चीफ अफसर ने की उनकी पोस्टिंग की खिलाफत
जब उनकी पोस्टिंग सी -शिप में हुई तो शिप के चीफ अफसर इस बात से खुश नहीं थे। यहां तक की उन्होंने हेडक्वार्टर को लैटर तक लिख डाला कि एक महिला अफसर के कारण बाकी स्टाफ को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें निकालने के लिए उन पर आरोप लगाए गए तथा हर संभव कोशिश की गई कि वह निकल जाएं कई बार तो उन्हें भी लगा कि उन्हें यहां से चले जाना चाहिए लेकिन वह यह सोच कर रूक गई कि अगर वह यह सब छोड़ कर चली गई तो फिर कोई लड़की यहां नहीं आ पाएगी। सुनेहा जिस जहाज पर थीं, उसमें दो से तीन लाख टन तक तेल का ट्रांसपोर्टेशन किया जाता था। वे शिप को नेविगेट करती थी, टैंकर को लोड और अनलोड करतीं थी तथा डेक पर लगातार बारह से अठारह घंटों तक पुरुषों के साथ बराबरी से काम भी करती थी।
शिप पर वे अकेली महिला थीं, और उनके लिए वहां कोई इमरजेंसी फैसिलिटी नहीं थी। जितने भी नियम थे वह केवल पुरुषों को ध्यान में रखकर बनाए गए थे। जहाज़ एक बार समंदर में उतरता तो लगातार एक से चार महीनों तक पानी में ही रहता था। घर और परिवार से किसी भी तरह का सम्पर्क केवल सैटेलाइट फोन द्वारा ही किया जा सकता था।