Monday, April 29, 2024
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Saamna Editorial Crops Affected by Rain: फसलों पर खराब मौसम का संकट

महाराष्ट्र सहित पूरे देश को ही फिलहाल बढ़े हुए तापमान का प्रहार सहन करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र में तो धूप के प्रहार के साथ ही बेमौसम बारिश, तूफानी हवाएं एवं ओलावृष्टि का फटका भी लग रहा है।

Deepak Vyas Edited by: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: April 28, 2022 11:54 IST
Crop Affected in Maharashtra- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO Crop Affected in Maharashtra

Saamna Editorial Crops Affected by Rain: महाराष्ट्र सहित पूरे देश को ही फिलहाल बढ़े हुए तापमान का प्रहार सहन करना पड़ रहा है। महाराष्ट्र में तो धूप के प्रहार के साथ ही बेमौसम बारिश, तूफानी हवाएं एवं ओलावृष्टि का फटका भी लग रहा है। उस पर और दो दिन राज्य में बारिश उपस्थिति दर्ज कराएगी तथा उष्णता की लहर और तेज होगी, ऐसी चेतावनी मौसम विभाग ने दी है। उष्णता की लहर कम-से-कम पांच दिनों तक जीना मुहाल करेगी, ऐसा मौसम विभाग ने कहा है।

बीते कुछ समय से कोंकण, मध्य महाराष्ट्र, प. महाराष्ट्र, नगर, मराठवाड़ा आदि जगहों पर कहीं बारिश, कहीं ओलावृष्टि, तो कहीं तूफानी हवाओं के साथ बारिश ऐसी अवस्था है। कोंकण के संगमेश्वर, रत्नागिरी, देवरुख, सिंधुदुर्ग के कुछ हिस्सों में बारिश रोज की ही बात हो गई है। दिन में कड़ाके की धूप और शाम के समय बारिश यह दृश्य कई जगहों पर दिखाई देता है। उस पर तूफान, तेज हवाओं के बढ़ने से लगभग तैयार हो चुकी फसल, फल-फूल को क्षति पहुंच रही है। इसके अलावा बिजली गिरने से होनेवाले हादसों में लोग हताहत हो रहे हैं और पशुओं की भी जान जा रही है।

हवा,आंधी और बिजली गिरने से मवेशियों की मौत

नगर शहर तथा जिले में बीते सप्ताह तूफानी हवाओं के साथ आई बारिश का खामियाजा श्रीगोंदा, पारनेर, नेवासा आदि तालुकाओं को भुगतना पड़ा। इसके अलावा बिजली गिरने से तीन गायों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो गई। प. महाराष्ट्र में भी कवठेमहांकाल तालुका में आकाशीय बिजली गिरने से एक चरवाहे सहित 10 भेड़ों की मौत हो गई। सातारा में तो बेमौसम के प्रहार से महाराष्ट्र केसरी कुश्ती स्पर्धा स्थगित करने की नौबत आ गई थी। सांगली जिले के तासगांव तालुका में दो दिन पहले जोरदार हवा के साथ बेमौसम की बारिश हुई, उससे किशमिश उत्पादकों को नुकसान हुआ ही, इसके अलावा मूंगफली, मटकी, कलिंगड़, मूंग आदि विविध प्रकार के कृषि उत्पादों को भी नुकसान पहुंचा। 

अंगूर की खेती करने वाले किसानों को नुकसान

सांगली के साथ-साथ ही नासिक जिले में अंगूर की खेती करनेवाले किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ा। नगर जिले में बारिश के कारण तैयार प्याज की फसल भीग गई। कोकण में तो आम उत्पादक और विक्रेता इस संकट से मायूस हो गए हैं। उस पर संतोष की बात इतनी है कि मूसलाधार बारिश न होने से ‘फलों का गिरना’ टल गया। तथापि इस वातावरण के कारण फल पर मक्खियों का प्रकोप होने की आशंका व्यक्त की जा रही है इसलिए आम काला पड़कर उसकी गुणवत्ता घटने की आशंका है।

जलगांव में चना, मक्का, गेहूं की फसलें प्रभावित

सोलापुर जिले में भी बेमौसम के प्रहार से अंगूर के बाग सपाट हो गए हैं। जलगांव जिले में चना, मक्का, गेहूं, ज्वारी की फसल को बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ है। राज्य में लगभग सभी हिस्सों में बीते डेढ़ महीनों से बेमौसम का साया पसरा हुआ है। एक तरफ 40-42 डिग्री तक चढ़े तापमान का पारा और दूसरी तरफ बिजली की गड़गड़ाहट के साथ बरसनेवाली बारिश ऐसा माहौल देखने को मिल रहा है। यह और कुछ दिनों तक ऐसा ही रहेगा तो मुख्य रूप से किसानों का चिंताग्रस्त होना स्वाभाविक है। क्योंकि यह मौसम आम, अंगूर, संतरा, कलिंगड़, ग्रीष्मकालीन प्याज, गेहूं, चना, मूंग का होता है। परंतु उसकी कटाई के समय बेमौसम की मार पड़ती है। 

किसानों के लिए चुनौती का सबब बन रहा मौसम

आम इंसान धूप से व्याकुल तो किसान बेमौसम के संकट से बेजार हो गया है। पहले ही ईंधन दर वृद्धि और अन्य कारणों से सभी चीजों के दाम सामान्य लोगों की पहुंच से बाहर पहुंच गई हैं। उस पर बेमौसम के कारण फसल एवं फल बागानों को होनेवाला नुकसान किसानों के अस्तित्व के लिए चुनौती बन रहा है। बीते साल खरीफ की फसल अतिवृष्टि, बाढ़, बादल फटने के कारण बर्बाद हो गई। अब रबी की तैयार फसल को बेमौसम की बारिश निवाला बनाकर संकट को बढ़ा रही है। 

मौसमी संकट से एकजुट होकर मुकाबला करने की जरूरत

बेमौसम का प्रहार यह अब हर साल की आपदा बनने लगा है। बारिश में बाढ़ और अन्य ऋतुओं में बेमौसम, ऐसी यह दोहरी मार है। परंतु इसके लिए सिर्फ ग्लोबल वार्मिंग की ओर उंगली दिखाकर नहीं चलेगा। सरकार, प्रशासन, किसान तथा सामान्य जनता ऐसे सभी लोगों को इन संकटों का एकजुट होकर मुकाबला करने की आवश्यकता है।

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