राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली एक सेवानिवृत्ति बचत योजना है जो धारा 80CCD के तहत अतिरिक्त टैक्स लाभ प्रदान करती है। आप चाहें तो हेल्थ इंश्योरेंस या लाइफ इंश्योरेंस खरीदकर भी टैक्स की बचत कर सकते हैं।
एनएससी योजना निवेश पर गारंटीड रिटर्न प्रदान करती है और आयकर में बचत भी प्रदान करती है। यूलिप एक एकल निवेश योजना में बीमा और निवेश सुरक्षा का मिश्रण है।
आज के समय में ज्यादातर लोग नई टैक्स व्यवस्था के अधीन आ गए हैं, लेकिन पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत चलने वाले लोगों की संख्या भी काफी ज्यादा है। अगर आप अभी भी पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत चल रहे हैं और टैक्स बचाने के लिए किसी अच्छे निवेश प्लान की तलाश कर रहे हैं तो समझिए ये जानकारी सिर्फ आपके लिए ही है।
ELSS पारंपरिक म्यूचुअल फंड से इस मायने में अलग है कि यह निवेश की गई राशि पर टैक्स लाभ प्रदान करता है और इस प्रकार निवेश किए गए फंड के लिए तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है।
Tax Saving Investments : आप एनपीएस में 50 हजार रुपये के योगदान पर एक्स्ट्रा टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं। आयकर कानून की धारा 80सी के तहत कर लाभ का दावा करने के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम भी बेस्ट ऑप्शन है।
ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स) फंड, म्यूचुअल फंड की एक कैटेगरी है। ईएलएसएस फंड्स 3 साल के लॉक-इन पीरियड के साथ आते हैं। इन फंड्स पर आप 1.25 लाख रुपये तक का टैक्स बचा सकते हैं।
टैक्स नियोजन की बात करें तो हमेशा सक्रिय रहने की कोशिश करें। आखिरी समय की भागदौड़ से बचें, क्योंकि इससे निवेश के गलत फैसले और गलतियां हो सकती हैं। वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही अपनी टैक्स प्लानिंग की शुरुआत करें।
टैक्स सेविंग एफडी और ईएलएसएस के बीच चयन करना निवेशक की जोखिम और वित्तीय लक्ष्यों पर निर्भर करता है। ईएलएसएस उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो टैक्स छूट चाहते हैं और उच्च रिटर्न के लिए बाजार जोखिम स्वीकार करने के लिए तैयार हैं।
अगर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के दायरे में नहीं भी है तब भी वित्तीय योजना बनाने पर विचार करें। आपकी आय से टीडीएस काटा जा सकता है, जिसे आपको लिमिट के भीतर आय होने के कारण भुगतान नहीं करना चाहिए।
टैक्स की बचत करने के कई ऑप्शन हैं। कुछ निवेश कर तो कुछ साधन ऐसे हैं जिसमें बिना निवेश किए टैक्स बचाने के अवसर देते हैं। आप अपनी सहूलियत और क्षमता के हिसाब से टैक्स बचाने का अपना फैसला कर सकते हैं।
आयकर अधिनियम के तहत इनकम टैक्स छूट का फायदा कामकाजी महिलाएं ले सकती हैं। इसके लिए आपको ऐसे साधनों में निवेश करना होता है जो आपको टैक्स छूट की सुविधा देते हैं। कुछ ऐसे निवेश साधन हैं जो गारंटीड रिटर्न के साथ टैक्स छूट दिलाती हैं।
क्वांट ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड द्वारा 29.98 प्रतिशत का उच्चतम रिटर्न दिया। इसका मतलब है कि अगर किसी ने इस स्कीम में 1 लाख रुपये का निवेश किया होता तो वह बढ़कर 3.71 लाख रुपये हो जाता।
कोई भी भारतीय पीपीएफ में निवेश कर सकता है। वहीं, केवल वेतनभोगी कर्मचारी जिनके पास कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाता है और नियमित रूप से ईपीएफ में योगदान करते हैं, वे वीपीएफ में पैसा लगा सकते हैं।
अगर निवेश की समयसीमा की बात करें तो एससीएसएस और एफडी में कोई अंतर नहीं है। दोनों में 5 साल की लॉक इन पीरियड है। यानी 5 साल के निवेश करने पर ही टैक्स बचत दी जाएगी।
How to Save Tax: पुरानी टैक्स रिजीम में धारा 80C, 80D और 24B के तहत दी गई छूट का फायदा उठाकर आप आसानी टैक्स सेविंग कर सकते हैं।
ईएलएसएस फंड आपको एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स बचाने में मदद करता है। लॉन्ग टर्म के लिए यह एक उम्दा निवेश माध्यम है।
Tax Saving Tips: पुरानी टैक्स रिजीम के तहत कई सारी इनकम टैक्स की छूट आपको मिलती हैं। जिसके जरिए आप 10 लाख रुपये तक की आय पर शून्य टैक्स भर सकते हैं।
अगर आपने अभी तक भी टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट नहीं किया है, तो जल्द कर लें। आपको आने वाले कुछ समय में अपनी कंपनी को इन्वेस्टमेंट प्रूफ देने पड़ सकते हैं। न्यू टैक्स रिजीम में डिडक्शन या छूट का कोई प्रावधान नहीं है।
टैक्स सेविंग एफडी में आप मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये डिपोजिट कर सकते हैं। इसकी लॉन इन पीरियड पांच साल है।
आयकर अधिनियम के अनुसार सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन को टैक्स में छूट दी जाती है। वहीं दूसरी तरफ लाभ की बात करें तो दोनों के बीच कई समानताएं हैं। यहां इन दोनों के बीच अंतर जानने के अलावा टैक्स सेविंग के टिप्स की जानकारी ले सकते हैं।
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