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अप्रैल-दिसंबर में दलहन आयात बढ़कर 50 लाख टन होने की संभावना, प्राइवेट ट्रेडर्स करेंगे सबसे ज्यादा आयात

घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ाने के लिए चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर की अवधि के दौरान भारत के द्वारा करीब 50 लाख टन दलहन का आयात किए जाने की संभावना है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: July 03, 2016 16:19 IST
अप्रैल-दिसंबर में दलहन आयात बढ़कर 50 लाख टन होने की संभावना, प्राइवेट ट्रेडर्स करेंगे सबसे ज्यादा आयात- India TV Paisa
अप्रैल-दिसंबर में दलहन आयात बढ़कर 50 लाख टन होने की संभावना, प्राइवेट ट्रेडर्स करेंगे सबसे ज्यादा आयात

नई दिल्ली। दलहन की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और खुदरा कीमतों को कम करने के लिए चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर की अवधि के दौरान भारत के द्वारा करीब 50 लाख टन दलहन का आयात किए जाने की संभावना है। यह आयात विशेष रूप से निजी व्यापारियों के द्वारा किया जाएगा। देश में दलहन की खुदरा कीमत 200 रुपए प्रति किलो की ऊंचाई को छू रही है।

भारत दुनिया में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है जिसने पूर्व वित्त वर्ष की समान अवधि में 45 लाख टन दलहन का आयात किया था। अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत ने पूरे वित्तवर्ष 2015-16 के दौरान 57.8 लाख टन दलहन का आयात किया था। भारतीय दलहन और अनाज संघ (आईपीजीए) के अध्यक्ष प्रवीण डोंगरे ने बताया, आयात हो रहा है। करीब 12 से 13 लाख टन दलहन का पहले ही आयात किया जा चुका है। इसके अलावा निजी व्यापारियों ने 30 लाख टन दलहन आयात का अनुबंध किया हुआ है जो सितंबर से दिसंबर के मध्य देश में आएगा।

आयातित दलहन की वास्तविक लागत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि पीली मटर के लिए यह 32 से 33 रुपए किलो, तुअर दाल के लिए 92 से 93 रुपए किलो, उड़द के लिए 105 से 106 रुपए किलो, मसूर के लिए 65 रुपए किलो और मूंग के लिए 58 से 60 रुपए किलो होगी। आयातक इन दलहनों को दाल मिलों को थोक विक्रेताओं का काफी कम मार्जिन पर बेच रहे हैं। चालू वित्तवर्ष के लिए कुल आयात के बारे में डोंगरे ने कहा कि यह सब कुछ मानसून पर निर्भर करेगा।

आईपीजीए के उपाध्यक्ष विमल कोठारी ने कहा, अगर मानसून अनुमान के अनुरूप बेहतर रहता है, तो घरेलू उत्पादन बढ़ेगा। तब चालू वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में आयात कम रहेगा। आईपीजीए ने कहा कि दो लगातार फसल वर्ष में बेमौसम और कमजोर बरसात के कारण उत्पादन में गिरावट आने से घरेलू बाजारों में दलहनों की कीमतों में तेजी आई है। फसल वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) में दलहनों का उत्पादन घटकर एक करोड़ 70.6 लाख टन रह गया जो उसके पूर्व के वर्ष में एक करोड़ 71.5 लाख टन था। वर्ष 2013-14 में उत्पादन करीब 1.9 करोड़ टन का हुआ था। परिणामस्वरूप दलहनों की खुदरा कीमतें बढ़ी हैं। खुदरा बाजारों में तुअर और उड़द दालें क्रमश: 180 रुपए किलो और 198 रुपए किलो की दर से बिक रही हैं। चना दाल 105 रुपए किलो बिक रही है जबकि मूंग और मसूर की बिक्री क्रमश: 130 रुपए और 110 रुपए किलो की दर से हो रही है।

सरकार ने दाल कीमतों के बढ़ने की स्थिति में बाजार हस्तक्षेप करने के लिहाज से दलहन का बफर स्टॉक बनाने की सीमा को बढ़ाकर आठ लाख टन कर दिया है। सरकार दलहनों की घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने के लिए इसका आयात भी कर रही है। अभी तक बफर स्टॉक बनाने के लिए किसानों से 1.19 लाख टन दलहन की खरीद की गई है और 46,000 टन दलहन का आयात करने के लिए अनुबंध भी किया गया है।

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