Thursday, March 28, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पैसा
  3. बिज़नेस
  4. बैंकों पर ब्याज-पर-ब्याज लगाने से लगाई रोक, लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

बैंकों पर ब्याज-पर-ब्याज लगाने से लगाई रोक, लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

कोरोना संकट के दौरा देश भर में लागू लॉकडाउन के दौरान होम और कार लोन की किस्तों पर छूट का लाभ प्राप्त करने वाले लोगों को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 23, 2021 13:04 IST
Supreme Court- India TV Paisa

Supreme Court

कोरोना संकट के दौरा देश भर में लागू लॉकडाउन के दौरान होम और कार लोन की किस्तों पर छूट का लाभ प्राप्त करने वाले लोगों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दे दिया है कि बैंकों ने यदि मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज-पर-ब्याज लिया है तो वह या तो पैसा लौटाए या फिर उसे समायोजित करे। लोन मोरेटोरियम अवधि मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि पूरे ब्याज की छूट संभव नहीं है क्योंकि इससे जमाकर्ताओं पर प्रभाव पड़ता है। कोर्ट ने मोरेटोरिम की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया लेकिन कहा कि मोरिटोरिम के दौरान अवधि के लिए कोई चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लिया जाएगा। 

जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, एम.आर. शाह और संजीव खन्ना की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज माफ करने के तर्क को नहीं समझ पा रही है। साथ ही सरकार ने यह सीमा भी क्यों तय की है, इसका कारण भी नहीं बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर कहा कि वह व्यापार और वाणिज्य के मामलों में बीच में नहीं आएगा और इस बात पर जोर दिया कि जज वित्तीय मामलों के विशेषज्ञ नहीं होते हैं।

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं द्वारा कोविड महामारी को देखते हुए 6 महीने के लिए और मोरेटोरियम पीरियड देने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि सरकार बैंकों को यह निर्देश नहीं दे सकती है कि वे लॉकडाउन की अवधि के दौरान ऋण पर ब्याज माफ कर दे। पीठ ने लघु उद्योग औद्योगिक संघ बनाम भारत संघ के मामले में यह फैसला सुनाया है। सरकार ने इस मामले में 17 दिसंबर 2020 को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा, "आर्थिक और राजकोषीय नीतियों की के वल इसलिए न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती कि कोई एक क्षेत्र इन नीतिगत निर्णयों से संतुष्ट नहीं है।"

पढ़ें-  भारत के सभी बैंकों के लिए आ गई ये सिंगल एप, ICICI बैंक ने किया कमाल

पढ़ें- ATM मशीन को बिना छुए निकाल सकते हैं पैसा, इस सरकारी बैंक ने शुरू की सुविधा

क्या है मामला

उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में वायरस के असर को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कर्ज देने वाली संस्थाओं को लोन के भुगतान पर मोराटोरियम की सुविधा देने के लिए कहा था। ये सुविधा पहले 1 मार्च 2020 से 31 मई 2020 के बीच दिए गए लोन पर दी जा रही थी, जिसे बाद में 31 अगस्त 2020 तक बढ़ा दिया गया। बाद में रिजर्व बैंक ने बाकी सभी बैंकों को एक बार लोन रीस्ट्रक्चर करने की इजाजत दी, वो भी उस कर्ज को बिना एनपीए में डाले, जिससे कंपनियों और इंडिविजुअल्स को कोरोना महामारी के दौरान वित्तीय परेशानियों से लड़ने में मदद मिल सके। इस लोन रीस्ट्रक्चरिंग के लिए सिर्फ वही कंपनियां या इंडिविजुअल योग्य थे, जिनके खाते 1 मार्च 2020 तक 30 दिन से अधिक डिफॉल्ट स्टेटस में नहीं रहे हों। 

पढें-  Amazon के नए 'लोगो' में दिखाई दी हिटलर की झलक, हुई फजीहत तो किया बदलाव

पढें-  नया डेबिट कार्ड मिलते ही करें ये काम! नहीं तो हो जाएगा नुकसान

1 मार्च से 31 अगस्त तक मोराटोरियम

25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गई थी। लोन मोराटोरियम घोषणा 1 मार्च से 31 अगस्त तक लागू किया गया था। इस दौरान कर्जदारों को ईएमआई चुकाने से राहत दी गई। बाद में मोराटोरियम पीरियड के दौरान ब्याज पर ब्याज का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सरकार ने कहा कि कर्जदारों को ब्याज पर ब्याज नहीं भरना होगा।

Latest Business News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Business News in Hindi के लिए क्लिक करें पैसा सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement