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त्योहारों में कीमतों पर अंकुश के लिए सरकार ने खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क और घटाया

वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को देर रात जारी एक अधिसूचना में कहा कि कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर इसे 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: September 11, 2021 21:14 IST
सरकार ने खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क घटाया, खुदरा कीमतों को नीचे लाने में मिलेगी मदद- India TV Paisa
Photo:PIXABAY

सरकार ने खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क घटाया, खुदरा कीमतों को नीचे लाने में मिलेगी मदद

नयी दिल्ली: सरकार ने त्योहारों के सीजन के दौरान खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों में कमी लाने के लिए पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क में कटौती की है। इससे सरकार को करीब 1,100 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। सरकार ने शनिवार को यह जानकारी दी है। सरकार की इस पहल के बारे में तेल उद्योग का मानना है कि इसे खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में 4-5 रुपये प्रति लीटर की कमी आ सकती है। 

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की एक विज्ञप्ति के अनुसार, इन तीनों खाद्य तेलों के कच्चे और रिफाइंड दोनों प्रकारों पर सीमा शुल्क कम किया गया है लेकिन कच्चे पाम तेल पर कृषि उपकर 17.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। वित्त मंत्रालय ने 11 सितंबर से अगले आदेश तक इन तेलों के सीमा शुल्क में कटौती को अधिसूचित किया है। 

वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को देर रात जारी एक अधिसूचना में कहा कि कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर इसे 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इस कटौती से कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर प्रभावी शुल्क घटकर 24.75 प्रतिशत रह जाएगा, जबकि रिफाइंड पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत का होगा। 

भारत में हाल के दिनों में तमाम सरकारी उपायों के बावजूद खाद्य तेल की कीमतों में बेरोकटोक जारी वृद्धि के बीच यह कदम उठाया गया है। भारत अपनी खाद्य तेल मांग का लगभग 60 प्रतिशत आयात से पूरा करता है। खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों के बढ़ने की वजह से खाद्य तेलों की घरेलू कीमतें वर्ष 2021-22 के दौरान उच्चस्तर पर बनी रही हैं जो मुद्रास्फीति के साथ-साथ उपभोक्ताओं के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय है।’’

इसमें कहा गया है कि खाद्य तेलों पर लगने वाला आयात शुल्क उन महत्वपूर्ण कारकों में से एक है, जिसके कारण खाद्य तेलों की पहुंच लागत और घरेलू कीमतें प्रभावित हुई। कुछ महीने पहले खाद्य तेलों पर आयात शुल्क कम किया गया था और अब घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए इसे और घटा दिया गया है। 

मंत्रालय के मुताबिक, इन खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क में की गई मौजूदा कटौती से 1,100 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है। मंत्रालय ने कहा कि इन तेलों पर सीमा शुल्क में पहले की गई कटौती से 3,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त राजस्व के नुकसान के साथ सरकार को कुल 4,600 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी.वी.मेहता ने पीटीआई-भाषा को बताया कि ताजा कटौती से खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में 4-5 रुपये प्रति लीटर की कमी आ सकती है। 

उन्होंने कहा कि आमतौर पर यह भी देखा जाता है कि भारत के आयात शुल्क को कम करने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ जाती हैं, इसलिए खाद्य तेल कीमतों पर इस कटौती का वास्तविक प्रभाव दो से तीन रुपये प्रति लीटर का रह सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को खाद्य तेल कीमतों में नरमी लाने के लिए रैपसीड (सरसों किस्म जैसा) के आयात शुल्क में भी कमी करनी चाहिये थी। देश में खुदरा खाद्य तेल की कीमतें पिछले एक साल में 41 से 50 प्रतिशत के दायरे में बढ़ी हैं। 

उन्होंने कहा कि सरकार को कीमतों को कम करने के लिए सरसों के तेल पर आयात शुल्क कम करना चाहिए था। पिछले कुछ महीनों में केंद्र ने विभिन्न खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती की है और राज्यों से थोक विक्रेताओं, खाद्य तेल मिल मालिकों, रिफाइनरी इकाइयों और स्टॉकिस्टों से खाद्य तेलों और तिलहन के स्टॉक का विवरण लेने को कहा है। 

खुदरा विक्रेताओं से भी उपभोक्ताओं के लाभ के लिए सभी खाद्य तेल ब्रांडों की कीमतों को प्रमुखता से प्रदर्शित करने के लिए भी कहा गया है। केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शुक्रवार को राज्यों के अधिकारियों और उद्योग जगत के अंशधारकों के साथ बैठक के बाद मीडिया को बताया कि कुछ राज्यों ने पहले ही अधिसूचित कर दिया है कि उन्हें (खुदरा विक्रेताओं) केवल यह प्रदर्शित करना होगा कि खाद्य तेल किस दर पर उपलब्ध है। फिर यह उपभोक्ता की पसंद है कि वह अपनी पसंद के आधार पर किसी भी ब्रांड की खरीद करे।

एसईए के अनुसार, नवंबर-2020 से जुलाई-2021 के दौरान वनस्पति तेलों (खाद्य और अखाद्य तेल) का कुल आयात पहले की तुलना में दो प्रतिशत घटकर 96,54,636 टन रह गया जो पिछले तेल वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) की इसी अवधि में 98,25,433 टन था। कच्चे तेल और सोने के बाद भारत के आयात में खाद्य तेल का तीसरा स्थान है।

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