Thursday, April 25, 2024
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Covid-19: कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों की जान बचा सकता है स्टेरॉयड, WHO ने जारी की नई एडवाइजरी

steroidscoronavirus patients: क्या सस्ता और आसानी से उपलब्ध स्टेरॉइड कोरोना वायरस (Coronavirus) से पीड़ित मरीज की जान बचा सकता है?

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 03, 2020 7:34 IST
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Image Source : PTI who Covid19 treatment guidelines steroids cuts death rate coronavirus patients 

steroidscoronavirus patients: क्या सस्ता और आसानी से उपलब्ध स्टेरॉइड कोरोना वायरस (Coronavirus) से पीड़ित मरीज की जान बचा सकता है? अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हुए क्लिनिकल ट्रायल में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार सस्ते और आसानी से उपलब्ध स्टेरॉयड दवाएं कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार रोगियों को बचने में मदद कर सकती हैं। सबूतों के आधार पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नई एडवाइजरी जारी की है। इसके मुताबिक, कोरोना की वजह से गंभीर रूप से बीमार रोगियों के इलाज के लिए स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन शुरुआती लक्षण वाले रोगियों के लिए इसका इस्तेमाल नहीं।

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JAMA के प्रधान संपादक डॉ हावर्ड सी बाउचर ने कहा, कि कोरोना संक्रमण के चलते जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे मरीजों को बचाने के लिए स्टेरॉयड काफी मददगार है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में कोरोना के खिलाफ इसका इस्तेमाल इलाज के लिए किया जा सकता है। बता दें कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए अबतक रेमडिसीवर का इस्तेमाल किया जा रहा था।

WHO ने कहा कि स्टेरॉडय की दवा से 1700 मरीजों पर सात अलग अलग जगह पर तीन तरह के ट्रायल किए गए हैं। ट्रायल के नतीजों में यह बात सामने आई है कि स्टेरॉयड की दवा के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों की मौत का जोखिम कम हुआ है। डेक्सामेथासोन, हाइड्रोकार्टिसोन और मिथाइलप्रेडिसोलोन जैसे स्टेरॉयड अक्सर डॉक्टरों द्वारा मरीज के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, सूजन और दर्द को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है। 

इस शोध से पता चलता है कि स्टेरॉयड बीमार कोविड -19 रोगियों का जीवन बचाने में मदद करता है। इंपीरियल कॉलेज लंदन में एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर में अध्यक्ष प्रोफेसर गॉर्डन ने कहा "वर्ष की शुरुआत में, कई बार यह लगभग निराशाजनक लग रहा था, यह जानते हुए कि हमारे पास कोई विशिष्ट उपचार नहीं था। यह बहुत चिंताजनक समय था। फिर भी छह महीने से भी कम समय के बाद, हमने उच्च गुणवत्ता वाले नैदानिक परीक्षणों में स्पष्ट, विश्वसनीय सबूत पाए हैं।"

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