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कोविड-19 महामारी के अधिक समय तक खिंचने से अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम बढ़ेगा: आरबीआई

बेहतर बुवाई के संकेतों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूत सुधार संभव

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: August 06, 2020 16:30 IST
RBI Policy review- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

RBI Policy review

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को आंशका जतायी कि कोविड-19 महामारी का संक्रमण लम्बे समय तक खिंचा तो घरेलू अर्थव्यवस्था की हालत और बिगड़ सकती है। गौर तलब है कि इस महामारी और उससे निपटने के लिए लागू सार्वजनिक पाबंदियों से कारोबार पहले से ही बुरी तरह प्रभावित हुआ है और चालू वित्त वर्ष में बड़ी आर्थिक गिरावट दर्ज होने का अनुमान है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की द्वैमासिक बैठक के निष्कर्षों की जानकारी देते हुए कहा कि महामारी पर पहले काबू पा लिया गया तो उसका अर्थव्यस्था पर ‘अनुकूल’ प्रभाव पड़ेगा। मौद्रिक नीति समिति का अनुमान है कि ग्रामीण अर्थव्यस्था में सुधार मजबूत होगा क्यों कि खरीफ की बुवाई अच्छी चल रही है। विनिर्माण क्षेत्र की इकाइयों को दूसरी तिमाही से मांग बढ़ने की उम्मीद है।

समिति को लगता है कि 2021-22 की पहली तिमाही तक मांग में धीरे धीरे सुधार होगा। दास ने कहा कि जुलाई में उपभोक्ताओं का आत्मविश्वास रिजर्व बैंक के पिछले सर्वे के समय से और भी कमजोर हुआ है। समीक्षा में कहा गया है कि विदेशों से भी मांग अभी कमजोर बनी रहेगी। विश्व मंदी में है और विश्व-व्यापार घट रहा है। दास ने कहा, ‘ चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में अनुमान है कि वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) संकुचन के दौर में रहेगी। पूरे 2020-21 में वास्तविक जीडीपी के गिरने के आसार है।’ उन्होंने कहा कि कोविड19 जल्दी काबू में आ गया तो इससे आर्थिक संभावनाओं पर ‘अनुकूल’ प्रभाव हो सकता है। इसके ज्यादा लम्बा खिंचने, मानसून सामान्य रहने का अनुमान सही न निकलने और वैश्विक वित्तीय बाजार में उठापटक बढने की स्थिति में घरेलू अर्थव्यवस्था पर ‘बुरा प्रभाव’ पड़ सकता है। दास ने कहा कि समिति का आकलन है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति 2020 की पहली छमाही में कमजोर बनी रही और इसमें छंटनी का रुझान रहा। उन्होंने कहा कि जुलाई में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में कोविड19 संक्रमण में नयी तेजी दिखी। इससे आर्थिक हालात में मई-जून में सुधार के प्रारंभिक संकेत बाद में धीमे पड़ गए।

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