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ITR तय तारीख तक फाइल नहीं करने के क्या होते हैं नुकसान? अभी समझ लें तो फायदे में रहेंगे

अगर व्यक्ति नोटिस जारी करने के बाद भी जानबूझकर रिटर्न दाखिल करने में विफल रहता है, तो आयकर अधिकारी अभियोजन की कार्यवाही शुरू कर सकता है।

Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Published : May 28, 2025 9:27 IST, Updated : May 28, 2025 9:27 IST
आपको जल्द से जल्द अपना रिफंड हासिल नहीं हो सकेगा।
Photo:PIXABAY आपको जल्द से जल्द अपना रिफंड हासिल नहीं हो सकेगा।

किसी भी वित्तीय काम-काज को तय समयसीमा या निर्धारित तारीख तक निपटा लेने में ही समझदारी है। इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) के मामले में भी समझदारी यही है कि आप इसे फाइल कर दें। सामान्यतौर पर पर 31 जुलाई इसकी आखिरी तारीख तय है, लेकिन सरकार ने इस साल आईटीआर फाइलिंग की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया है। यानी आपको इस तारीख तक ये काम पूरा कर लेना है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको इसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। आइए, यहां हम इसपर चर्चा कर लेते हैं।

5,000 रुपये की लेट फाइलिंग फीस चुकानी होगी

इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक, धारा 234एफ के मुताबिक, धारा 139(1) के तहत निर्दिष्ट नियत तारीख के बाद रिटर्न दाखिल करने में देरी पर 5,000 रुपये की लेट फाइलिंग फीस चुकानी होगी। हालांकि, अगर व्यक्ति की कुल आय 5 लाख रुपये से अधिक नहीं है, तो भुगतान की जाने वाली देरी से फाइलिंग फीस की राशि 1,000 रुपये होगी।

हो सकता है ये एक्शन

ClearTax के मुताबिक, अगर व्यक्ति नोटिस जारी करने के बाद भी जानबूझकर रिटर्न दाखिल करने में विफल रहता है, तो आयकर अधिकारी अभियोजन की कार्यवाही शुरू कर सकता है। इसमें कारावास की अवधि तीन महीने से लेकर दो साल तक हो सकती है। साथ ही इसमें जुर्माना भी शामिल है। अगर आपका टैक्स अधिक है, तो अभियोजन अवधि सात साल तक बढ़ सकती है।

पेनाल्टी देनी पड़ सकती है

आयकर अधिकारी आय कम बताने की स्थिति में देय कर का 50% तक जुर्माना लगा सकता है। आईटी विभाग द्वारा लगाए गए जुर्माने के अलावा, ऐसे दूसरे नतीजे भी हैं जिनका सामना करदाता को रिटर्न दाखिल करने में देरी के लिए करना पड़ सकता है।

नुकसान सेट करने में असमर्थ होंगे

हाउस प्रॉपर्टी के नुकसान के अलावा हुई हानि को बाद के सालों में आगे ले जाने की अनुमति नहीं है। अगर रिटर्न नियत तारीख के भीतर दाखिल नहीं किया गया है, तो आप इन नुकसानों को भविष्य के लाभ के विरुद्ध सेट नहीं कर सकते हैं। वैसे, अगर हाउस प्रॉपर्टी के तहत नुकसान हैं, तो नुकसान को आगे ले जाने की अनुमति है।

ब्याज चुकाना होगा

देरी से दाखिल करने पर जुर्माने के अलावा, धारा 234A के तहत टैक्स के पेमेंट तक देय कर पर 1% प्रति माह या उसके हिस्से की दर से ब्याज लगाया जाएगा। इस नियम के तहत ब्याज की गणना देय तिथि के तुरंत बाद आने वाली तिथि से शुरू होगी। ऐसे समझें कि जितना अधिक आप प्रतीक्षा करेंगे, उतना ही अधिक भुगतान करेंगे।

लेट रिफंड

अगर आप भुगतान किए गए अतिरिक्त टैक्स के लिए सरकार से रिफंड पाने के हकदार हैं, तो आपको जल्द से जल्द अपना रिफंड हासिल करने के लिए देय तिथि से पहले रिटर्न दाखिल करना होगा।

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