नई दिल्ली। दूरसंचार क्षेत्र को वित्तीय संकट से उबारने के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) बैंकों से बातचीत कर रहा है। विशेषरूप से वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) को बाजार में टिके रहने के लिए फंड की जरूरत है। सूत्रों ने बताया कि वोडाफोन के मुद्दे पर दूरसंचार विभाग के अधिकारियों तथा वरिष्ठ बैंकरों की शुक्रवार को बैठक हुई थी। बैठक में बैकों से कहा गया कि वे उचित दिशानिर्देशों के साथ इसका समाधान ढूंढने का प्रयास करें। सूत्रों ने बताया कि इस बारे में आगामी दिनों में और बैठकें होंगी। इस बीच, वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से यह बताने को कहा है कि दूरसंचार क्षेत्र को दिये गये कर्ज में उनका हिस्सा कितना है। विशेषरूप से वीआईएल को दिए गए कर्ज की जानकारी मांगी गई है। यदि वीआईएल का संकट हल नहीं होता है, तो सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों को कुल मिलाकर 1.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
वीआईएल को कर्ज में प्रमुख हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का है। वहीं इस मामले में निजी क्षेत्र के यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों ने इसको लेकर पहले ही प्रावधान करना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने वीआईएल को दबाव वाला खाता घोषित किया है और कुल बकाया कर्ज 3,244 करोड़ रुपये पर 15 प्रतिशत यानी 487 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वीआईएल पर कुल 58,254 करोड़ रुपये का समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) है। इसमें से कंपनी ने 7,854.37 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। कंपनी पर एजीआर का कुल बकाया 50,399.63 करोड़ रुपये का है। लीज देनदारियों को छोड़कर कंपनी पर 31 मार्च, 2021 तक कुल कर्ज 1,80,310 करोड़ रुपये था। इसमें से 96,270 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम का बकाया तथा 23,080 करोड़ रुपये बैंकों और वित्तीय संस्थानों का बकाया है। शेष बकाया एजीआर का है।
कंपनी के दोनों प्रवर्तक वोडाफोन पीएलसी (45 प्रतिशत हिस्सेदारी) तथा आदित्य बिड़ला ग्रुप (27 प्रतिशत) अतिरिक्त पूंजी लाने में असमर्थता व्यक्त कर चुके हैं। आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को पत्र लिखकर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी सरकार को या सरकार के कहने पर किसी ऐसी इकाई को सौंपने की पेशकश की है जो कंपनी को परिचालन में बनाए रखने में सक्षम हो।
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