएम कार्ड की तरह ही होंगे, जो आपके पीएफ खाते से लिंक होगा।
भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय के अधीन आने वाले ईपीएफओ में 1 जून से बड़ा बदलाव हो सकता है।
ईपीएफओ ने फरवरी 2024 में 2023-24 के लिए ब्याज दर को मामूली बढ़ाकर 8.25 प्रतिशत किया था जो 2022-23-में 8.15 प्रतिशत था।
करीब 13. 23 लाख सदस्य, जो पहले बाहर हो गए थे, मार्च 2025 में ईपीएफओ में फिर से शामिल हो गए, जो फरवरी 2025 की तुलना में 0.39 प्रतिशत की वृद्धि और मार्च 2024 की तुलना में 12.17 प्रतिशत साल-दर-साल वृद्धि है।
EPFO ने अपने अंशधारकों के लिए कई बड़े बदलाव किए हैं। इससे पीएफ से पैसा निकालने से लेकर ट्रांसफर की प्रक्रिया आसान और तेज हो गई है। पेंशनभोगियों को भी बड़ी राहत मिली है।
अगर कंपनी पर ईपीएफ एक्ट लागू है और आपका वेतन 15,000 रुपये तक है तो आपको ईपीएफ, ईडीएलआई और पेंशन स्कीम का सदस्य अनिवार्य रूप से बनाया जाएगा।
कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 के मुताबिक, पीएफ अकाउंटहोल्डर विवाह, उच्च शिक्षा, मकान खरीदना/बनाना, या चिकित्सा बीमारी और बेरोजगारी सहित दूसरे कारणों के लिए अपने धन का एक हिस्सा निकाल सकते हैं।
लेटेस्ट न्यूज़