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क्‍या नई रणनीति संकट से उबार पाएगी स्‍नैपडील को, छवि सुधारने की हो रही है कवायद?

स्‍नैपडील के सह-संस्‍थापक और चीफ ऑपरेटिंग ऑफि‍सर रोहित बंसल ने कहा कि पिछली दो बार की तरह इस बार भी संदेह के ये बादल छंट जाएंगे।

Surbhi Jain Surbhi Jain
Updated on: July 13, 2016 10:25 IST
नई दिल्‍ली। पिछले कुछ महीनों से भारत की ई-कॉमर्स इंडस्‍ट्री पर वैल्‍यूएशन अनुचित ढंग से काफी अधिक ऊंचाई पर पहुंचाने का आरोप लग रहा है और सेक्‍टर में कंपनियों के भारी घाटे की वजह से इसकी आलोचना भी हो रही है। इससे ई-कॉमर्स की सफलता पर संदेह भी पैदा हो गया है। संदेह के मामले में स्‍नैपडील कोई नया नाम नहीं है। अपने मनमाफि‍क वैल्‍यूएशन पर फंड जुटाने में कंपनी को दिक्‍कत का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर भारतीय बाजार में अपनी दूसरी-सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेलर का खिताब हासिल करने के लिए भी उसे कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। अमेजन ने भारत में अतिरिक्‍त 3 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना बनाई है, इससे स्‍नैपडील की दिक्‍कतें और बढ़ने की आशंका भी बढ़ गई है।

स्‍नैपडील के सह-संस्‍थापक और चीफ ऑपरेटिंग ऑफि‍सर रोहित बंसल ने कंपनी पर उठ रहे संदेह का विरोध किया है। उन्‍होंने कहा कि कंपनी पर पहली बार संदेह नहीं किया जा रहा है, छह साल के जीवनकाल में ऐसा तीसरी बार हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि पिछली दो बार की तरह इस बार भी संदेह के ये बादल छंट जाएंगे।

उन्‍होंने कहा कि-

हम सभी यह सुन रहे हैं कि भारत में ई-कॉमर्स मर चुका है। फ्लिपकार्ट ओवरवैल्‍यूड है। फ्लिपकार्ट, स्‍नैपडील और अन्‍य घरेलू कंपनियां मर रही हैं। जब डिस्‍काउंट मिलना बंद होंगे, तो यह कंपनियां भी बंद हो जाएंगी, आदि। इस साल खूब संदेह व्‍यक्‍त किए गए, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं रहेंगे।

बंसल के मुताबिक, कंपनी को 2015 के मध्‍य में यह अहसास हुआ था कि उत्‍साह की वजह से हम लक्ष्‍य से काफी दूर हो गए और हमनें कुछ ऐसे काम किए जो हमें नहीं करने चाहिए थे। लेकिन अब हमारे पास एक योजना है जो हमें आलोचनाओं का जवाब देने में मदद करेगी।

रणनीति 

भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में कंपनियों की भरमार के बीच जीत हासिल करने के लिए स्‍नैपडील ने तीन मुख्‍य क्षेत्रों पर अपना ध्‍यान फोकस किया है। कंपनी को भरोसा है कि इससे उसे सफलता जरूर मिलेगी। यह तीन क्षेत्र हैं – अच्‍छे ग्राहक अनुभव को सुनिश्‍चित करना, लागत को कम रखना और नेट रेवेन्‍यू को बढ़ाना।

बंसल ने कहा कि इस रणनीति का असर दिखने लगा है। वास्‍तविक आंकड़ों को उजागर किए बगैर बंसल ने कुछ ट्रेंड्स शेयर किए हैं, जिन्‍हें आप यहां देख सकते हैं:

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बंसल ने आगे कहा कि अन्‍य प्रतियोगियों की तुलना में ऑर्डर डिलीवरी करने और रिटर्न और रिफंड प्रोसेस करने में स्‍नैपडली बहुत तेज है।

बंसल ने यह भी कहा कि स्‍नैपडील अब अपनी ग्रोथ को नेट रेवेन्‍यू के तौर पर मापेगी न कि प्रचलित जीएमवी (ग्रॉस मर्चेंडाइस वैल्‍यू) के आधार पर। भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में कंपनी की ग्रोथ को जीएमवी (या कंपनी द्वारा बेचे गए प्रोडक्‍ट्स की कुल वैल्‍यू) के आधार पर ही देखा जाता है। पिछले साल तक इंडस्‍ट्री में जीएमवी को व्‍यापक रूप से एक मेट्रिक के तौर पर स्‍वीकार कर लिया गया है। हालांकि, हाल कके महीनों में स्‍नैपडील और इसकी प्रतियोगी कंपनी फ्लिपकार्ट ने यह कहा है कि यह मेट्रिक उनके बिजनेस के बारे में ज्‍यादा कुछ बता पाने में सक्षम नहीं है।

अब सवाल यह है कि क्‍या स्‍नैपडील अपनी प्रगति को दिखाने के लिए कोई ज्‍यादा सार्थक रास्‍ता खोज सकती है। जल्‍दी या बाद में रेवेन्‍यू, मार्जिन और कॉस्‍ट ऑफ डिलीवरी प्रदर्शित करने वाले चार्ट पर भी संदेह की उंगलियां उठेंगी और फि‍र कुछ वास्तिव आंकड़े बताने की जरूरत होगी।

Source: Quartz

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