राजनीति में प्रवेश करने से पहले सुनक ने अमेरिका स्थित मल्टीनेशनल इंवेस्टमेंट बैंक में काम किया था। बैंक ने मंगलवार को ये घोषणा की।
एंट ग्रुप को पहले एंट फाइनेंशियल के नाम से जाना जाता था। ये चीन के अलीबाबा ग्रुप की कंपनी है।
गोल्डमैन सैक्स ने 5504.42 रुपये के भाव पर बीएसई के 7.28 शेयर खरीदे हैं। बताते चलें कि बुधवार को एनएसई पर बीएसई के शेयर 422.40 रुपये (8.14%) की तूफानी तेजी के साथ 5608.50 रुपये के भाव पर बंद हुए। हालांकि, कंपनी के शेयरों का मौजूदा भाव अभी भी इसके 52 वीक हाई से नीचे है।
Goldman Sachs की ओर से निफ्टी का नया टारगेट दिया गया है। वैश्विक परिस्थितियों में सुधार होने और देश की आर्थिक रफ्तार तेज होने के कारण निफ्टी के टारगेट में बढ़ोतरी की गई है।
रिजर्व बैंक का अनुमान है कि मुद्रास्फीति 4.7 प्रतिशत रहेगी। हालांकि, यह 2023 में अनुमानित 5.7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति की दर से कम है। प्रमुख उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2024 में 5.1 प्रतिशत रहेगी।
सिटीग्रुप और बार्कलेज जैसी अन्य प्रमुख फर्मों ने भी आसन्न वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच घटते राजस्व को देखते हुए अपने वर्कफोर्स में कटौती की है। आईटी और वित्तीय सेवाओं जैसे उद्योगों में कर्मचारियों के लिए स्थिति और खराब हो सकती है
गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो दर में 0.50 अंक और फरवरी, 2023 की बैठक में 0.35 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है।
Goldman Sachs ने इंफोसिस-TCS के शेयर को बेचने की सलाह दी, सिर्फ एक IT स्टॉक पर दिया Buy Call Goldman Sachs advises to sell Infosys-TCS shares, gave Buy Call on only one IT stock
लेंसकार्ट ने सोमवार को कहा कि उसने टेमासेक और फाल्कन एज कैपिटल की अगुवाई में 22 करोड़ अमेरिकी डॉलर (लगभग 1,644.2 करोड़ रुपये) जुटाए हैं।
गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि लॉकडाउन की तीव्रता पिछले साल के मुकाबले कम है। फिर भी, भारत के प्रमुख शहरों में सख्त प्रतिबंधों का असर साफ दिखाई दे रहा है।
महामारी के मामले रिकॉर्ड पर पहुंचने तथा कई प्रमुख राज्यों द्वारा सख्त लॉकडाउन लगाए जाने से वृद्धि को लेकर चिंता पैदा हुई है।
ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन सैश ने भी भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है। हालांकि कंपनी ने अगले साल इक्विटी सूचकांक में 8.5 प्रतिशत वृद्धि की संभावना जतायी है।
यह नोटबंदी या 2008 की वित्तीय संकट जैसी उन चुनौतियों से अलग है, जिसकी प्रकृति अस्थायी थी।
भारतीय रिजर्व बैंक दिसंबर की द्वैमासिक मौद्रिक समीक्षा में भी ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। ब्रोकरेज कंपनियों का मानना है कि दिसंबर में केंद्रीय बैंक रेपो दर में चौथाई प्रतिशत की और कटौती करेगा।
आर्थिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के मोर्चों पर सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद भारत के समक्ष कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का कम संग्रह समेत कुछ बड़ी चुनौतियां हैं। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
आर्थिक वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के मोर्चों पर सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद भारत के समक्ष कमजोर निवेश, नीतिगत फैसलों का लाभ लक्ष्य तक पहुंचने में सुस्ती तथा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का कम संग्रह समेत कुछ बड़ी चुनौतियां हैं। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता गोल्डमैन सैक्स ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
गोल्डमैन सैक्स ने यह अनुमान भी व्यक्त किया कि रिजर्व बैंक जुलाई-सितंबर में एक बार फिर से रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज की लागत में कमी के साथ बैंकों का लाभ बढ़ने के कारण यह संभव होगा।
आने वाले महीनों में कच्चे तेल के दाम में और वृद्धि हो सकती है और इससे भारत का चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है। वित्त वर्ष 2018-19 में इसके करीब 2.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जून में होने वाली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों को यथावत रखते हुए उसमें कोई भी बदलाव नहीं करेगा। गोल्डमैन सैक्स की एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है।
लेटेस्ट न्यूज़