Thursday, April 25, 2024
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नगालैंड मामले की जांच करेंगे मेजर जनरल रैंक के अधिकारी, सेना ने बताया क्यों करनी पड़ी फायरिंग?

सेना के सूत्र के मुताबिक, भारतीय सेना ने एक मेजर जनरल-रैंक के अधिकारी के तहत नागालैंड नागरिक हत्याओं की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का गठन किया है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 06, 2021 15:53 IST
An Indian army soldier stands guard on a highway on the...- India TV Hindi
Image Source : PTI An Indian army soldier stands guard on a highway on the outskirts of Kohima, capital of northeastern Nagaland state India.

Highlights

  • भारतीय सेना की 3 कोर ने रक्षा मंत्रालय को नागालैंड मामले में पूरी रिपोर्ट सौंप दी है
  • नागालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की फायरिंग में कुल 14 की मौत
  • नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने ओटिंग में फायरिंग की घटना में मरने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी

नई दिल्ली। बीते शनिवार को नगालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों द्वारा उग्रवादी होने के शक में फायरिंग किये जाने के दौरान 13 स्थानीय नागरिक मौत हो गई जबकि एक जवान भी मारे गए हैं। अब इस पूरे मामले की जांच मेजर जनरल रैंक के अधिकारी कर रहे हैं। सेना ने  कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का गठन किया है। वहीं, भारतीय सेना के ऑपरेशन में शामिल जवान और उनके कमांडिंग अफसर को विभाग ने तलब किया है।

भारतीय सेना की 3 कोर ने रक्षा मंत्रालय को नागालैंड मामले में पूरी रिपोर्ट सौंप दी है। इलेक्ट्रॉनिक और टेक्निकल इंटेलिजेंस की पूरी डिटेल्स भी मंत्रालय को सौंपी गई है। सेना की तरफ से रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी संदिग्ध तौर पर NSCN के वाई के लग रहे थे और ये जानकारी सैन्य बलों के पास थी। आगे सेना ने कहा है कि दो स्टॉप पर रोकने के बाद भी ये लोग नहीं रुके। सभी लोग बोलेरो गाड़ी में बैठे हुए थे। ये घटना शाम चार बजे की है।

बयान में अधिकारी ने कहा है कि गाड़ी के अंदर से बंदूक बैरल दिखाई दे रहा था तब तक ये कन्फर्म नहीं हुआ कि ये कैसा बैरल है। उसके बाद सेना के जवानों ने फायरिंग की। जिसमें आठ लोगों को गोली लगी। सेना के मुताबिक 6 लोग मौके पर मारे गए जबकि 2 लोगों को डिब्रूगढ़ हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।

हिंसा उस वक्त भड़की जब सेना के जवान सभी 6 शव डेड बॉडी को गाड़ी में रखकर पुलिस का इंतजार कर रहे थे। तभी तिरु गांव के लोगों ने जवानों को पीटना शुरू कर दिया। उनके हथियार और रेडियो सेट भी छीन लिया। जिसके बाद अपने बचाव में सेना ने भीड़ पर फायरिंग की। दरअसल, पुख्ता जानकारी सर्विलांस टीम के पास थी कि NSCN के वाई के आतंकी इस लोकेशन के आस पास हैं। घटना के बाद सेना के जवानों ने ख़ुद अपने ऑपरेटिंग बेस से गाड़ी मंगवाकर जख्मी लोगों को डिब्रुगढ़ हॉस्पिटल में भर्ती कराया जबकि सभी शवों को अपनी गाड़ी में रखा। इस पूरे ऑपरेशन में 28 जवान शामिल थे।

अब सवाल उठता है कि आखिर चूक कहां हुई? गौरतलब है कि दो स्टॉप पर रोके जाने के बाद भी गाड़ी में बैठा व्यक्ति नहीं रुका। जिसके बाद सेना को शक के आधार पर कार्रवाई करनी पड़ी। वहीं, नागालैंड में अधिकतर लोग शिकारियों वाली बंदूक को अपने पास रखते हैं। हो सकता है कि उसी बैरल को देखकर पहचानने में ये गलती हुई। लेकिन, जब भारतीय सेना के जवान को  पता चला कि ये आतंकी नहीं है तो उन्होंने घायलों को इलाज के लिए हॉस्पिटल भेजा और जिनकी मौत हो गई थी उन्हें अपनी गाड़ी में रखा। पूरे ऑपरेशन में भारतीय सेना का एक जवान शहीद हो गए हैं जबकि 4 अन्य बुरी तरह से जख्मी हो गए हैं।

नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियो रियो ने घटना पर दुख जताते हुए कहा कि घटना में मारे गए लोगों को मुआवजा दिया गया है। घायलों की मदद भी की गई है। सीएम रियो ने अफस्पा (AFSPA) को वापस लिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हम दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी हैं और ये काला धब्बा है। वहीं नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने ओटिंग में फायरिंग की घटना में मरने वाले लोगों को सोमवार को श्रद्धांजलि दी।

वहीं, अब इस मामले पर राजनीति और आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, "केंद्र सरकार को इस पर जवाब देना चाहिए। गृह मंत्रालय क्या कर रहा है जब न तो नागरिक और न ही सुरक्षाकर्मी हमारी भूमि में सुरक्षित हैं?"  वहीं, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा, "हमें घटना की गहन जांच सुनिश्चित करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पीड़ितों को न्याय मिले।"

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