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कॉरपोरेट कर कटौती को संसद की मंजूरी, सॉफ्टवेयर विकास, खनन 15 प्रतिशत की घटी दर के पात्र नहीं

संसद ने गुरुवार को कराधान विधि संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी, जिसमें कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में भारी कमी की गई और विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली नई कंपनियों को 15 प्रतिशत की घटी दर से कर का प्रावधान किया गया है।

India TV Paisa Desk Written by: India TV Paisa Desk
Published on: December 06, 2019 8:15 IST
Corporate Tax - India TV Paisa
Photo:SOCIAL MEDIA

Corporate Tax 

नयी दिल्ली। संसद ने गुरुवार को कराधान विधि संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी, जिसमें कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में भारी कमी की गई और विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली नई कंपनियों को 15 प्रतिशत की घटी दर से कर का प्रावधान किया गया है। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि सॉफ्टवेयर विकास, खनन कंपनियों और पुस्तक छपाई का काम विनिर्माण क्षेत्र की घटी दर के लिए पात्र नहीं होगा। राज्यसभा ने इस कराधान विधि संशोधन विधेयक को चर्चा के बाद बिना किसी बदलाव के ध्वनिमत से लौटा दिया। लोकसभा इसे पहले ही परित कर चुकी है। यह विधेयक इस संबंध में पहले लाये गये अध्यादेश का स्थान लेगा। 

उच्च सदन में संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऐसी गतिविधियों की जो विनिर्माण के दायरे में नहीं आती हैं उनकी एक नकारात्मक सूची बनाई गई है। इस सूची में शामिल गतिविधियों को चलाने वाली कंपनियों को 15 प्रतिशत घटी कर दर का लाभ नहीं मिलेगा। विधेयक में एक अक्टूबर, 2019 के बाद विनिर्माण क्षेत्र में उतरने वाली और 2023 तक उत्पादन कार्य शुरू करने वाली कंपनियों को 15 प्रतिशत की घटी दर से कर देने का प्रावधान किया गया है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर विकास चाहे वह किसी भी तरीके से अथवा किसी भी मीडिया में हो, खनन, मार्बल ब्लाक में परिवर्तन, सिलेंडर में गैस भरने का काम, पुस्तकों की छपाई और सिनेमाटोग्राफी फिल्म के उत्पादन कार्य को विनिर्माण की नकारात्मक सूची में रखा गया है। इन क्षेत्रों में उतरने वाली विनिर्माण कंपनियों को घटी कर दर का लाभ नहीं मिल सकेगा। हालांकि, उनके समक्ष 22 प्रतिशत कर दर को अपनाने का विकल्प होगा। 

गौरतलब है कि वित्त मंत्री ने 20 सितंबर को कंपनियों को कर में बड़ी राहत देते हुए कॉरपोरेट कर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि जो भी कंपनियों किसी तरह की अन्य छूट नहीं लेंगी उन्हें घटी कर दर का लाभ दिया जाएगा। इसी प्रकार विनिर्माण क्षेत्र में एक अक्टूबर के बाद उतरने वाली नई कंपनियों को केवल 15 प्रतिशत की दर से कर देने की घोषणा की गई। अधिभार, उपकर सहित 22 प्रतिशत के दायरे में आने वाली कंपनियों के लिये कर की प्रभावी दर 25.2 प्रतिशत और नई विनिर्माण इकाइयों के लिये 17.01 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। 

सरकार ने अर्थव्यवस्था की सुस्त पड़ती गति को तेज करने के प्रयासों के तहत यह कदम उठाए। इसके अलावा लालफीताशाही कम करने और प्रत्यक्ष विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के भी उपाय किये गये। वित्त मंत्री ने कहा कि कंपनी कर में कमी भारत को निवेश का और ज्यादा आकर्षक स्थल बनाने के लिये की गई। इससे अमेरिका और चीन से बाहर निवेश की संभावनायें तलाश रही कंपनियों को आकर्षित किया जा सकेगा।

सीतारमण ने आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये सुधारों को आगे बढ़ाने का काम जारी रखने का वादा किया। चालू वित्त वर्ष की जुलाई- सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि की दर घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई। यह पिछले छह साल का निचला स्तर है। सांसदों की व्यक्तिगत आयकर कम करने की मांग पर सीतारमण ने पिछले पांच साल के दौरान व्यक्तिगत आयकर के मामले में दी गई रियायतों और छूट के बारे में बताया। हालांकि, उन्होंने आगे कोई कदम उठाने के बारे में कुछ नहीं कहा। 

वित्त मंत्री ने निजी खपत में गिरावट आने की बातों का भी प्रतिवाद किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के पहले पांच साल के कार्यकाल के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खपत का हिस्सा 2009- 2014 के दौरान 56.2 प्रतिशत से बढ़कर 59 प्रतिशत तक पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष 2019- 20 के पहली छमाही में यह 58.5 प्रतिशत रहा है जो कि संप्रग- दो सरकार के कार्यकाल से ऊपर है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के मामले में ऊंचे अधिभार को वापस लिये जाने को उचित ठहराते हुये सीतारमण ने कहा कि फ्रिंज बेनिफिट टैक्स और बैंकिंग लेनदेन कर 2005 में शुरू किये गये लेकिन उन्हें 2008 और 2009 में वापस ले लिया गया। इससे पहले चर्चा के दौरान कांग्रेस के जयराम रमेश ने सरकार पर हमला करते हुये कहा कि कॉरपोरेट कर में कटौती का फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमेरिका के हूस्टन में होने वाले 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम को देखते हुए किया गया। 

संप्रग सरकार के समय जीडीपी आंकड़ों का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान भी जीडीपी 4.3 प्रतिशत तक गिरी और फिर बढ़कर 7.2 प्रतिशत तक गई। पहले भी जीडीपी नीचे गिरकर ऊपर बढ़ी है, आगे भी ऐसा ही होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इस समय विश्व में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। चीन में स्थित कंपनियों को आकर्षित करने के लिए कोरिया जैसे कई देश विभिन्न कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में भारत सरकार के लिए भी कदम उठाने आवश्यक थे। भाजपा के सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से भारतीय अर्थव्यवसथा को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक वृद्धि बढ़ेगी। वहीं तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रे ने इस पर आशंका जताते हुये कहा कि चार दशक बाद ग्रामीण खर्च कम हो रहा है और खपत व्यय में भी कमी आई है। 

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