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PNB फर्जीवाड़ा : ED ने दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग का मामला, SEBI भी कर सकता है बैंकों और आभूषण कंपनियों के खुलासे में खामी की जांच

PNB के अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय से सख्त निर्देश है कि कोई बड़ी मछली बचने न पाए और ईमानदार करदाता को किसी तरह की परेशानी न हो। अधिकारी ने कहा कि बैंक अब अपनी प्रणाली और प्रक्रियाओं की जांच कर रहे हैं ताकि इस तरह के घोटाले दोबारा न हों।

Edited by: Manish Mishra
Published : Feb 15, 2018 09:06 am IST, Updated : Feb 15, 2018 09:06 am IST
PNB FRAUD- India TV Paisa
PNB FRAUD, ED, SEBI, FINANCE MINISTRY

नई दिल्‍ली। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने खुलासा किया कि उसने 1.77 अरब डॉलर (करीब 11,400 करोड़ रुपए) के घोटाले को पकड़ा है। इस मामले में अरबपति आभूषण कारोबारी नीरव मोदी ने कथित रूप से बैंक की मुंबई शाखा से धोखाधड़ी वाला गारंटी पत्र (एलओयू) हासिल कर अन्य भारतीय ऋणदाताओं से विदेशी ऋण हासिल किया। PNB ने इस मामले में दस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। साथ ही मामले को जांच के लिए CBI के पास भेज दिया है।

वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि यह एक अकेला मामला है और इससे अन्य बैंकों पर असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने तेजी से कदम उठाते हुए बैंक से यह मामला सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भेजने को कहा है।

PNB ने बयान में कहा कि उसकी मुंबई की एक शाखा में कुछ धोखाधड़ी वाले अनाधिकृत लेनदेन का पता चला है। ये लेनदेन कुछ चुनिंदा खाताधारकों को लाभ पहुंचाने वाले हैं और इसमें उनकी भी सांठगाठ है। बैंक ने कहा कि इन लेनदेन के आधार पर अन्य बैंकों ने संभवत: कुछ ग्राहकों को विदेशों में ऋण दिया है।

हालांकि, PNB ने इन बैंकों का नाम नहीं लिया। लेकिन समझा जाता है कि यूनियन बैंक आफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक ने पीएनबी के गारंटी पत्रों के आधार पर कर्ज दिया।

एलओयू वह पत्र है जिसके आधार पर एक बैंक द्वारा अन्य बैंकों को एक तरह से गारंटी पत्र उपलब्ध कराया जाता है जिसके आधार पर विदेशी शाखाएं ऋण की पेशकश करती हैं। विदेशी बैंक शाखाएं भी जांच के घेरे में हैं।

इस घोटाले में कई बड़ी आभूषण कंपनियां मसलन गीतांजलि, गिन्नी और नक्षत्र भी विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच के दायरे में आ गई हैं। इन कंपनियों से तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।

पिछले सप्ताह PNB ने CBI के पास एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें कहा गया था कि 16 जनवरी को सबसे पहले 280.7 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी वाले गारंटी पत्र जारी किए गए। उस समय बैंक ने कहा था कि वह रिकॉर्डों की जांच कर रहा है जिससे पता चल सके कि घोटाला कितना बड़ा है।

अपनी शिकायत में पीएनबी ने तीन हीरा कंपनियों डायमंड्स आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स का नाम लिया था। शिकायत में कहा गया था कि उन्होंने 16 जनवरी को बैंक से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान को खरीदार ऋण के लिए संपर्क किया था। बैंक ने एलओयू जारी करने के लिए प्रतिशत का नकद मार्जिन मांगा था जिसका इन कंपनियों ने विरोध करते हुए कहा था कि वे यह सुविधा 2010 से प्राप्त कर रही हैं।

नीरव मोदी, उनकी पत्नी एमी और भाई निशाल और मेहुल चौकसी डायमंड्स आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स तथा स्टेलर डायमंड्स में भागीदार हैं। इन कंपनियों की हांगकांग, दुबई और न्यूयॉर्क जैसे विदेशी गंतव्यों में इकाइयां हैं।

जिन बैंक अधिकारियों का नाम इस मामले में आया है उनमें उप प्रबंधक गोकुलनाथ शेट्टी भी शामिल हैं, जो 31 मार्च 2010 से पीएनबी के मुंबई में विदेशी विनिमय विभाग में कार्यरत थे। कथित रूप से शेट्टी ने एक अन्य अधिकारी मनोज खारत के साथ मिलकर ये धोखाधड़ी वाले एलओयू जारी किए।

कुमार ने कहा कि यह जांच स्वच्छता अभियान का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 2015 में संपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (AQR) के साथ हुई थी। वित्तीय सेवा सचिव ने कहा कि इस सफाई अभियान के बाद बैंक हमेशा के लिए साफसुथरे और स्वस्थ हो जाएंगे।

PNB के अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय से सख्त निर्देश है कि कोई बड़ी मछली बचने न पाए और ईमानदार करदाता को किसी तरह की परेशानी न हो। अधिकारी ने कहा कि बैंक अब अपनी प्रणाली और प्रक्रियाओं की जांच कर रहे हैं ताकि इस तरह के घोटाले दोबारा न हों।

सभी बैंकों से जल्द से जल्द स्थिति रिपोर्ट देने को कहा गया है। वर्ष 2015 में बैंक ऑफ बड़ौदा में भी दिल्ली के दो कारोबारियों द्वारा 6,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था।

पीएनबी ने बयान में कहा कि उसकी मुंबई की एक शाखा में इस तरह के धोखाधड़ी के लेनदेन हुए जिसका फायदा कुछ चुनिंदा खाताधारकों को मिला है। ये लेनदेन मोदी के भाई निशाल, पत्नी एमी और मेहुल चीनूभाई चौकसी ने किए हैं जिनके आधार पर अन्य बैंकों ने विदेश में ग्राहकों को कर्ज दिया। मोदी के आभूषण दुनिया भर की हस्तियों में काफी लोकप्रिय हैं। उनके खिलाफ नए सिरे से CBI जांच हो सकती है। जांच एजेंसी उचित कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

नीरव मोदी के खिलाफ ED ने दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग का मामला

मोदी के खिलाफ पहले से ही PNB की एक शाखा में कथित रूप से 280 करोड़ रुपए की जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले की सीबीआई जांच चल रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने PNB में हुई 280 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के संबंध में नीरव मोदी एवं अन्य के खिलाफ मनी लॉड्रिंग का मामला दर्ज किया है। यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की प्राथमिकी के आधार पर दर्ज किया गया है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में दर्ज हुई CBI प्राथमिकी के आधार पर यह मामला काला धन रोधक अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज हुआ है। ऐसा माना जा रहा है कि ED ने नीरव मोदी एवं अन्य के खिलाफ PNB की शिकायत का भी संज्ञान लिया है।

उन्होंने कहा कि एजेंसी इस बात की जांच करेगी कि क्या बैंक की धोखाधड़ी की गयी राशि की हेरा-फेरी की गयी थी और अवैध संपत्ति बनाने के लिए आरोपियों ने इस तरीके का बार-बार इस्तेमाल किया था। CBI ने इस संबंध में नीरव मोदी, उनके भाई, उनकी पत्नी और कारोबारी भागीदार के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

इसके अलावा जांच एजेंसी मोदी, उनके भाई निशाल, पत्नी एमी और मेहुल चीनूभाई चौकसी के आवास पर छापेमारी भी की है। ये सभी डायमंड्स आर यूएस, सोलर एक्सपोट्र्स और स्टेलर डायमंड्स में भागीदार हैं। दो बैंक अधिकारियों गोकुलनाथ शेट्टी (अब सेवानिवृत्त), मनोज खारत के आवास पर भी छापेमारी की गई है। नीरव मोदी फोर्ब्स की भारतीय अमीरों की सूची में भी शामिल रहे हैं।

SEBI करेगा बैंकों और आभूषण कंपनियों के खुलासे में खामियों की जांच

दूसरी तरफ, बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में हुई 11 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में कई आभूषण कंपनियों समेत बैंकों द्वारा खुलासा करने में हुई खामियों की जांच करेगा।

अधिकारियों ने बताया कि SEBI और शेयर बाजार इन कंपनियों और उनके शीर्ष अधिकारियों के कारोबारी आंकड़े का विश्लेषण करेंगे। इनमें से कुछ भेदिया कारोबार एवं अन्य उल्लंघन को लेकर पहले ही जांच के घेरे में हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना के बाद नियामक ऋण के डिफॉल्ट होने की स्थिति में इसकी जानकारी एक दिन के भीतर देना अनिवार्य बनाने पर मजबूर हो सकता है। अधिकारियों ने कहा कि SEBI विभिन्न सूचीबद्ध कंपनियों और बैंकों द्वारा खुलासे में की गई गड़बड़ियों की पड़ताल कर सकता है।

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