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मोराटोरियम पर कर्जधारकों को SC से राहत, 2 महीने तक खातों को NPA घोषित न करने का निर्देश

कोर्ट ने बैंकों को निर्देश दिया है कि मामले के निपटारे तक ऐसे अकाउंटस को NPA घोषित न किया जाए, जो 31 अगस्त तक NPA घोषित नहीं हुए हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published : Sep 03, 2020 05:13 pm IST, Updated : Sep 03, 2020 05:33 pm IST
मोराटोरियम केस में...- India TV Paisa
Photo:PTI

मोराटोरियम केस में कर्जधारकों को राहत

नई दिल्ली। लोन मोराटोरियम मामले में कर्जधारकों को सुप्रीम कोर्ट से आंशिक राहत मिली है। मोराटोरियम की अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज को माफ करने की याचिका पर सुनवाई में कोर्ट ने बैंकों को निर्देश दिया है कि मामले के निपटारे तक ऐसे अकाउंटस को NPA घोषित न किया जाए, जो 31 अगस्त तक NPA घोषित नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा कि बैंक ऐसे बैंक खातों को अगले 2 महीने तक NPA में शामिल न करें। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ अब 10 सितंबर को मामले की आगे की सुनवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही बैंकों से कहा है कि वो कर्जधारकों के साथ सख्ती से न पेश आएं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि मोराटोरियम की राहत बढ़ाने के लिए सेक्टर की पहचान में और देर नहीं की जानी चाहिए। वहीं इससे पहले सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कोविड 19 का असर सभी पर पड़ा है हालांकि अलग अलग सेक्टर पर ये असर अलग अलग है, वहीं कुछ सेक्टर में बढ़त भी दर्ज हुई है। ऐसे में सरकार जरूरत मंद सेक्टर की पहचान कर रही है। इसके साथ उन्होने कहा कि मोराटोरियम का मकसद कोविड के असर से मुश्किलों में फंसे लोगों और कारोबार की मदद करना है। इसका मकसद ब्याज में छूट नहीं है। इस फैसले से जरूरतमंद को मुश्किल से बाहर निकालना है हालांकि ये भी देखना जरूरी है कि कहीं इस फैसले का फायदा वो भी उठा लें जिन्हें ये फायदा नहीं मिलना चाहिए।

नियमों के मुताबिक अगर किसी लोन की ईएमआई लगातार 3 महीने तक न जमा की जाए तो बैंक उसे एनपीए मान लेतें हैं। दो महीने की छूट में ऐसे सभी कर्जधारकों को फायदा मिलेगा जिनकी एक या दो ईएमआई बैंकों तक नहीं पहुंच सकी है। NPA घोषित होने से कर्जधारकों का क्रेडिट स्कोर निचले स्तर पर पहुंच जाता है और उसे आगे कोई और कर्ज मिलने में काफी मुश्किलें आती हैं। ऐसी स्थिति में कर्जदार को अपने एसेट्स की बिक्री या फिर ऐसे ही किसी दूसरे उपाय से फंड जुटाना पड़ता है।

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