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अमेरिका ने अपने जिगरी दोस्त भारत को दिया बड़ा तोहफा, हजारों भारतीयों को होगा यह फायदा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और पीएम नरेंद्र मोदी के रिश्ते काफी मजबूत हैं। इसकी बानगी कई बार देखने को मिला है। दोनों नेता एक दूसरे को पूरी गर्मजोशी से मिलते हैं। हाल के दिनों में अमेरिका और भारत सरकार ने मिलकर कई सामानों पर टैक्स में कटौती की थी, जिससे उनकी कीमत कम करने में मदद​ मिली थी।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Oct 13, 2023 13:09 IST, Updated : Oct 13, 2023 14:51 IST
Joe Biden and PM Modi - India TV Paisa
Photo:FILE अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और पीएम नरेंद्र मोदी

मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत-अमेरिका की दोस्ती नई ऊंचाई पर पहुंच रही है। अमेरिका हर कदम पर भारत का सर्मथन कर रहा है। इससे न सिर्फ देश को तेजी से बढ़ने में मदद मिल रही है, बल्कि अमेरिका में काम कर रहे लाखों भारतीय को फायदा भी हो रहा है। अब अमेरिका ने भारतीय लोगों के लिए एक और कदम उठाया है। दरअसल, अमेरिका ने ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा कर रहे लोगों सहित कुछ गैर-आप्रवासी श्रेणियों को पांच साल के लिए रोजगार प्राधिकरण कार्ड प्रदान करने की घोषणा की है। इस कदम से देश में रहने वाले हजारों भारतीयों को फायदा मिलेगा। 

वैधता अवधि को पांच साल तक बढ़ाया 

एक नए अध्ययन के अनुसार, 10.5 लाख से अधिक भारतीय रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड के लिए कतार में हैं। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के अनुसार, वह कुछ गैर-नागरिकों के लिए प्रारंभिक तथा नवीनीकरण ईएडी के लिए रोजगार प्राधिकरण दस्तावेजों (ईएडी) की अधिकतम वैधता अवधि को पांच साल तक बढ़ा रहा है। जानकारों का कहना है कि अमेरिकी सरकार के इस कदम से हजारों भारतीयों का सपना पूरा होगा। वो अमेरिका में अपने काम करने के सपने पूरा कर पाएंगे। लंबे समय से भारत सरकार वर्क वीजा में रियायत देने की मांग कर रही थी। 

ग्रीन कार्ड आधिकारिक तौर पर स्थायी निवासी कार्ड 

ग्रीन कार्ड को आधिकारिक तौर पर स्थायी निवासी कार्ड कहा जाता है। । यह अमेरिका में प्रवासियों को सबूत के तौर पर जारी किया जाने वाला एक दस्तावेज है जो बताता है कि धारक को स्थायी रूप से देश में रहने का विशेषाधिकार दिया गया है। हर देश के लोगों को ग्रीन कार्ड जारी करने की सीमा सीमित है। अमेरिकी शोध संस्थान ‘कैटो इंस्टिट्यूट’ के डेविड जे बियर के अध्ययन के अनुसार, रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड में लंबित आवदेनों की संख्या इस वर्ष 18 लाख के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। इन 18 लाख में से करीब 11 लाख (63 प्रतिशत) लंबित आवेदन भारत से हैं। करीब 2,50,000 (14 प्रतिशत) चीन से हैं। अध्ययन के अनुसार, किसी भी देश को सात प्रतिशत से अधिक ग्रीन कार्ड (देश की सीमा) नहीं दिए जा सकते। भारतीयों के 11 लाख लंबित आवेदन में अधिकतर खराब प्रणाली का शिकार हैं। संघीय एजेंसी ने कहा कि इनमें शरण पाने के लिए आवेदन करने वाले या निष्कासन को रोकने का आवेदन करने वाले, आईएनए 245 के तहत स्थिति का समायोजन और निर्वासन का निलंबन या निष्कासन को रद्द करना शामिल है। अनुमान है कि इनमें से चार लाख की अमेरिका में स्थायी निवास के बहुप्रतीक्षित कानूनी दस्तावेज प्राप्त करने से पहले ही मृत्यु हो सकती है। 

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