Saturday, December 06, 2025
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नीतीश का बड़ा चुनावी दांव? जानें क्या है 'डोमिसाइल नीति', बिहार के लिए क्यों जरूरी, किसे होगा फायदा

बिहार में सीएम नीतीश ने डोमिसाइल नीति लागू करने का ऐलान कर बड़ा चुनावी दांव चला है, खासकर युवाओं को बड़ी खुशखबरी दी है। जानें क्या है डोमिसाइल नीति, इससे किसे और कितना होगा फायदा?

Written By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : Aug 05, 2025 08:40 am IST, Updated : Aug 05, 2025 05:56 pm IST
बिहार के सीएम नीतीश कुमार- India TV Hindi
Image Source : PTI बिहार के सीएम नीतीश कुमार

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक और लोकलुभावन कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को सरकारी शिक्षकों की भर्ती में 'डोमिसाइल नीति' की घोषणा कर बड़ा चुनावी दांव खेल दिया है। इससे पहले भी नीतीश ने कई ऐलान किये हैं लेकिन नीतीश के इस दांव का काट विपक्ष के लिए खोजना मुश्किल होगा। मंगलवार को नीतीश कैबिनेट ने फैसला लिया कि शिक्षा विभाग के अधीन अध्यापक नियुक्तियों में 98 प्रतिशत सीट बिहार के लोगों के आरक्षित होंगी।  मंत्रिमंडल ने बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियुक्ति स्थानांतरण अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं सेवा शर्त संशोधन नियमावली 2025 की मंजूरी दे दी। 

इससे पहले नीतीश कुमार ने X पर एक पोस्ट में कहा, "शिक्षा विभाग को शिक्षकों की भर्ती में बिहार के निवासियों (निवासी) को प्राथमिकता देने के लिए संबंधित नियमों में आवश्यक संशोधन करने का निर्देश दिया गया है।"

बिहार में आरक्षण का हिसाब किताब

बिहार में जातीय तौर पर 50 प्रतिशत आरक्षण है

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण 10% है


बची 40 प्रतिशत अनारक्षित (सामान्य) सीटों में 35 प्रतिशत सीट बिहार मूल की महिलाओं के लिए रिजर्व हैं।
 
डोमिसाइल नीति लागू होने की शर्तें

नियमावली में संशोधन कर 40 प्रतिशत अनारक्षित (सामान्य) सीटों के बचे 65 प्रतिशत सीटों में से 40 प्रतिशत सीट उनके लिए आरक्षित कर दी गई जिन्होंने बिहार से मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं किसी भी बोर्ड से पास की हो। 40 प्रतिशत अनारक्षित (सामान्य) सीटों में अब मात्र 15 प्रतिशत सीटे बच जाएंगी जिनपर बिहार और बिहार के बाहर के सामान्य वर्ग के पुरुष महिला आवेदन कर सकेंगे। इस तरह  बिहार की शिक्षक बहाली में 85 प्रतिशत सीट पर डोमिसाइल नीति लागू हो गई है।

नीतीश का बड़ा चुनावी दांव

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं को साधने के लिए ये बड़ा चुनावी दांव चला है। मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि TRE 4 और 5 में अब डोमिसाइल नियम लागू किया जाएगा।यानी अब केवल बिहार के स्थायी निवासी ही इस परीक्षा में भाग लेने के पात्र होंगे। मुख्यमंत्री का कहना था कि राज्य के युवा काफी समय से इस मांग को लेकर आंदोलनरत थे और अब सरकार ने उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए ये निर्णय लिया है।

बिहार की डोमिसाइल नीति

Image Source : PTI
बिहार की डोमिसाइल नीति

नीतीश के ऐलान पर गरमाई सियासत

बिहार में डोमिसाइल नीति की घोषणा पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "जहां तक डोमिसाइल की बात है, हमने इस बात को पहले ही कहा था कि जब हमारी सरकार आएगी , तो हम इसे लागू करेंगे। यह सरकार वही कर रही है जो तेजस्वी कह रहा है। आने वाले दिनों में आप देखना कि  वे 'माई बहन मान' योजना की भी कॉपी करेंगे। उनके पास अपना कोई विजन या रोडमैप नहीं है..."

सीएम नीतीश के इस फैसले पर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है, जनता की जीत है। उन्होंने सीएम नीतीश पर करारा हमला बोला और कहा, 20 साल में इन्होंने कुछ नहीं किया, डोमिसाइल के लिए छात्र संघर्ष कर रहे थे। जब इन्होंने देख लिया है कि जनता ने उन्हें हटाने का मन बना लिया है, तो अब डोमिसाइल नीति लागू कर रहे हैं। अब बिहार में डोमिसाइल लागू करने से जनता भ्रम में आने वाली नहीं है। 

वहीं, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि सीएम नीतीश ने राज्यहित में डोमिसाइल नीति लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। हमने तो ये बड़ा फैसला बिहार के युवाओं के हित में लिया है लेकिन अब विपक्ष, खास कर राजद यह नजीर पेश करे कि हरियाणा से लाकर आप राज्यसभा में लोगों को नामित नहीं करेंगे, ये लोग बिहार के कार्यकर्ताओं की हाकमरी करते हैं। ऐसा करना कब बंद करेंगे।

सीएम नीतीश का बड़ा ऐलान

Image Source : PTI
सीएम नीतीश का बड़ा ऐलान

वहीं, इस मामले में भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि शिक्षकों की बहाली में बिहार के निवासियों को प्राथमिकता देते हुए, TRE 4 से डोमिसाइल नीति लागू करने का बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का निर्णय ऐतिहासिक है और स्वागत योग्य है।

डोमिसाइल नीति क्या है, किसे होगा फायदा?

  • इस नीति के लागू होने के बाद जो भी संबधित राज्य का वोटर होगा, वो ही नौकरियों के लिए भर्ती में अप्लाई कर पाएगा। 
     
  • केवल वही अभ्यर्थी राज्य में होने वाली परीक्षा में बैठ सकेंगे, जो बिहार के मूल निवासी हैं और जिनके पास वैध डोमिसाइल सर्टिफिकेट होगा।
     
  • किसी राज्य में किसी भी विभाग में नौकरी के लिए भर्ती प्रक्रिया में डोमिसाइल नीति लागू होने का मतलब है कि इस भर्ती में उस राज्य के लोगों को आरक्षण मिलेगा।
     
  • नौकरी देने में सिर्फ उस राज्य के निवासियों को ही प्राथमिकता दी जाएगी।
     
  • अगर अभिभावक उस राज्य के निवासी हैं तो बच्चों को, या शादी होने के बाद पति उस राज्य का निवासी है तो पत्नी को, या उस राज्य में अगर आपका स्थायी घर है, तो इस तरह की शर्तों को पूरा करने पर आप  डोमिसाइल की कैटेगरी में शामिल हो सकते हैं। 
     
  • डोमिसाइल नीति लागू होने से तत्काल होने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा में बिहार के अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाएगी।  

नीतीश का चुनावी दांव

Image Source : PTI
नीतीश का चुनावी दांव

बिहार में डोमिसाइल का मुद्दा नया नहीं 

डोमिसाइल का मुद्दा बिहार के लिए नया नहीं है। यह पहले से ही नीतीश के लिए चुनावी मुद्दा रहा है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भी सीएम नीतीश कुमार ने डोमिसाइल नीति लागू करने का वादा किया था। लेकिन, जब जीत मिली और नीतीश की सरकार बनी तो सीएम नीतीश ने इसे लागू भी कर दिया। मगर ये लंबे समय तक नहीं रह पाया और ढाई साल बाद जुलाई 2023 में इसे खत्म भी कर दिया गया था। उस वक्त सरकार ने तर्क दिया था कि स्कूलों में मैथ्स और साइंस पढ़ाने के लिए अच्छे टीचर्स नहीं मिल रहे थे।

डोमिसाइल नीति हटाने के बाद प्रदेश में लंबे समय तक छात्रों ने आंदोलन भी किया और विरोध प्रदर्शन के साथ नारा दिया गया था- 'वोट दे बिहारी और नौकरी ले बाहरी, अब ये नहीं चलेगा।' अब सीएम नीतीश का ये फैसला ऐसे समय में आया है, जब राज्य में चुनावी माहौल गरम है और विपक्ष लगातार सरकार पर रोजगार और शिक्षा के मोर्चे पर विफल रहने के आरोप लगा रहा है।  

सीएम नीतीश कुमार

Image Source : PTI
सीएम नीतीश कुमार

डोमिसाइल पॉलिसी लागू करना जरूरी क्यों

  • उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी बिहार में आवेदन करते थे, इससे स्थानीय युवाओं को अपने ही राज्य में नौकरी नहीं मिल रही थी।
     
  • बिहार में बेरोजगारी से राहत मिलेगी और बाहरी अभ्यर्थियों की नियुक्ति से स्थानीय युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता मिलेगी। 
     
  • बिहार के स्कूलों में पढ़ाने के लिए स्थानीय भाषा, बोली को जानना जरूरी है, बाहरी अभ्यर्थियों को यह समझ अपेक्षाकृत कम होती है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
     
  • उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों में शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति पहले से अनिवार्य है। ऐसे में बिहार में डोमिसाइल लागू करना जरूरी था।
     
  • डोमिसाइल लागू होने से बिहार के छात्रों को राहत मिलेगी, लेकिन यह शिक्षा व्यवस्था की व्यापक सुधार प्रक्रिया का सिर्फ एक हिस्सा होगी।
     
  • हालांकि डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद नौकरी के लिए भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता, पाठ्यक्रम की गुणवत्ता और प्रशिक्षण तंत्र जैसे पहलुओं पर भी समान रूप से ध्यान देना जरूरी होगा। 

ऐसे में कुल मिलाकर, सीएम नीतीश का ये बड़ा चुनावी दांव बिहार के युवाओं को स्थानीय अवसरों में प्राथमिकता देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जिसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव में भी साफ देखा जा सकता है और जदयू नीत एनडीए को मिल सकता है। 

 

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