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राजस्व संग्रह में तेज गिरावट से राजकोषीय मानकों को लेकर जोखिम: आरबीआई

रिजर्व बैंक ने सरकार के कर और गैर-कर राजस्व में आ रही कमी को समग्र राजकोषीय लक्ष्यों के लिए जोखिम बताते हुए शुक्रवार को कहा कि निजी उपभोग और निवेश में नरमी चुनौती बन सकती है।

India TV Business Desk Written by: India TV Business Desk
Published on: December 28, 2019 11:39 IST
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Reserve Bank of India

मुंबई। रिजर्व बैंक ने सरकार के कर और गैर-कर राजस्व में आ रही कमी को समग्र राजकोषीय लक्ष्यों के लिए जोखिम बताते हुए शुक्रवार को कहा कि निजी उपभोग और निवेश में नरमी चुनौती बन सकती है। रिजर्व बैंक ने कहा कि इन प्रतिकूल स्थितियों के बाद भी देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत है, क्योंकि बैंकों की संपत्तियों (ऋणों) की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। रिजर्व बैंक की यह चेतावनी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि राजस्व संग्रह कम हो रहा है और राजकोषीय घाटा नवंबर में ही बजट अनुमान के 107 प्रतिशत पर पहुंच चुका है। इसके अलावा माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से प्राप्त राजस्व महज 2.5 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि बजट में 14 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान था। 

सरकार ने बजट में 1.05 लाख करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य तय किया था। अभी तक इसका महज 17 प्रतिशत ही विनिवेश हो पाया है। सिर्फ व्यक्तिगत आय कर से प्राप्त राजस्व में ही वृद्धि देखने को मिली है और यह 24 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 33 हजार करोड़ रुपये पर पहुंचा है। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को जारी 25वीं वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा, 'पिछले कुछ साल में राजकोषीय घाटा के मोर्चे पर सुधार हुआ है, लेकिन नरम निजी उपभोग तथा निवेश के बीच राजस्व संग्रह के कम रहने से राजकोषीय मानकों को लेकर चुनौती उत्पन्न हो सकते हैं। घरेलू आर्थिक वृद्धि दर के कमजोर पड़ने के बाद भी भारत की वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है।' 

रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक जोखिम, वृहद आर्थिक दशा को लेकर जोखिम की सोच, वित्तीय बाजारों के जोखिम तथा संस्थागत स्थितियों समेत सभी प्रमुख जोखिम समूहों को वित्तीय प्रणाली पर असर डालने के हिसाब से मध्यम श्रेणी का जोखिम माना गया है। हालांकि सोच यह है कि अप्रैल-अक्टूबर 2019 के दौरान घरेलू आर्थिक वृद्धि दर, राजकोषीय स्थिति, कॉरपोरेट जगत तथा बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता जैसे विभिन्न मोर्चों पर जोखिम बढ़े हैं। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार कम होकर छह साल के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत पर आ गयी। 

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